नई दिल्ली . केंद्र और गुजरात दोनों जगहों पर भाजपा की सरकार है। लेकिन बिल्किस बानो रेप केस के आरोपियों की रिहाई के मामले में दोनों के बीच...
नई दिल्ली. केंद्र और गुजरात दोनों जगहों पर भाजपा की सरकार है। लेकिन बिल्किस बानो रेप केस के आरोपियों की रिहाई के मामले में दोनों के बीच सामंजस्य के अभाव की बात सामने आई है। बताया जा रहा है कि इन आरोपियों की रिहाई में राज्य सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा दी गई गाडलाइंस को दरकिनार कर दिया गया है। कहा जा रहा है कि आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान जिन कैदियों के रिहाई के लिए केंद्र सरकार की तरफ से अनुमति मिली थी, उसमें रेप आरोपी शामिल नहीं थे। इसके बावजूद गुजरात सरकार ने बिल्किस बानो रेप केस में उम्रकैद की सजा काट रहे 11 व्यक्तियों को आजाद कर दिया।
केंद्र ने यह दिया था दिशा-निर्देश
इस साल जून में आजादी के अमृत महोत्सव के तहत केंद्र सरकार ने राज्यों के
लिए एक दिशा-निर्देश जारी किया था। इसके तहत जेल में लंबे समय से सजा काट
रहे अपराधियों को छोड़ने के लिए स्पेशल पॉलिसी का प्रस्ताव दिया गया था।
हालांकि इसमें रेप केस में सजा काट रहे अपराधियों को छोड़ने का प्रावधान
नहीं था। इस तरह तकनीकी रूप से देखें तो बिल्किस बानो रेप केस के आरोपी इस
गाइडलाइन के मुताबिक नहीं छोड़े जा सकते थे। लेकिन इस मामले में गुजरात
सरकार ने अपनी पॉलिसी का पालन किया और माफी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में
द्वारा मई में दिए गए निर्देशों के तहत इन्हें जेल से छोड़ दिया।
हमें नहीं बताया गया, बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई पर पति ने जताई हैरानी; कहा- छिपकर रह रहे
क्राइटेरिया का पूरी तरह से पालन नहीं
हालांकि इसके बावजूद गुजरात सरकार यह फैसला रेप केस के मुजरिमों को न
छोड़ने के केंद्र सरकार के सिद्धांत के खिलाफ चला गया है। सिर्फ इतना ही
नहीं, गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर मौजूद केंद्र सरकार की गाइडलाइंस में एक
प्वॉइंट यह भी है कि उम्रकैद की सजा पाने वालों को भी नहीं छोड़ना है। इस
तरह से भी बिल्किस बानो रेप केस के 11 आरोपी इस क्राइटेरिया को फॉलो नहीं
करते। वहीं गोधरा उपजेल से बाहर आने के बाद आरोपियों का मिठाई खिलाकर
स्वागत किया गया। जेल से बाहर आने के बाद याचिका लगाने वाले राधेश्याम शाह
ने इस पर खुशी जताई। उनकी याचिका पर ही रिहाई का फैसला हुआ है। राधेश्याम
ने कहा कि अब मैं अपने परिवार से मिलूंगा और एक नई जिंदगी की शुरुआत
करूंगा।
2002 में हुई थी घटना
गौरतलब है कि 2002 में गोधरा दंगों के दौरान बिल्किस बानों के साथ गैंगरेप
हुआ था। इस दौरान उसके परिवार के कुछ सदस्यों की हत्या भी कर दी गई थी। उस
वक्त बिल्किस बानो की उम्र 21 साल थी और वह पांच माह की गर्भवती भी थी। 3
मार्च 2002 को हुई इस घटना में बिल्किस के परिवार के छह सदस्यों के साथ
उसकी मासूम बच्ची की भी हत्या कर दी गई थी। 2008 में मुंबई सीबीआई की
स्पेशल कोर्ट ने इस मामले में 11 दोषियों को आजीवन उम्रकैद की सजा सुनाई
थी। बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा था। बता दें कि
आरोपियों की रिहाई पर बिल्किस बानो के परिवार ने भी हैरानी जताई है। साथ ही
उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इस प्रक्रिया के बारे में जानकारी नहीं दी
गई थी।