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पूरी तरह छत्तीसगढ़िया रंग में रंगा नज़र आ रहा है मुख्यमंत्री निवास, सैकड़ों की संख्या में एकत्रित हुई हैं महिलाएं, विभिन्न लोकरंग की प्रस्तुतियां

तिजहारिन माताओं बहनों का मायका बना मुख्यमंत्री निवास, पारंपरिक छत्तीसगढ़िया अंदाज में मना रहे उत्सव *तीजहारिन माताओं व बहनों के साथ मुख्यमंत...

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तिजहारिन माताओं बहनों का मायका बना मुख्यमंत्री निवास, पारंपरिक छत्तीसगढ़िया अंदाज में मना रहे उत्सव

*तीजहारिन माताओं व बहनों के साथ मुख्यमंत्री ने भी किया पारंपरिक नृत्य

*स्थानीय कलाकारों और नर्तक दलों ने बिखेरी छत्तीसगढ़ी संस्कृति की छटा

रायपुर ।

असल बात न्यूज़।। 

       00 मुख्यमंत्री निवास से Live 

तीन दिनों तक चलने वाले छत्तीसगढ़ के पारंपरिक तीजा पोरा त्यौहार की शुरुआत हो चुकी है। बहन- बेटियां तीजा का त्यौहार मनाने के लिए अपने मायके का रुख कर रही हैं। माता, बहनों- बेटियों के स्वागत के लिए आज मुख्यमंत्री निवास में भी आकर्षक साज-सज्जा की गई है। मुख्यमंत्री निवास आज पूरी तरह से छत्तीसगढ़िया रंग में रंगा नजर आ रहा है। पूरे प्रदेश से माताएं बहनें तीजा का उत्सव मनाने के लिए मुख्यमंत्री निवास में एकत्र हो रही हैं। उनमें अपने परंपरागत किस त्यौहार को लेकर एक उत्साह, खुशियां और उमंग दिखाई देता है। आज मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल का घर तिजहारिनों का मायका बन गया है। तिजहारिनों के स्वागत के लिए मुख्यमंत्री निवास में जमकर साज- सज्जा लाइटिंग की गई है

तीज त्योहार के मौके पर मायके आने वाली बहन- बेटियों के चेहरे पर खुशी और संतोष की जो मुस्कान नजर आती है वही मुस्कान यहां हर महिला के चेहरे पर नजर आ रही है।  हाथों में मेहंदी और पैर में माहूर सजाकर पहुंच रही माताओं बहनों का यहां परंपरागत तरीके से छत्तीसगढ़ी संस्कृति के अनुरूप की गई सजावट मन मोह ले रही है। मुख्यमंत्री निवास में एक तरफ चलो रहा पोरा त्यौहार का गीत संगीत लोगों का मन मोह ले रहा है।मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने तीजा-पोरा की बधाई और शुभकामनाएं देते हुए सभी अतिथियों का स्वागत एवं अभिनंदन किया।उन्होने कहा कि तीजा-पोरा खेती- किसानी, बहु बेटियों का त्यौहार है। वे आप सभी का स्वागत करते हैं।

*साज सज्जा में छत्तीसगढ़ी संस्कृति की झलक

तीजा-पोरा तिहार के लिए पूरे मुख्यमंत्री निवास की पारम्परिक रूप में भव्य सजावट की गई है। मुख्य मंडप में प्रवेश के तीन द्वार बनाए गए हैं। मुख्य द्वार को पोरा पर्व के प्रतीक पारंपरिक नांदिया बैला से सजाया गया है। मुख्य द्वार के सामने पारम्परिक झूले- रईचुल, बैलगाड़ी, बस्तर जनजातीय आर्ट और छत्तीसगढ़ी जन-जीवन से जुड़े चित्रों का प्रदर्शन किया गया है। मध्य द्वार को पोरा पर्व से जुड़े पारम्परिक बर्तनों से बनाया गया है। मध्य और तीसरे द्वार के बीच की गैलरी को रंग-बिरंगे मटकों और रंगीन टोकनी के द्वारा आकर्षक कलेवर दिया गया है। तीसरे द्वार की सजावट पर सरगुजा अंचल की संस्कृति की छाप है।

*ग्रामीण परिवेश की झलक और खूबसूरत सेल्फी जोन

मुख्य मंडल के पूर्वी हिस्से में छत्तीसगढ़ी ग्रामीण परिवेश को दर्शाते एक मिट्टी का घर बना है। इसकी साज-सज्जा में पोरा से जुड़े विभिन्न प्रतीकों का इस्तेमाल किया गया है। घर के द्वार पर तुलसी चौरा और नन्दी बनाए गए हैं। यहां ग्रामीण जीवन मे उपयोग में आने वाले बर्तन व अन्य वस्तुओं जैसे पोरा, कढ़ाही, सुराही, बेलन-चौकी, ढकना, बाल्टी, चूल्हा आदि के मिट्टी के छोटे प्रतीकों सहित लकड़ी के नागर, बैलगाड़ी का चक्का और झाड़ू रखे हैं। इस घर की खिड़की में भी सेल्फी ज़ोन बनाया गया है। घर के बगल में मंदिर बना है जहां रखे शिवलिंग की मुख्यमंत्री सहित वहां मौजूद महिलाओं ने पूजा-अर्चना की।

