रायपुर. छत्तीसगढ़ में बीपी और शुगर के मरीजों की पहचान व इलाज के लिए नेशनल कम्युनिकेबल डिसीज प्रोग्राम (एनसीडी) के तहत न तो एनसीडी का...
रायपुर. छत्तीसगढ़ में बीपी और शुगर के मरीजों की पहचान व इलाज के लिए नेशनल कम्युनिकेबल डिसीज प्रोग्राम (एनसीडी) के तहत न तो एनसीडी कार्ड बनाया जा रहा है और न ही स्क्रीनिंग की जा रही है। यही नहीं स्वास्थ्य केंद्रों में बीपी-शुगर की दवाओं का भी टोटा है। कोरोना काल में बंद योजना को स्वास्थ्य विभाग ने नए सिरे से शुरू किया था लेकिन कागजों में ही दबी हुई है।
नेशनल हेल्थ सर्वे-2021 के अनुसार, प्रदेश में 15 वर्ष से अधिक आयु के 2.15 करोड़ लोग हैं, जिनमें 24.05 प्रतिशत को बीपी तथा 9.05 को शुगर की समस्या है। वहीं, लोगों में अनियमित जीवनशैली की वजह से यह संख्या लगातार बढ़ते जा रही है। ऐसे मरीजों को चिन्हित कर सभी जिलों के शासकीय अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों में स्क्रीनिंग व एनसीडी कार्ड बनाया जाना है।
कार्ड में मरीजों के बीमारी की स्थिति, चलने वाली दवाएं समेत पूरी जानकारी देनी है ताकि उसके आधार पर जांच व इलाज उपलब्ध कराया जा सके। बीमार पड़ने पर चिकित्सक को मरीज के स्थिति की पूरी जानकारी मिल सके। बीपी व शुगर के मरीजों के लिए निश्शुल्क दवाएं भी दी जानी है लेकिन कई स्वास्थ्य केंद्रों में उपलब्ध नहीं है।
10 प्रतिशत संक्रमितों में शुगर की समस्या
चिकित्सकों के अनुसार, कोरोना से स्वस्थ हुए 10 प्रतिशत संक्रमितों में शुगर की समस्या सामने आई है। आंबेडकर अस्पताल के मेडिसिन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, कोविड के दौरान हर माह पहुंच रहे 600 पोस्ट कोविड के मरीजों में से 60 से 65 लोगों में शुगर बढ़ा मिला।
आंकड़ों पर एक नजर
2.15 करोड़ अधिक आबादी 15 आयु वर्ग से अधिक
24.05 प्रतिशत से अधिक को बीपी की समस्या
9.05 प्रतिशत से अधिक शुगर की समस्या से ग्रस्त
राज्य में 15 वर्ष से अधिक इतनी जनसंख्या को शुगर
वर्ग - शुगर (141-160) - (160 से अधिक)
महिला - 4.5 % - 3.8 %
पुरुष - 5.4 % - 4.4 %
राज्य में 15 वर्ष से अधिक इतनी जनसंख्या बीपी से प्रभावित
वर्ग - बीपी(140-159) - (160 से अधिक)
महिला - 14.8 % - 6.8 %
पुरुष - 19.0 % - 7.5 %
गैर संचारी रोग कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डा. महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा, एनसीडी कार्यक्रम के तहत सभी जिलों के शासकीय अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों में स्क्रीनिंग व मरीजों के एनसीडी कार्ड बनाया जाना है। यदि समस्या आ रही है तो इस संबंध में जिला स्तर पर समीक्षा कर व्यवस्था दुरुस्त करेंगे। दवाओं की व्यवस्था है।