नई दिल्ली. कांग्रेस का बागी जी-23 समूह पार्टी की मुश्किलें और बढ़ाता दिख रहा है। बीते सप्ताह वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस छोड़ ...
नई दिल्ली. कांग्रेस का बागी जी-23 समूह पार्टी की मुश्किलें और बढ़ाता दिख रहा है। बीते सप्ताह वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस छोड़ दी थी, लेकिन अब यह आग बढ़ती दिख रही है। मंगलवार को पार्टी के सीनियर नेता आनंद शर्मा, हरियाणा के पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा और पृथ्वीराज चव्हाण ने गुलाम नबी आजाद से दिल्ली में मुलाकात की। ये सभी नेता उस जी-23 का हिस्सा हैं, जिन्होंने सोनिया गांधी को पार्टी में सुधार के लिए पत्र लिखा था। माना जाता है कि उस लेटर के बाद से ही यह नेता पार्टी में साइडलाइन चल रहे हैं। भले ही तीनों नेताओं ने कहा कि वह गुलाम नबी आजाद के पुराने मित्र हैं और यह मीटिंग औपचारिक थी। लेकिन कयास जरूर लगने लगे हैं।
दरअसल हरियाणा में कांग्रेस ने भूपिंदर सिंह हुड्डा को कमान दी है। उनके करीबी उदयभान को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है और उनकी विरोधी कही जाने वाली कुमारी शैलजा को पद से हटाया गया है। उसके बाद भी हुड्डा का आजाद के खेमे में रहना कांग्रेस को अलर्ट करने वाला है। इसके अलावा जी-23 का ही हिस्सा कहे जाने वाले शशि थरूर भी अलग ही सुर में दिख रहे हैं। उनका कहना है कि पार्टी अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होना चाहिए और जितने ज्यादा उम्मीदवार होंगे, उतना ही बेहतर होगा। उनके स्टैंड से यह चर्चा शुरू हो गई है कि वह भी अध्यक्ष पद के चुनाव में उतर सकते हैं। साफ है कि जी-23 समूह पार्टी के अंदर और बाहर दोनों तरफ से मुश्किल बढ़ा रहा है।
गुलाम नबी आजाद से मुलाकात के बाद कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि पार्टी ने अपने रवैये में बदलाव नहीं किया। इसी के चलते आजाद साहब को पार्टी से अलग होने का फैसला लेना पड़ा। इस बीच जी-23 के कुछ और नेता अनौपचारिक मीटिंग कर रहे हैं और जल्दी ही उनकी ओर से भी कुछ ऐलान किया जा सकता है। इन नेताओं के साथ शशि थरूर भी आ सकते हैं, जिनके बारे में चर्चा है कि पार्टी अध्यक्ष के लिए वह चुनाव लड़ सकते हैं। साफ है कि कांग्रेस की मुश्किलें आने वाले दिनों में बागी बढ़ा सकते हैं। यही नहीं गुलाम नबी आजाद ने जो संकट जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस के सामने खड़ा किया है, वैसी ही चुनौती हिमाचल प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों में भी सामने आ सकती है।