जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद से घाटी के हालात सामान्य होने लगे हैं, जिसके कारण हाल ही में 33 साल से बंद पड़े मानसबल झील में ने...
जम्मू-कश्मीर में
धारा 370 हटने के बाद से घाटी के हालात सामान्य होने लगे हैं, जिसके कारण
हाल ही में 33 साल से बंद पड़े मानसबल झील में नेवल ट्रेनिंग सेंटर को
नौसेना ने शुरू कर दिया है। यह ट्रेनिंग सेंटर घाटी में बढ़ते आतंकवाद के
कारण साल 1989 में बंद कर दिया गया था। वहीं अब पश्चिमी पाकिस्तान से आए
5400 शरणार्थी परिवारों को 68 साल बाद जमीन का मालिकाना हक देने की प्रकिया
शुरू हो गई है। दरअसल साल 1954 में जम्मू, सांबा और कठुआ में पाकिस्तानी
शरणार्थियों को 5,833 एकड़ जमीन तो दी गई थी, लेकिन 68 साल बीच जाने के बाद
भी मालिकाना हक नहीं मिला है।
दरअसल इन
शरणार्थियों को धारा 370 के कारण जम्मू-कश्मीर का नागरिक नहीं माना जाता
था, जिसके कारण न ही नौकरी करने का हक था और न ही जमीन खरीदने का। वहीं
धारा 370 खत्म होने के बाद जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष राज्य का दर्जा भी
खत्म हो गया है, जिसके बाद से ही जम्मू-कश्मीर का नागरिकों को मिले इन
अधिकार का लाभ सभी भारतीय लोग ले सकते हैं।
शरणार्थियों की संख्या बढ़कर हुई 22 हजार
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शरणार्थियों की संख्या बढ़कर 22 हजार हो गई है, जिसमें जम्मू, सांबा और कठुआ के 6 विधानसभा क्षेत्रों पर मजबूत मतदाता बनकर उभरे हैं। राजनीतिक जानकारों की मानें तो इन शरणार्थियों को वोट देने का अधिकार मिलने का सबसे ज्यादा फायदा भाजपा को हो सकता है, क्योंकि धारा 370 खत्म होने के पहले इन शरणार्थियों के पास विधानसभा चुनाव में वोट डालने का हक नहीं था। वहीं अब यह हक मिलने से 6 विधानसभा सीटों में इनके वोट निर्णायक साबित हो सकते हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शरणार्थियों की संख्या बढ़कर 22 हजार हो गई है, जिसमें जम्मू, सांबा और कठुआ के 6 विधानसभा क्षेत्रों पर मजबूत मतदाता बनकर उभरे हैं। राजनीतिक जानकारों की मानें तो इन शरणार्थियों को वोट देने का अधिकार मिलने का सबसे ज्यादा फायदा भाजपा को हो सकता है, क्योंकि धारा 370 खत्म होने के पहले इन शरणार्थियों के पास विधानसभा चुनाव में वोट डालने का हक नहीं था। वहीं अब यह हक मिलने से 6 विधानसभा सीटों में इनके वोट निर्णायक साबित हो सकते हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राजस्व विभाग ने जमीन का मालिकाना हक देने के लिए उनके परिवारों की संख्या, उनके कब्जे के तहत कुल जमीन, भूमि की स्थिति सहित अन्य जानकारियां एकत्रित की जा रही है, जिसके आधार पर शरणार्थियों को जमीन का मालिकाना हक दिया जाएगा। इसके साथ ही मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आने वाले महीनों में एक बड़ा कार्यक्रम करके पाकिस्तानी शरणार्थियों को मालिकाना हक देने की घोषणा की जाएगी।