*हाथों में मेहंदी, पैर में माहुर और चेहरे पर मुस्कान

मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री निवास में आई थी जीजा हरि माताओं बहनों ने यहां हाथों में मेहंदी सजाई और पैर में माहूर लगाया। जब बेटी अपने मायके आती है तो वह कुछ इसी तरह साज श्रृंगार कर तीजा के त्यौहार में शामिल होती है। इस दौरान उनके चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान खिली नजर आ रही थी जो इस पूरे माहौल को और भी खूबसूरत बना रही थी।

*भगवान शिव और नंदी बैल की पूजा

त्योहार के लिए मुख्यमंत्री निवास को तिजहारिन महिलाओं का मायका बना दिया गया था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी पत्नी मुक्तेश्वरी बघेल ने कांग्रेस की महिला सांसदों-विधायकों और पूरे प्रदेश से आई माताओं बहनों के साथ भगवान शिव, नंदी बैल और चुंकिया-पोरा की पूजा की और प्रदेश की खुशहाली के लिए कामना की।

*फुगड़ी-कबड्डी और जलेबी दौड़ का उत्साह

तीजा-पोरा तिहार के मंडप में महिलाओं के बीच फुगड़ी जैसी प्रतियोगिताएं भी हुईं। इसमें महिलाओं के कई समूहों ने हिस्सा लिया। चम्मच दौड़, जलेबी दौड़, बोरा दौड़ की प्रतियोगिताओं ने प्रतिभागियों के साथ दर्शकों को भी खूब हंसाया।सीएम भूपेश भईया ने बहनों के साथ मिलकर लोकरंग अर्जुन्दा के कलाकारों के सुंदर गीतों का आनंद लिया।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इस अवसर पर पोरा-तीजा तिहार में परिवार के साथ भगवान शिव और नंदीश्वर की पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख और सृमद्धि की कामना की। उन्होंने खेती-किसानी और छत्तीसगढ़ी संस्कृति के प्रतीक पोला तिहार की प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ धन-धान्य से भरपूर रहे और हमारे पशुधन हमारी तरक्की में सहायक बने रहें।

तीजा-पोरा के उत्सव में सीएम हाउस पहुंची छत्तीसगढ़ की सुप्रसिद्घ लोकगायिका और खैरागढ़ विश्वविद्यालय की कुलपति ममता चंद्राकरजी ने 'तोर मन कइसे लागे राजा' गीत से तीजा के उत्सव  को और खास बनाया।  सीएम भूपेश बघेल और तीज मनाने पहुंची छत्तीसगढ़ की बहनों ने उनके गीतों का आनंद लिया और तीजहारिन महिलाओं के साथ मुख्यमंत्री भी खुद को थिरकने से रोक नहीं सके. 

हरेली के बाद छत्तीसगढ़ के पारम्परिक त्यौहारों ‘पोरा-तीजा‘ को व्यापक स्तर पर मनाने के लिए मुख्यमंत्री के रायपुर स्थित निवास में विशेष इंतजाम किए गए थे। छत्तीसगढ़ की परम्परा और रीति-रिवाज के अनुसार साज-सज्जा  स्थानीय खेलों का आयोजन किया गया और सवाल जवाब भी किए गए, इसके बाद स्थानीय कलाकारों और नर्तक दलों की प्रस्तुति ने छत्तीसगढ़ी संस्कृति की छटा बिखेर दी।

 इस मौके पर गृहमंत्री श्री ताम्रध्वज साहू,अनुसूचित जाति एवं आदिमजाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह, महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक, छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष श्री कुलदीप जुनेजा, राज्यसभा सांसद श्री के टी एस तुलसी, श्रीमती रंजीता रंजन, श्रीमती फूलो देवी नेताम, खैरागढ़ संगीत विश्व विद्यालय की कुलपति श्रीमती ममता चंद्राकर, पूर्व राज्यसभा सांसद श्रीमती छाया वर्मा सहित समस्त जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में महिलाएं उपस्थित थी।  

    पोरा-तीजा तिहार में रंग-बिरंगे परिधानों में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में महिलाएं मुख्यमंत्री निवास पहुंची थीं। मुख्यमंत्री निवास में तीज मनाने आयी महिलाओं के लिए श्रृंगार की व्यवस्था भी की गई थी। महिलाओं के लिए मेंहदी, आलता लगाने के साथ ही रंग-बिरंगी चूड़ियों की व्यवस्था भी थी। महिलाओं ने इस अवसर पर आयोजित जलेबी दौड़, मटकी डांस, कबड्डी सहित अनेक खेलों में बड़े ही उत्साह से हिस्सा लिया।

पोरा-तीजा तिहार के अवसर पर भगवान शिव और नंदी-बैल की पूजा की गई। तीजा महोत्सव के लिए प्रदेश के विभिन्न स्थानों से बहनों को यहां आमंत्रित किया गया था। इस अवसर पर बहनों द्वारा करूभात खाने की रस्म पूरी की गई।


















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