नई दिल्ली। असल बात न्यूज़।। सभी तक समुचित विधिक सेवा उपलब्ध कराने के लिए अब आदर्श संचार क्रांति का उपयोग किया जा रहा है। देश में कमजोर वर्...
नई दिल्ली।
सभी तक समुचित विधिक सेवा उपलब्ध कराने के लिए अब आदर्श संचार क्रांति का उपयोग किया जा रहा है। देश में कमजोर वर्ग के नागरिकों को निशुल्क टेली लॉ सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में भी यह सुझाव लेकर आने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए अभी लगभग एक लाख ग्राम पंचायतों को वहां उपलब्ध कॉमन सर्विस सेंटर्स (सीएससी) से जोड़ा जा रहा है।कानून और न्याय मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने जयपुर में 18वीं अखिल भारतीय कानूनी सेवा की बैठक में इस योजना की घोषणा की। इसमें अधिवक्ताओं का पैनल बनाया जा रहा है जोकि नागरिकों को निशुल्क विधिक सेवा उपलब्ध कराने के लिए अपनी सेवाए देंगे।
निशुल्क टेली-लॉ सेवा का मुख्य उद्देश्य कमजोर वर्ग के उन लोगों तक विधिक सेवा उपलब्ध कराना है जोकि जानकारी तथा सुविधा के अभाव में न्याय पानी से वंचित रह जाते हैं। टेली-लॉ को ग्राम पंचायतों में उपलब्ध लगभग एक लाख टेली/वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से जोड़ दिया गया है। आसान और सीधी पहुंच के लिए टेली-लॉ मोबाइल एप्लिकेशन (एंड्रॉइड और आईओएस दोनों) को पूर्व में 2021 में लॉन्च किया गया है और यह वर्तमान में 22 अनुसूचित भाषाओं में उपलब्ध है। इस डिजिटल क्रांति का लाभ उठाते हुए, टेली-लॉ ने केवल पांच वर्षों में कानूनी सेवाओं की पहुंच को 20 लाख + लाभार्थियों तक बढ़ा दिया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि न्याय के उद्देश्य को आगे बढ़ाने और नागरिकों के बीच सबसे बड़े एकीकरण कारक के रूप में कानून के शासन को स्थापित करने की हमारी संयुक्त प्रतिबद्धता का प्रतीक है। एमओयू के प्रावधान के तहत, नालसा प्रत्येक जिले में विशेष रूप से टेली-लॉ कार्यक्रम के लिए 700 वकीलों की सेवाएं प्रदान करेगा। पैनल में शामिल ये वकील अब रेफरल वकीलों के रूप में भी काम करेंगे और मुकदमेबाजी से पहले के चरण में विवाद से बचाव और विवाद समाधान के तंत्र को मजबूत करने में भी मदद करेंगे। श्री किरेन रिजिजू ने विश्वास व्यक्त किया कि एसोसिएशन कुछ ही समय में 1 करोड़ लाभार्थियों तक पहुंचने में मदद करेगा।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, श्री किरेन रिजिजू ने विचाराधीन कैदियों की रिहाई से जेलों की भीड़भाड़ कम करने की आवश्यकता पर बल दिया। NALSA अपने SLSAs और DLSAs के माध्यम से पहले से ही इस संबंध में समीक्षा समिति (UTRCs) के माध्यम से विचाराधीन कैदियों को मुफ्त कानूनी सहायता/कानूनी परामर्शदाता उपलब्ध कराकर काम कर रहा है। पिछले वर्ष के दौरान यूटीआरसी की कुल 21,148 बैठकें आयोजित की गईं, जिसके परिणामस्वरूप 31,605 विचाराधीन कैदियों को रिहा किया गया।
मंत्री ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकारियों से विचाराधीन कैदियों को कानूनी परामर्श/सहायता प्रदान करने के अपने प्रयासों को और तेज करने की अपील की ताकि विचाराधीन समीक्षा समिति के समन्वय से अधिक से अधिक विचाराधीन कैदियों को रिहा किया जा सके। उन्होंने उच्च न्यायालयों से इस अवधि के दौरान संबंधित जिला न्यायाधीश की अध्यक्षता में यूटीआरसी की नियमित बैठकें सुनिश्चित करने की अपील की ताकि हमारी जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की अधिकतम संख्या को 15 अगस्त 2022 से पहले रिहा करने की सिफारिश की जा सके। उन्होंने कहा कि विचाराधीन कैदियों की रिहाई हो सकती है। "आजादी का अमृत महोत्सव" के उत्सव के हिस्से के रूप में भारत सरकार ने पहले ही कैदियों को विशेष छूट देने का फैसला किया है