*गढ़ कलेवा में 01 मई से ‘बोरे बासी’ थाली का शुभारंभ *मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य और सांस्कृतिक महत्ता के दृष्टिकोण से लोगों को ‘बोरे बासी’ खान...
*गढ़ कलेवा में 01 मई से ‘बोरे बासी’ थाली का शुभारंभ
*मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य और सांस्कृतिक महत्ता के दृष्टिकोण से लोगों को ‘बोरे बासी’ खाने किया है आव्हान
रायपुर ।
असल बात न्यूज़।।
00 विशेष प्रतिनिधि
छत्तीसगढ़ी माटी की सुगंध वाली ‘बोरे बासी’ थाली भी शीघ्र मिलनी शुरू होने जा रही है। यह थाली गढ़ कलेवा में उपलब्ध होने जा रही है। उल्लेखनीय है कि नया जो तेरा राज बनने के बाद से तमाम छत्तीसगढ़ी व्यंजन विभिन्न स्टालों पर मिलने लगे हैं। छत्तीसगढ़ के स्वादिष्ट व्यंजनों की अपनी अलग पहचान है जो कि लोगों को सहज ही अपनी और आकर्षित करते हैं। और इन व्यंजनों को पसंद करने वाले लोगों की संख्या लाखों से भी अधिक है। गढ़ कलेवा में एक मई से शुरू होने जा रही छत्तीसगढ़ी 'बोरे बासी थाली ' के प्रति लोगों में अभी से उत्सुकता दिखने लगी है। कहा जा सकता है कि बड़ी संख्या में लोगों के द्वारा इसके शुरू होने का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है।इसे छत्तीसगढ़ की संस्कृति कला को सहेजने, संवर्धन की दिशा में राज्य सरकार का एक बड़ा कदम भी माना जा रहा है।हम आपको यह भी बता दें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने श्रमिक दिवस 1 मई के दिन छत्तीसगढ़ के सभी नागरिकों से बासी खाने की अपील की है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ की कला, संस्कृति और परंपरा के संरक्षण और संवर्धन के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ी संस्कृति और लोक परंपराओं, तीज-त्योहारों को बढ़ावा देने के लिए शाससकीय अवकाश घोषित किया है। वहीं तीज-त्योहार को प्रोत्साहन देने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन भी किए जा रहे हैं। एक मई को श्रमिक दिवस मनाय जाता है। यह परंपरा रही है कि छत्तीसगढ़ के श्रमिक सुबह-सुबह बोरे बासी खाकर अपने काम पर निकलते हैं। छत्तीसगढ़ मेहमान आ जाता है कि बोरे बासी खाने से स्वास्थ्य बेहतर रहता है तथा लोगों को कड़ी मेहनत करने में मदद मिलती है। अब जब एक मई मजदूर दिवस के दिन से बोरे बासी की थाली शुरू होने जा रही है तो कहा जा सकता है कि आम लोगों के लिए छत्तीसगढ़ में इस दिन का महत्व निश्चित रूप से और बढ़ जाने वाला है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने 01 मई को मजदूर दिवस को बोरे बासी के स्वास्थ्य और सांस्कृतिक महत्व को ध्यान में रखते हुए लोगों को बासी खाने अपील की है।
मुख्यमंत्री के आव्हान पर संस्कृति विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ी संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 01 मई को मजदूर दिवस के अवसर पर संस्कृति विभाग के परिसर स्थित गढ़ कलेवा में 01 मई से ‘बोरे बासी थाली’ का शुभारंभ होने जा रहा है। उल्लेखनीय है कि बोरे बासी रात में पके हुए चावल को रातभर पानी में भिगोकर सुबह पूरी तरह भीग जाने पर भाजी, टमाटर चटनी, टमाटर-मिर्ची की चटनी, प्याज, बरी-बिजौरी एवं आम-नींबू के आचार के साथ मजे से खाया जाता है।
बोरे बासी को सेहत स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें विटामिन बी-12 की प्रचूर मात्रा के साथ-साथ ब्लड और हाइपरटेंशन को नियंत्रित करने वाले तमाम तत्व होते हैं। बोरे बासी में आयरन, पोटेसियम, कैल्शियम की मात्रा भरपूर होती है। इसे खाने में पाचन क्रिया सही रहता है एवं शरीर में ठंडकता रहती है। छत्तीसगढ़ के किसान मजदूरों के साथ-साथ सभी वर्गों के लोग चाव के साथ बोरे बासी का सेवन करते आ रहे हैं। आधुनिकता और भाग-दौड़ भरी जिन्दगी तथा जागरूकता के अभाव में इसके खान-पान में जरूर कमी आई है, लेकिन छत्तीसगढ़ी खान-पान का प्रचार-प्रसार इसके संरक्षण और संवर्धन के लिए बेहतर उपाय होगा।
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