रायपुर बिलासपुर। असल बात न्यूज़।। अब हमें एलमुनियम से बनी माल गाड़ी चलती दिखने वाली है। सबसे खास बात है कि इस मालगाड़ी को पूरी तरह से देश म...
रायपुर बिलासपुर।
असल बात न्यूज़।।
अब हमें एलमुनियम से बनी माल गाड़ी चलती दिखने वाली है। सबसे खास बात है कि इस मालगाड़ी को पूरी तरह से देश में ही तैयार किया गया है।भारतीय रेलवे ने RDSO, BESCO और Hindalco की मदद से ये रैक तैयार करवाए हैं । ये रैक मेक इन इंडिया के तहत बनाए गए हैं।और यह सामान्य स्टील रैक से 180 टन ज्यादा माल परिवहन कर सकता है।रेल, संचार व इलेक्ट्रॉनिक्स एवम सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन से आज इसे हरी झंडी दिखा कर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के लिए रवाना किया ।
देश में पहली बार मालगाड़ी के डिब्बे एल्युमिनियम के बनाए गए हैं ।इस रैक का कोयले के माल लदान के लिए दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के विभिन्न कोल साइडिंग में लदान के लिए उपयोग किया जाएगा ।
नए बने एल्युमिनियम रैक की विशेषताओं के बारे में जानेंगे तो हमें पता चलेगा कि भारतीय तकनीक भी काफी उन्नत होती जा रही है।इन रैक के सुपरस्ट्रक्चर पर कोई वेल्डिंग नहीं है । ये पूरी तरह लॉकबोल्टेड हैं। एल्युमिनियन रैक की खासियत ये है कि ये सामान्य स्टील रेक से हल्के हैं और 180 टन अतिरिक्त भार ढो सकते हैं । इसे रेलवे के आधुनिकीकरण की दिशा में बड़ा कदम माना जा सकता है। कम किए गए टीयर वेट से कार्बन फुटप्रिंट कम हो जाएगा क्योंकि खाली दिशा में ईंधन की कम खपत और भरी हुई स्थिति में माल का अधिक परिवहन होगा। यानि कि समान दूरी और समान भार क्षमता के लिए यह सामान्य और परंपरागत रैक की तुलना में इसमें कम ईंधन की खपत होगी। इससे ईंधन की भी बचत करेगा और इससे कार्बन उत्सर्जन भी कम होगा । एक एल्युमिनियम रैक अपने सेवा काल में करीब 14,500 टन कम कार्बन उत्सर्जन करेगा । कुल मिलाकर यह रैक ग्रीन और कुशलतम रेलवे की अवधारणा को पूरा करेगा ।
इन एल्युमिनियम रैक की रीसेल वैल्यू 80% है। एल्युमिनियम रैक सामान्य स्टील रैक से 35% महंगे हैं, क्योंकि इसका पूरा सुपर स्ट्रक्चर एल्युमिनियम का है । एल्युमिनियम रेक की उम्र भी सामान्य रेक से 10 साल ज़्यादा है । इसका मेंटेनेन्स कॉस्ट भी कम है, क्योंकि इसमें जंग और घर्षण के प्रति अधिक प्रतिरोधी क्षमता है ।
*आधुनिकीकरण अभियान में मील का पत्थर
इन एल्युमिनियम फ्रेट रैक बड़े पैमाने पर आधुनिकीकरण अभियान में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि एल्युमिनियम पर स्विच करने से कार्बन फुटप्रिंट में काफी कमी आएगी । वहीं एक अनुमान के मुताबिक, केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए जाने वाले 2 लाख रेलवे वैगनों में से पांच फीसदी अगर एल्युमिनियम के हैं तो एक साल में लगभग 1.5 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन तो बचाया जा सकता है ।
ज्ञात है कि यह डिब्बे विशेष रूप से माल ढुलाई के लिए डीजाइन किए गए हैं । इसमें स्वचालित स्लाइडिंग प्लग दरवाजे लगे होते हैं और आसान संचालन के लिए लॉकिंग व्यवस्था के साथ ही एक रोलर क्लोर सिस्टम से लैस होते हैं।
स्टील के बने परंपरागत रैक निकेल और कैडमियम की बहुत अधिक खपत करता है जो आयात से आता है, तथा इससे देश की निर्भरता विदेशों पर बढ़ती है। एल्युमीनियम वैगनों के प्रसार के परिणामस्वरूप कम आयात होगा तथा स्थानीय एल्युमीनियम उद्योग के लिए बेहतर अवसर साबित होगा तथा इससे देश के विदेशों पर निर्भरता कम होगी ।