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स्वरुपानंद महाविद्याालय में इंटेलेक्चुअल प्रापर्टी विषय पर राष्ट्रीय बौद्धिक गुण जागरुकता मिशन के तहत ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन

  भिलाई । असल बात न्यूज़।। स्वामी श्री स्वरुपानंद सरस्वती महाविद्यालय में राष्ट्रीय बौद्धिक गुण जागरुकता मिशन के तहत इंटेलेक्चुअल प्रापर्टी ...

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 भिलाई ।

असल बात न्यूज़।।

स्वामी श्री स्वरुपानंद सरस्वती महाविद्यालय में राष्ट्रीय बौद्धिक गुण जागरुकता मिशन के तहत इंटेलेक्चुअल प्रापर्टी राइट्स पेटेण्ट एण्ड डिजाइन फिलिंग विषय पर ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया गया। 

कार्यक्रम संयोजिका डॉ शमा ए बैग विभागाध्यक्ष माइक्रोबॉयलाजी ने कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि निपम द्वारा करवाई गई कार्यशाला शोधार्थियों एवं नवाचार अभ्यास पर शोध के लिए बहुत महत्तवपूर्ण है। आरजीएनआईआईपीएम नागपुर द्वारा किया गया प्रयास सराहनीय है। इस कार्यशाला का प्रमुख उद्देश्य समाज के सभी वर्गो, छात्रों, शिक्षकों, शोधार्थियों में आईपीआर के तीन आर्थिक, सामाजिक और संस्कृति लाभों के बारे में जागरुकता पैदा करना है। यह कार्यशाला छत्तीसगढ़ में इस विषय के विस्तार का एक प्रयास है।

महाविद्यालय के सीओओ डॉ. दीपक शर्मा ने कहा कि महाविद्यालय में इस प्रकार के कार्यशाला कराये जाने से शोधार्थियो में अनुसंधान एवं शोध कार्य को पेटेण्ट एवं कॉपी राइट कराने संबंधित जानकारी मिली जो वर्तमान में शोधार्थियों के लिये महत्वपूर्ण एवं आवश्यक है।

प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने कहा कि कार्यशाला के द्वारा शोधार्थियों को अपने शोध कार्य को कैसे पेटेण्ट कराना है, उसकी क्या प्रक्रिया होती है इस संबंध में जानकारी प्राप्त होगी तथा यह भी जागरुकता आयेगी कि हमारा शोधकार्य चोरी ना हो, उसका कॉपीराइट कैसे करवाये।  

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रुप में श्रीमती पूजा विशाल मौऊलीकर इक्सामिनर ऑफ पेटेन्ट एव डिजाइन आरजीएनआईआईआरएम नागपुर ने अपने वक्तव्य में कहा स्कूल और कॉलेज यदि आईपीआर पर ध्यान दे ंतो वे संस्था के उत्थान के साथ समाज को भी लाभांवित कर सकते है एकेडेमीशियन्स अपने नवाचार को इंडस्ट्रीयलिस्ट के साथ समावेशित कर उसका व्यवसायीकरण कर सकते है। ज्ञान का उपयोग कर हम हर परेशानी का हल निकाल सकते है। उन्होने शंका समाधान करते हुये बताया कि इन्वेंशन का पेटेंट होता है डिस्कवरी का नहीं। अविष्कार के लिये समस्या को जानना तथा उसका निराकरण कर उसको पेटेंट कराना आवश्यक है। टाटा नैनो ने 31 डिजाईन और टेक्नोलॉजी पेटेंट किये। डिजाईन को फाईलिंग के पहले सोसायटी में यूज नहीं करना है, किसी को नहीं बताना है। किसी भी डिजाईन को 15 वर्ष के लिये पेटेंट कर सकते है। ट्रेडमार्क्स, जियोग्राफिकल इंडिकेशन 10 वर्ष के लिये डिजाईन और ट्रेडमार्क्स को मिलाकर पेटेंट कर सकते है। फाईलिंग चार प्रकार के होते है - स्टार्टअप, छोटी इकाई, स्वयं एवं कम्पनी के लिये। पेटेंट फाईलिंग के क्लेम के समय में सब बातें बताना है।  

कार्यक्रम मे उपप्राचार्य डॅा अंजरा हुसैन ने कहा कार्यशाला से विद्यार्थियांे एवं शोधर्थियो में शोध एवं इनोवेटिवस कार्यो को कैसे सुरक्षित किया जाए इसकी जानकरी प्राप्त हुई इससे विद्यार्थियों में शोध संबंधी जागरुकता आयेगी। उन्होंने रिसर्च कमेटी को कार्यशाला कराये जाने पर बधाई दी।

इस कार्यक्रम में पंजीयन निःशुल्क था जिसमें 400 प्राध्याापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थियों ने पंजीयन कराया एवं राष्ट्रीय बौद्धिक गुण जागरुकता मिशन द्वारा दी गई जानकारी का लाभ उठाया इस कार्यक्रम मे महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकगण उपस्थित थे तथा कार्यशाला में एमओयू के तहत शासकीय व्ही.वाय.टी. स्नातकोत्तर महाविद्यालय दुर्ग, शासकीय वासुदेव वामन पाटणकर महिला महाविद्यालय, दुर्ग शासकीय कमलादेवी राठी महिला महाविद्यालय, राजनांदगांव, शासकीय दिग्विजय कॉलेज राजनांदगांव, शासकीय नेहरु महाविद्यालय डोंगरगढ़, शासकीय महाविद्यालय बालोद, शासकीय डॉ. बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर महाविद्यालय, डोंगरगांव, देवसंस्कृति शिक्षा एवं तकनीकी महाविद्यालय, खपरी, सेठ बद्रीनाथ खंडेलवाल  महाविद्यालय, दुर्ग के प्राध्यापक एवं विद्यार्थी शामिल हुए।

  कार्यशाला में मंच संचालन स.प्रा. डॉ शैलजा पवार शिक्षा विभाग ने किया। आभार प्रदर्शन स.प्रा.डॉ शमा ए. बेग ने किया।