रांची: अनूप माजी उर्फ लाला ने इस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड(इसीएल) के पश्चिम बंगाल और झारखंड स्थित लीज क्षेत्र से अवैध खनन कर 1340.27 करोड़...
रांची: अनूप माजी उर्फ लाला ने इस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड(इसीएल) के पश्चिम बंगाल और झारखंड स्थित लीज क्षेत्र से अवैध खनन कर 1340.27 करोड़ रुपये मूल्य का कोयला निकाला. इस कोयले की बिक्री इस्पात कारखानों सहित अन्य लोगों को की गयी. ‘लाला चालान’ के नाम से चर्चित दस्तावेज के सहारे कोयले की ढुलाई होती थी. ‘लाला चालान’ के बिना कोयला ढोनेवाले ट्रकों से 85 हजार से एक लाख रुपये तक जुर्माना वसूला जाता था. इडी नेेे इसीएल कोयला घोटाले की जांच के दौरान ये तथ्य उजागर किये हैं.
इडी ने जांच में पाया कि लाला ने अवैध कोयला खनन और उसके व्यापार के लिए पूरा सिंडिकेट तैयार कर रखा था. इस गिरोह में लाला के करीबी लोगों के अलावा पुलिस और इसीएल के अधिकारी सहित अन्य लोग शामिल थे. कोयले के व्यापार से होनेवाली आमदनी और खर्चे का हिसाब-किताब रखने के लिए लाला ने चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) रखा था. जांच के दौरान इडी ने सीएमपीडीआइ और इंजीनियरों की सहायता से लाला गिरोह द्वारा अवैध खनन कर निकाले गये कोयले का मूल्यांकन कराया.
इस दल ने लाला गिरोह द्वारा 30.97 लाख मीट्रिक टन कोयले के अवैध खनन की पुष्टि की. अवैध खनन से निकाले गये कोयले का मूल्य 1324. 27 करोड़ रुपये आंका गया है. जांच के दौरान इडी ने पाया कि लाला गिरोह ने इसीएल के लीज क्षेत्र के मुगमा,राजमहल, एसपी माइंस,कोजोरा, कुनुस्तेरिया, सतग्राम, श्रीपुर, पंडावेश्वर, सालनपुर,सोदेपुर सहित कुछ अन्य क्षेत्रों में अवैध खनन कर कोयला निकाला.
लाला ने अवैध खनन में निकले कोयले की ढुलाई के लिए मुगमा,धनबाद के पते पर फर्जी ट्रांसपोर्ट कंपनियां बना रखी थीं. इनके सहारे विभिन्न स्थानों तक कोयला ढुलाई की गयी. कोयला ढुलाई के लिए लाला गिरोह द्वारा अपना चालान दिया जाता था. कोयला क्षेत्र में इसे ‘लाला चालान’ के नाम से जाना जाता था. कोयला ढुलाई पर नजर रखने के लिए लाला ने 15 पेट्रोलिंग पार्टियां रखी थीं. इसमें लाला के खास लोगों के अलावा स्थानीय युवकों को शामिल किया गया था.
पेट्रोलिंग पार्टियों को गाड़ियां दी गयी थीं. पेट्रोलिंग पार्टियां कोयला लदे उन ट्रकों से 85 हजार से एक लाख रुपये तक दंड वसूलती थी, जिनके पास ‘लाला चालान’नहीं होता था. लाला चालान के सहारे कोयला ढोनेवाली गाड़ियों को कोई परेशानी नहीं हो, इसके लिए अनोखी व्यवस्था की गयी थी. ट्रकों के नंबर प्लेट पर 10 या 20 रुपये का नोट रख कर खींचे गये फोटो को व्हाट्सएप के सहारे पुलिस,लाला की पेट्रोलिंग पार्टी और अफसरों को भेजा जाता था. इससे लाला गिरोह के लिए कोयला ढोनेवाली गाड़ियों को कहीं रोका नहीं जाता था.
लाला गिरोह द्वारा अवैध खनन कर निकाले गये कोयले की बिक्री स्टील कारखानों व अन्य को की जाती थी. लाला को कोयले की बिक्री के लिए उसके करीबी प्रोमोटर के रूप में काम करते थे. ये लोग वैध तरीके से इसीएल का कोयला लेकर जानेवाले ट्रकों को परेशान करते थे.
इसके अलावा अलग-अलग कारखाना के प्रबंधकों से मिल कर लाला का कोयला खरीदने पर कोई परेशानी नहीं होने का वायदा करते थे. इडी ने अब तक की जांच के दौरान आठ ऐसी कंपनियों की पहचान की है, जिन्होंने लाला गिरोह से कोयला खरीदा है. इन कंपनियों को औसतन 2000 रुपये प्रति मीट्रिक टन की दर पर कोयला की बिक्री की गयी है. इनका भुगतान लाला गिरोह के लोगों ने नकद के रूप में लिया.