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खाद्य, कच्चे तेल, उर्वरकों पर विदेशी निर्भरता कम हो: मोदी

  नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खाद्य, कच्चे तेल और उर्वरकों के लिए विदेश पर निर्भरता को कम से कम करने पर जोर देते हुए सोमवार ...

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नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खाद्य, कच्चे तेल और उर्वरकों के लिए विदेश पर निर्भरता को कम से कम करने पर जोर देते हुए सोमवार को कहा कि कृषि को आधुनिक एवं आकर्षक बनाना ही होगा।
श्री मोदी ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में कृषि तथा रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की ओर से आयोजित पीएम किसान सम्मान सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि खानपान की वस्तुओं एवं खेती में उपयोग की जाने वाली चीजों के लिए विदेश पर निर्भरता को कम करना ही होगा। उन्होंने कहा कि खाद्य तेल, कच्चे तेल और उर्वरकों के आयात पर प्रतिवर्ष विदेश को लाखों करोड़ रुपये देने पड़ते हैं। विदेश से 75 से 80 रुपये किलोग्राम यूरिया सरकार खरीदती है और उसे किसानों को पांच छह रुपये किलोग्राम देना पड़ता है। इससे सरकार पर सालाना ढाई लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ता है।
उन्होंने कहा कि बायो फ्यूल पर काम चल रहा है और एथनाल से वाहनों को चलाया जा रहा है। खाद्य तेल उत्पादन बढ़ाने के लिए मिशन पाम आयल भी चल रहा है। तिलहनों की पैदावार बढ़ाकर खाद्य तेल के आयात को कम किया जा सकता
है। किसानों ने दलहनों का उत्पादन 70 प्रतिशत बढ़ाकर इसका आयात कम कर दिखा दिया है।
श्री मोदी ने कृषि के क्षेत्र में स्टार्टअप की बढ़ती भूमिका की चर्चा करते हुए कहा कि खेती को लाभकारी बनाने में इसका बड़ा योगदान है। पहले जहां 100 स्टार्टअप होते थे, उनकी संख्या अब बढ़कर 3000 हो गयी है। उन्होंने कहा कि प्रसंस्कृत खाद्य में भी हिस्सेदारी बढ़ रही है और 2014 के पहले देश में केवल दो बड़े फूड पार्क थे जिनकी संख्या अब बढ़कर 23 हो गयी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि निर्यात के मामले में भारत दुनिया के 10 चोटी के देशों में शामिल हो गया है। कोरोना संकट के दौरान देश से कृषि निर्यात 18 प्रतिशत बढ़ा। गुजरात से कमलम फल का निर्यात किया जा रहा है। जलगांव से केला, भागलपुर से आम, हिमाचल प्रदेश से काले लहसुन तथा देश के कई अन्य हिस्साें से विभिन्न किस्मों के फलाें का निर्यात हो रहा है।
उन्होंने कहा कि पिछले आठ साल के दौरान सिंचाई के क्षेत्र में काफी अच्छा काम हुआ है। इस दौरान करीब 70 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सूक्ष्म सिंचाई के दायरे में लाया गया है । प्राकृतिक खेती के प्रति किसानों में जागरुकता बढ़ी है तथा गुजरात, हिमाचल प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में इस पर काम हो रहा है। गुजरात में पंचायत स्तर पर प्राकृतिक खेती को लेकर योजनायें बनायी जा रही है। प्राकृतिक खेती को नये बाजार मिल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन को देखते हुए पिछले आठ साल के दौरान फसलों के 1700 से अधिक किस्म के बीज जारी किये गये हैं। इस अवसर पर प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की 12 वीं किस्त की 16000 हजार करोड़ रुपये किसानों के बैंक खातों में हस्तान्तरित किये गये तथा 600 पीएम किसान समृद्धि केन्द्रों का शुभारंभ किया गया। इन केन्द्रों पर किसानों को खाद, बीज, कीटनाशक और मिट्टी जांच की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी।
समारोह को कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने भी सम्बोधित किया। इस कार्यक्रम से वर्चुअली करीब एक करोड़ किसान जुड़े हुए थे।