नई दिल्ली। असल बात न्यूज़।। एनसीएसटी ने 'जनजातीय अनुसंधान-अस्मिता, अस्तित्व एवं विकास' पर नई दिल्ली के विज्ञान भवन के प्लेनरी ...
नई दिल्ली।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री जतिंदर के. बजाज, अध्यक्ष, आईसीएसएसआर और श्री हर्ष चौहान, अध्यक्ष, एनसीएसटी, श्री अनंत नायक, सदस्य, एनसीएसटी और श्रीमती अलका तिवारी, सचिव, एनसीएसटी, नई दिल्ली थे।
श्रीमती अलका तिवारी, सचिव, एनसीएसटी ने झारखंड में अरकी ब्लॉक, खूंटी (तत्कालीन रांची जिला) में एक प्रशासक के रूप में अपने अनुभवों और सीखों को साझा किया कि संसाधनों के उचित उपयोग के लिए नियोजन आवश्यक है, लेकिन यह भी जोड़ा कि अगर हम लोगों को नहीं समझते हैं तो किसके लिए हम योजना बनाते हैं, यह व्यर्थ है।
कार्यशाला के पहले दिन एसटी के अतीत से वर्तमान तक के संबंधों और जनजातीय अनुसंधान के आख्यानों को उपनिवेश से मुक्त करने की आवश्यकता पर चर्चा हुई।
कार्यशाला में वक्ताओं ने जनजातीय इतिहास को सुधारने के लिए मौखिक परंपरा पर प्रलेखन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
कार्यशाला के दूसरे दिन प्राकृतिक संसाधनों का भारी क्षरण, कुपोषण, संकटग्रस्त पलायन, बीपीएल के तहत जनसंख्या में वृद्धि, विकास प्रक्रिया में लोगों की भागीदारी की कमी, पारंपरिक विकास प्रणाली का विनाश, और सामाजिक संकट में वृद्धि जैसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा आयोजित की गई।
कार्यशाला के दौरान ज्ञान आधारित प्रतिक्रिया उत्पन्न करने के लिए जमीनी स्तर पर अनुसंधान और प्रभाव आकलन की आवश्यकता पर भी ध्यान दिया गया।
चर्चाओं में जनजातीय अनुसंधान में उच्च शिक्षा संस्थानों की भूमिका को सामने रखा गया और इस बात पर प्रकाश डाला गया कि ये संस्थान महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।