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अशोक गहलोत को करना ही होगा त्याग? नरमी के पीछे सोनिया गांधी का बड़ा प्लान

  अशोक गहलोत भले ही राजस्थान के मुख्यमंत्री पद का मोह नहीं त्याग पा रहे हैं, लेकिन कांग्रेस उन्हें ऐसा करने के लिए मना रही है। आनंद शर्मा,...

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अशोक गहलोत भले ही राजस्थान के मुख्यमंत्री पद का मोह नहीं त्याग पा रहे हैं, लेकिन कांग्रेस उन्हें ऐसा करने के लिए मना रही है। आनंद शर्मा, अंबिका सोनी समेत कई वरिष्ठ नेताओं को सोनिया गांधी ने जिम्मेदारी दी है कि वह अशोक गहलोत को राजी करें कि वह अध्यक्ष पद का नामांकन दाखिल करें। यही नहीं गहलोत को समझाया जा रहा है कि यदि वह हाईकमान की नाराजगी से बचना चाहते हैं तो अध्यक्ष पद स्वीकारें और अगले सीएम को चुनने का फैसला सोनिया गांधी पर ही छोड़ दें। दरअसल रविवार को विधायक दल की बैठक से अलग मीटिंग होने पर हाईकमान अशोक गहलोत के करीबियों को नोटिस देकर संदेश जरूर देना चाहता है, लेकिन मौजूदा हालात ऐसे हैं कि कोई बड़ा ऐक्शन भी लेने से बच रहा है।

ऐसे में किसी के लिए भी अहं का सवाल न बने और रास्ता भी निकल आए, इस पर विचार चल रहा है। इसी सिलसिले में मल्लिकार्जुन खड़गे, आनंद शर्मा और अंबिका सोनी ने गहलोत से बात की है। इसके अलावा पार्टी प्लान बी पर भी काम कर रही है। इसके तहत कुछ सीनियर नेताओं को तैयार रखा गया है कि यदि गहलोत राजी नहीं होते हैं तो वे अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करें। शायद इसी रणनीति के तहत 29 और 30 सितंबर को ज्यादातर सीनियर नेताओं को दिल्ली में रहने को कहा गया है। राजनीति से संन्यास का ऐलान करने वाले एके एंटनी को भी सोनिया गांधी ने बुलाया था, जिन्हें कांग्रेस का संकटमोचक कहा जाता रहा है। 

अध्यक्ष पद को लेकर प्लान बी पर भी चल रहा काम

बता दें कि कांग्रेस लीडरशिप ने विधायकों की अलग मीटिंग करने को लेकर अशोक गहलोत के करीबी मंत्रियों शांति धारीवाल और महेश जोशी को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। कांग्रेस हाईकमान ने अध्यक्ष पद के नामांकन के लिए मीरा कुमार, मल्लिकार्जुन खड़गे, कुमारी शैलजा, दिग्विजय सिंह, मुकुल वासनिक जैसे नेताओं को भी तैयार रहने को कहा है। फिलहाल प्रयास यही चल रहे हैं कि अशोक गहलोत को समझा लिया जाए और उनका नामांकन करा दिया जाए। इस बीच शशि थरूर का कहना है कि वह 30 सितंबर को नामांकन दाखिल करेंगे।

गहलोत पर सोनिया के नरम रुख से क्यों खुश हो सकते हैं पायलट

इस बीच अशोक गहलोत पर हाईकमान के ऐक्शन न लेने और उन्हें अध्यक्ष पद के लिए राजी करने की कोशिशों ने पायलट को एक बार फिर उड़ान की उम्मीद दे दी है। माना जा रहा है कि सीएम पद का फैसला सोनिया पर छोड़ा जाएगा तो वह सचिन पायलट को ही कमान दे सकती हैं, जो लंबे समय से दावेदारी कर रहे हैं। इस तरह कांग्रेस पूरे संकट को बिना किसी पर कड़ा ऐक्शन लिए ही निपटा सकती है।