राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2022 पर किए हस्ताक्षर रायपुर । असल बात न्य...
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2022 पर किए हस्ताक्षर
रायपुर ।
असल बात न्यूज़।।
छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति की पदावधि अब 5 वर्ष तक हो सकेगी। वहीं इस विश्वविद्यालय में कुलपति के दो से अधिक पदावधि की नियुक्ति की पात्रता के निर्बंधन को भी समाप्त कर दिया गया है। इसके बाद यहां एक ही कुलपति को आगे भी इस पद की जिम्मेदारी दी जा सकेगी। राज्य में छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2022 लाकर ये नए प्रावधान किए गए हैं।इस विधेयक को राज्यपाल की अनुमति मिल गई है। यह विधेयक छत्तीसगढ़ विधानसभा द्वारा 25 जुलाई 2022 को पारित किया गया था।
उल्लेखनीय है कि दूसरे विश्वविद्यालयों में कुलपति के पद धारण की अवधि 5 वर्ष निर्धारित है लेकिन छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय में कुलपति की पदावली 4 वर्ष निर्धारित थी। वहीं यदि निर्धारित किया गया था कि एक कुलपति को दोबारा वहीं कुलपति नहीं बनाया जाएगा। नए संशोधन विधेयक को मंजूरी मिल जाने के बाद अब इसमें फेरबदल हो गया है। यहां कुलपति की नियुक्ति अब 5 वर्षों के लिए की जा सकेगी। वही संशोधन विधेयक में कुलपति के कार्यभार की यह अवधि 5 वर्ष अथवा 70 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक जो भी पहले हो को लागू करने का प्रावधान किया गया है।इस संशोधन में स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल)/ भिलाई इस्पात् संयंत्र(बीएसपी), भिलाई के पदेन प्रभारी निदेशक/सी.ई.ओ. एवं कार्यपालक निदेशक( कार्मिक और प्रशासन) को विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद् के सदस्य के रूप में शामिल करने का प्रावधान किया गया है।
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2022 पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
इस संशोधन विधेयक के द्वारा छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय अधिनियम 2004 (क्र. 25 सन् 2004) की धारा 13 की उपधारा (2) में परिवर्तन किया गया है। इस संशोधन के पश्चात् छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय कुलपति की पदावधि को 4 वर्ष से बढ़ाकर 5 वर्ष तक या 70 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो, किया गया है। साथ ही उसके दो से अधिक पदावधि की नियुक्ति की पात्रता के निर्बंधन को भी समाप्त किया गया है।
इसके अलावा इस संशोधन विधेयक द्वारा मूल अधिनियम की धारा 22 की उप-धारा(1) के खण्ड (आठ) एवं (नौ) को, खण्ड (आठ), (नौ) एवं खण्ड(दस) से प्रतिस्थापित किया गया है।
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