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किसानों की एकता में फूट! संयुक्त किसान मोर्चा ने इस आंदोलन से खुद को किया अलग

  किसान संगठनों की ओर से सोमवार को दिल्ली में प्रदर्शन किया गया था और महापंचायत भी की गई। लेकिन किसान संगठनों में ही इस मसले को लेकर फूट द...

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किसान संगठनों की ओर से सोमवार को दिल्ली में प्रदर्शन किया गया था और महापंचायत भी की गई। लेकिन किसान संगठनों में ही इस मसले को लेकर फूट दिख रही है। संयुक्त किसान मोर्चा ने इस आंदोलन से खुद को अलग किया है और कहा कि हमारा इससे कोई लेना-देना नहीं है। दिल्ली की सीमाओं पर एक साल तक चले प्रदर्शनों का नेतृत्व करने वाले संगठन ने कहा कि हमने इस बार किसी आंदोलन या प्रदर्शन का आह्लान नहीं किया है। संयुक्त किसान मोर्चे ने भी साफ किया कि यह आंदोलन उन कुछ संगठनों ने बुलाया है, जो 2020-21 के दौरान हुए प्रदर्शन का हिस्सा थे। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि भारतीय किसान यूनियन एकता सिद्धूपुर के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने इसका नेतृत्व किया है। लेकिन दूसरे किसान संगठन और संयुक्त किसान मोर्चा इसका हिस्सा नहीं है। संयुक्त किसान मोर्चे के सदस्य योगेंद्र यादव ने भी ट्वीट कर प्रदर्शन से अलग होने की बात कही। उन्होंने ट्वीट किया, 'स्पष्ट करना चाहते हैं: दिल्ली में हो रही किसान महापंचायत से संयुक्त किसान मोर्चे का कोई संबंध नहीं है।' दरअसल भाकियू आर्य के प्रदेश अध्यक्ष सेवा सिंह आर्य ने संयुक्त किसान मोर्चे के नाम पर प्रदर्शन का आह्वान करते हुए प्रेस रिलीज जारी की थी। इसके बाद ही संयुक्त किसान मोर्चे की ओर से यह सफाई दी गई है।

दिल्ली में प्रदर्शन करने वाले किसान संगठनों ने मांग की है कि लखीमपुर खीरी में हुई घटना में अपने लोगों को खोने वाले किसानों को न्याय दिया जाए। इसके अलावा बीते 9 महीनों से जेल में बंद किसानों को रिहा किया जाए। केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को अरेस्ट किया जाए। यही नहीं किसान संगठनों ने केंद्र सरकार से एमएसपी गारंटी कानून और इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल को वापस लेने की मांग की है। लेकिन संयुक्त किसान मोर्चे के इससे अलग होने के चलते किसानों के बीच ही एकता की कमी देखने को मिल रही है।

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