छत्तीसगढ़ में मेडिकल प्रवेश के लिए बने आरक्षण रोस्टर को चुनौती देने वाली याचिका मंगलवार को उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दी। बताया गया, याच...
छत्तीसगढ़ में मेडिकल प्रवेश के लिए बने आरक्षण रोस्टर को चुनौती देने वाली याचिका मंगलवार को उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दी। बताया गया, याचिकाकर्ता को मेडिकल की दूसरी एलॉटमेंट सूची में एडमिशन मिल गया है। इसके आधार मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूण ने याचिका को खारिज कर दिया।
इस याचिका की स्वीकार्यता पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायधीश को यकीन ही नहीं हुआ कि अनुसूचित जनजाति वर्ग की 104 से अधिक MBBS सीटें इस रोस्टर के जरिए खत्म कर दी गई हैं और तीन सप्ताह में भी इस रोस्टर से प्रभावित सभी विद्यार्थी उच्चतम न्यायायालय नहीं पहुंचे हैं। याचिकाकर्ता को दूसरे अलॉटमेंट में महासमुंद मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिल जाने से यह याचिका शून्य होकर खारिज हो गई। इसके साथ ही मेडिकल एडमिशन पर बना हुआ खतरा फिलहाल के लिए टल गया है। मेडिकल काउंसलिंग में शामिल अनुप्रिया बरवा नाम की एक छात्रा की ओर से अधिवक्ता सी. जार्ज थामस ने पिछले सप्ताह उच्चतम न्यायालय में रिट याचिका दायर की थी।
इस याचिका में कहा गया कि मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए पहले से 2018 और 2021 के नियम बने हुए हैं। उसमें अनुसूचित जाति को 12%, अनुसूचित जनजाति को 32% और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14% आरक्षण का प्रावधान बना हुआ है। चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने 9 अक्टूबर को मेडिकल की पीजी कक्षाओं में प्रवेश के लिए और एक नवम्बर को यूजी में प्रवेश के लिए अनुसूचित जाति के लिए 16%, अनुसूचित जनजाति के लिए 20% और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 14% आरक्षण का रोस्टर जारी कर काउंसलिंग शुरू कर दिया। 32% आरक्षण के हिसाब से अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को सरकारी मेडिकल कॉलेजों की 923 सीटों में से 284 सीटें मिलनी थी। नये रोस्टर से इस वर्ग को केवल 180 सीट मिल रही है।
मेडिकल प्रवेश नियम पर तो उच्च न्यायालय ने भी कुछ नहीं कहा है
याचिकाकर्ता का कहना था, उच्च न्यायालय में इस रोस्टर को कभी चुनौती नहीं दी गई। इसलिए 19 सितम्बर को आरक्षण कानून पर आया उच्च न्यायालय का फैसला उसपर प्रभावी नहीं है। उच्च न्यायालय के फैसले के बाद सरकार ने कहीं भी आरक्षण नियम प्रकाशित नहीं किया है। ऐसे में चिकित्सा शिक्षा संचालनालय की ओर से लाया गया नया आरक्षण अवैध है।
ST को अधिक नुकसान हो सकता है
अनुसूचित जनजाति वर्ग का कहना है कि मेडिकल दाखिले में उनके विद्यार्थियों का नुकसान बड़ा हो गया है। अभी आखिरी सरकारी मेडिकल कॉलेज में ST के प्रवेशित छात्र का कैटेगरी रैंक मात्र 228 है। मतलब है कि ST वर्ग को एमबीबीएस सीटों का नुकसान और बढ गया है।