नई दिल्ली. दुश्मन की गोलियों से जवानों की रक्षा करने वाली बुलेट प्रूफ जैकेट में चीनी माल पर रोक के लिए रक्षा मंत्रालय ने कवायद कर दी है...
नई दिल्ली. दुश्मन की गोलियों से जवानों की रक्षा करने वाली बुलेट प्रूफ जैकेट में चीनी माल पर रोक के लिए रक्षा मंत्रालय ने कवायद कर दी है। मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि भारतीय निर्माताओं को यह बताना होगा कि वे चीनी कंपनियों के साथ काम नहीं कर रहे हैं। हाल ही में सेना को दी जाने वाली जैकेट्स में भारी मात्रा में चीनी माल शामिल होने पर विवाद खड़ा हो गया था।
खबर है कि तट रक्षकों की तरफ से जारी ताजा टेंडर में खासतौर से चीन से आने वाले कच्चे माल के इस्तेमाल पर प्रतिबंध की बात कही गई है। 746 जैकेट्स के कॉन्ट्रैक्ट में यह गया है कि इसमें शामिल भारतीय विक्रेताओं को यह बताना होगा कि कच्चा माल चीन से नहीं लाया गया है। इस संबंध में उन्हें एक सर्टिफिकेट भी जारी करना होगा। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि भारतीय सेना भविष्य में प्रोटेक्टिव गियर की खरीदी के लिए टेंडर जारी कर सकती है।
कच्चे माल में कैसे आया चीनी एंगल
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, पहले भारतीय सशस्त्र बल यूरोप और
अमेरिका की कंपनियों से आने वाले कच्चे माल का इस्तेमाल करती थी। अब यह
सिलसिला तब रुक गया, जब वेंडर्स ने यूरोप और अमेरिक में पश्चिम से आने वाले
कच्चे माल से तैयार जैकेट्स ट्रायल के लिए सामने रखी, लेकिन कॉन्ट्रैक्ट
हासिल करने के बाद अपने सप्लायर बदल लिए।
जून 2020 में उद्योग समूहों ने सरकार से नीति बनाने की अपील की, जिसमें चीनी माल पर निर्भरता कम करने की बात कही गई थी। समूहों का कहना था कि प्रोटेक्टिव गियर के निर्माण के लिए कच्चा माल लाने में बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा चीन की तरफ डायवर्ट हो रही है। जैकेट्स में इस्तेमाल होने वाले माल के स्वदेशी निर्माण की कोशिशें जारी हैं।