भिलाई. जिला उद्योग केंद्र को पता ही नहीं कि भिलाई औद्योगिक क्षेत्र में उनकी कितनी जमीनें है। इस बेपरवाही का नतीजा है कि जिला उद्योग केंद्...
भिलाई. जिला उद्योग केंद्र को पता ही नहीं कि भिलाई औद्योगिक क्षेत्र में उनकी कितनी जमीनें है। इस बेपरवाही का नतीजा है कि जिला उद्योग केंद्र की खाली जमीनें अवैध कब्जे में चली गई।
सूचना का अधिकार के तहत मांगे गए जवाब में इसका पर्दाफाश हुआ है। सूचना का अधिकार के तहत जब जिला उद्योग केंद्र से भिलाई में उनकी जमीन के संबंध में जानकारी मांगी गई, तो उद्योग केंद्र ने हाथ खड़े कर दिए।
बता दें कि भिलाई में भारी उद्योग, कम भारी उद्योग सहित 450 छोटी बड़ी कंपनियां है। जिन्हें भिलाई इस्पात संयंत्र का सहायक उद्योग भी कहा जाता है।
भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना के बाद 1960 में जिला उद्योग केंद्र की स्थापना हुई। भिलाई इस्पात संयंत्र के साथ साथ हजारों एकड़ जमीन जिला उद्योग केंद्र को हस्तांरित की गई थी। 1960 के बाद से तेजी से बीएसपी के सहायक उद्योग के रुप में छोटे बड़े उद्योग लगने शुरू हुए। इन उद्योगों को जिला उद्योग केंद्र ने जमीन आवंटित की।
भिलाई के जवाहर नगर से लेकर भिलाई चरोदा निगम के अकलोरडीह तक जिला उद्योग केंद्र की जमीन है, पर कुल कितनी जमीन है, कितनी अवंटित है, तथा कितनी रिक्त भूमि है इसका रिकार्ड उद्योग केंद्र के पास नहीं है। जिसका नतीजा है कि उद्योग केंद्र की करोड़ की बेशकीमती जमीनें कब्जा हो गई।
सूचना का अधिकार में नहीं मिला जवाब
भिलाई जिला भाजपा के प्रचार मंत्री राम उपकार तिवारी ने सूचना का अधिकार के तहत जिला उद्योग केंद्र से यह जानकारी चाही कि जिला उद्योग केंद्र की भिलाई में कितनी जमीनें है।
एक महीने बाद जवाब आया कि जिला उद्योग के पास कितनी जमीनें है इसका रिकार्ड ही नहीं है। कुल कितनी भूमि हस्तांरित हुई थी, कितनी भूमि 450 सहायक उद्योगों को आवंटित की गई है , तथा रिक्त भूमि कितनी शेष बची है, इसका कोई दस्तावेज नहीं है। जिला उद्योग केंद्र इसका जवाब नहीं दे सका।
कब्जा हो गई ज्यादातर जमीनें
जिला उद्योग केंद्र की अनदेखी व लापरवाही का नतीजा है कि भिलाई से लेकर हथखोज व अकलोरडीह तक उनकी बेशकीमती जमीनें कब्जा हो गई। जिला उद्योग केंद्र ने जिन स्थानों पर ग्रीन लैंड के लिए जमीन छोड़ रखी थी, वहां से भी पेड़ पौधे गायब हो गए, वहां भी स्थानीय लोगों अथवा कंपनियों का कब्जा हो गया।