भिलाई । असल बात न्यूज़।। बड़े घर की बेटी कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, ,, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा,रानी सारन्धा,नमक का दरोगा,सौत,आभूषण...
भिलाई ।
असल बात न्यूज़।।
बड़े घर की बेटी कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, ,, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा,रानी सारन्धा,नमक का दरोगा,सौत,आभूषण,प्रायश्चित,कामना मन्दिर और मसजिद मंत्र, आदि कहानियां पढ़ी विद्यार्थियों की मुंशी प्रेमचंद की कहानियां के प्रति रुचि दर्शाता है आज भी मीडिया के प्रभाव से प्रेमचंद का साहित्य अछूता है ।प्रेमचंद का साहित्य आज भी युवाओं द्वारा प्रमुखता से पढ़े जाते हैं उनकी लेखन क्षमता व जीवन मूल्य से प्रभावित है अवसर था स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय हिंदी विभाग एवं ग्रंथालय द्वारा मुंशी प्रेमचंद जयंती के अवसर पर आयोजित प्रेमचंद की कहानियों का पठन, एवं परिचर्चा के आयोजन का।
कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए डॉ सुनीता वर्मा विभागाध्यक्ष हिंदी ने कहा 1906 से 1936 के बीच लिखा गया प्रेमचंद का साहित्य इन तीस वर्षों का सामाजिक सांस्कृतिक दस्तावेज है। इसमें उस दौर के समाजसुधार आन्दोलनों, स्वाधीनता संग्राम तथा प्रगतिवादी आन्दोलनों के सामाजिक प्रभावों का स्पष्ट चित्रण है। उनमें दहेज, अनमेल विवाह, पराधीनता, लगान, छूआछूत, जाति भेद, विधवा विवाह, आधुनिकता, स्त्री-पुरुष समानता, आदि उस दौर की सभी प्रमुख समस्याओं का चित्रण मिलता है। आदर्शोन्मुख यथार्थवाद उनके साहित्य की मुख्य विशेषता है।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ श्रीमती हंसा शुक्ला ने बताया प्रेमचंद की कहानियों में अपनापन, सामाजिक दशा का वर्णन, जात-पात के भेदभाव से लेकर गरीबी और अमीरी के बीच झलकते दर्द को साफ महसूस किया जा सकता है। यही वजह है कि मुंशी प्रेमचंद की कहानी पढ़ते हुए बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्ग तक सभी रम जाते हैं।
महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारिणी अधिकारी डॉ दीपक शर्मा ने महाविद्यालय के हिंदी विभाग को बधाई देते हुए अपने संदेश में कहा प्रेमचन्द के समान रचनात्मक क्षमता वाले दूसरे व्यक्ति हिंदी साहित्य में संभवतया ही कोई दूसरा हुआ होगा।उनकी कहानियां मात्र हास्य या फिर मनोरंजन के लिए ही नहीं है बल्कि वे समाज में व्याप्त कुरीतियों का पर्दाफाश भी करती हैं। लोगों को नैतिक मूल्यों व गुणों के बारे में परिचित करवाती हैं व समाज में मित्रता, प्रेम, सहयोग की भावना को बढ़ावा देती हैं।
दीक्षा मढ़रिया एमएससी गणित तृतीय सेमेस्टर ने बताया आज मैंने मुंशी प्रेमचंद की मंत्र कहानी पढ़ी जिसमें मुझे शिक्षा मिली गरीब आदमी में मानवता ज्यादा होती है। बबली यादव बी एड तृतीय सेमेस्टर ने बताया नशे की आदत के कारण इंसान कितना नीचे गिर जाता है यह मैंने आज कफन कहानी पढ़ने से जाना। निकिता एमएससी तृतीय वर्ष गणित के विद्यार्थी ने बताया घीसू को नशे की बुरी आदत है जिस बुधिया के मेहनत के कारण उसका पेट भरता है जब वह प्रसव पीड़ा के कारण स्वर्ग सिधार जाती है तो उसके कफन के पैसों को मधुशाला में जाकर नशे में उड़ा देता है। व्यक्ति का नशे में पतन कैसे होता है कहानी चरितार्थ करती हैं। स.प्रा. मीना मिश्रा ने बताया प्रेमचंद ने बड़े ही सरल, स्वाभाविक ढंग से पात्रों के माध्यम से अपनी बातें रखीं हैं, जो सीधे-सीधे हमारे दिल में उतर जाती है, हमारा उनका दिल से रिश्ता बन जाता है। डॉ शमा अफरोज बैग विभागाध्यक्ष माइक्रोबायोलॉजी ने कहा आज हमें अपना आत्म सम्मान बनाए रखना चाहिए चाहे वह ससुराल में हो या मायके में। पर कोई क्षमा मांगता है तो उसे क्षमा कर देना चाहिए यही बड़े घर की बेटी की कहानी का मुख्य उद्देश्य है व्यक्ति धन दौलत से नहीं अपितु अपने व्यक्तित्व क्षमाशीलता से आगे बढ़ता है। ग्रंथपाल नीलिमा साहू ने बताया प्रेमचंद की कहानियां आदर्श जीवन की सीख देती है।' दीपिका एवं भावना बीसीए द्वितीय वर्ष में बताया मुंशी प्रेमचंद' द्वारा लिखी गई “ईदगाह” कहानी एक उद्देश्यपूर्ण कहानी है। यह बाल मनोविज्ञान को गहनता से दर्शाती है। इस कहानी को पढ़कर ज्ञात होता है कि परिस्थितियां उम्र नहीं देखती और एक छोटा सा बालक भी विषम परिस्थितियों में समय से पहले परिपक्व हो जाता है। ।कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ सावित्री शर्मा डॉ पूनम निकुंभ डॉ अभिलाषा शर्मा स प्रा जानकी जंघेल स प्रा मोनिका मेश्राम , ग्रंथालय सहायक नेहा भारती ने विशेष योगदान दिया।