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शराब नीति के कार्यान्वयन में नियमों के उल्लंघन और प्रक्रियात्मक खामियों को लेकर मुख्य सचिव की रिपोर्ट

  नई दिल्ली. दिल्ली में शराब नीति को लेकर सीबीआई जांच शुरू हो चुकी है। अब शराब नीति के कार्यान्वयन में नियमों के उल्लंघन और प्रक्रियात्मक ...

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नई दिल्ली. दिल्ली में शराब नीति को लेकर सीबीआई जांच शुरू हो चुकी है। अब शराब नीति के कार्यान्वयन में नियमों के उल्लंघन और प्रक्रियात्मक खामियों को लेकर मुख्य सचिव की रिपोर्ट पर दिल्ली सरकार के सूत्रों ने बिंदुवार आरोपों का खंडन जारी किया है। सरकार के सूत्रों का कहना है कि सरकार ने किसी को अनुचित लाभ नहीं पहुंचाया है।

सरकार के सूत्रों का कहना है कि जो छूट दी गई है वह कोर्ट के निर्देश पर दी गई है। बताते चलें कि मुख्य सचिव की इसी रिपोर्ट में मिली खामियों के आधार पर ही उपराज्यपाल ने शराब नीति को लेकर सीबीआई जांच की सिफारिश की थी।

छूट देने के आरोप गलत 
दिल्ली सरकार के सूत्रों के मुताबिक मुख्य सचिव की रिपोर्ट में उल्लेखित 144.35 करोड़ रुपये की छूट देने के आरोप गलत हैं। सूत्रों का कहना है कि लाइसेंस शुल्क इसलिए माफ किया गया था क्योंकि लाइसेंसधारियों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि, सरकार ने माना है कि लाइसेंस के निविदा दस्तावेज में मुआवजे के लिए ऐसा कोई विशेष प्रावधान नहीं था। लाइसेंसधारियों ने 17 नवंबर से शराब की दुकानें खुलने के तुरंत बाद लगे लॉकडाउन के चलते लाइसेंस शुल्क में छूट की मांग की थी। सरकार ने छूट वाली मांग को खारिज कर दिया था। जिसपर लाइसेंसधारी 6 जनवरी को अदालत चले गए। कोर्ट ने एक सप्ताह में इसके निपटारे का निर्देश दिया था। उसके बाद आबकारी विभाग की गणना के आधार पर प्रत्येक लाइसेंसधारी को यथानुपात लाइसेंस शुल्क में छूट दी गई।

राजस्व का कोई नुकसान नहीं हुआ 
सरकार के सूत्रों का कहना है कि हवाईअड्डा जोन में बयाना राशि (ईएमडी) के रूप में 30 करोड़ रुपये की राशि को वापस करने पर सरकार को कोई राजस्व नुकसान नहीं हुआ है। मुख्य सचिव की रिपोर्ट में उल्लेखित यह आरोप भी गलत है। सूत्रों के मुताबिक लाइसेंसधारी हवाईअड्डा अधिकारियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने में विफल रहा। इसके चलते बोलीदाता की ईएमडी सरकार द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार वापस कर दी गई थी। इस मुद्दे को भी आबकारी मंत्री के समक्ष रखा गया था।

सूत्रों ने शराब की दरों में छूट पर बचाव किया है। उन्होंने कहा कि जब बाजार में छूट को लेकर गड़बड़ी पैदा होने की आशंका हुई तो छूट को 25 प्रतिशत तक सीमित कर दिया गया था। इस बात का भी खंडन किया कि भुगतान में चूक के लिए लाइसेंसधारियों पर कार्रवाई में छूट दी गई। कहा कि कोर्ट के आदेश के कारण खुदरा लाइसेंसधारियों को दंडात्मक कार्रवाई से छूट दी गई थी।

ड्राई-डे की संख्या घटाने का भी बचाव
सूत्रों ने एलजी की पूर्व स्वीकृति के बिना नई नीति में पुराने शासन में ड्राई डे दिनों की संख्या को 21 से घटाकर तीन करने का भी बचाव किया। सरकार के सूत्रों के मुताबिक दिल्ली सरकार की शक्तियों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, (2019 के बाद) से प्रत्येक वर्ष के लिए ड्राई डे की संख्या को प्रभारी मंत्री द्वारा ही मंजूरी दी गई थी।

इसलिए दिए दो विस्तार
बगैर एलजी की मंजूरी के शराब नीति को दो बार बढ़ाने के आरोपों पर सरकार के सूत्रों का कहना है कि आबकारी नीति की शुरुआती समस्याओं को स्थिर करने के लिए यह एक्सटेंशन दिया गया था। यह इसलिए भी जरूरी था क्योंकि मुख्य सचिव और कानून सचिव आबकारी नीति पर टिप्पणी करने में समय ले रहे थे।

गैर अनुपालन क्षेत्रों में दुकान को मंजूरी
गैर-अनुपालन क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोलने के मुद्दे पर, सरकारी सूत्रों ने कहा कि यह व्यवस्था लंबे समय से चल रही थी। उन्होंने कहा कि पुरानी नीति के तहत ही गैर-अनुपालन क्षेत्रों में शराब की दुकानों की अनुमति दी गई थी।