मुजफ्फरपुर . पौने दो सौ युवा सोनपुर व समस्तीपुर रेल मंडल में अगले माह योगदान देंगे। इनकी नियुक्ति प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच गई है।...
मुजफ्फरपुर. पौने दो सौ युवा सोनपुर व समस्तीपुर रेल मंडल में अगले माह योगदान देंगे। इनकी नियुक्ति प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच गई है। रेलवे भर्ती बोर्ड, मुजफ्फरपुर की टाइपिंग परीक्षा में सफल होने वाले इन अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों की पांच से सात दिसंबर तक जांच होगी। लीची बगान स्थित भर्ती बोर्ड के कार्यालय इसके लिए शिविर लगाया जाएगा। इन तीन दिनों में नहीं पहुंचने पाने वाले अभ्यर्थियों को नौ दिसंबर को प्रमाण पत्रों का सत्यापन कराना होगा।
भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष एससी श्रीवास्तव ने बताया कि अभ्यर्थियों के क्रमांक के अनुसार कागजातों के सत्यापन के लिए तिथि जारी की गई है। प्रमाण पत्रों के सत्यापन के साथ अभ्यर्थी मेडिकल जांच में शामिल होंगे। दोनों मंडल के रेल अस्पतालों में अभ्यर्थियों की मेडिकल जांच होगी। 15 दिसंबर तक नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही अभ्यर्थी दोनों मंडल में सीनियर कमर्शियल क्लर्क व गार्ड आदि पदों पर योगदान देंगे।
चार साल में यह नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो रही है। इस संबंध में बोर्ड ने वर्ष 2019 में विज्ञापन जारी किया था। लेवल-पांच के एनटीपीसी श्रेणी में अभ्यर्थियों का चयन किया गया है। लंबे समय के बाद स्थानीय बोर्ड की ओर से 175 अभ्यर्थियों के लिए प्रमाण पत्रों के सत्यापन व मेडिकल जांच के लिए शिविर आयोजित हो रहा है। प्रति दिन 60 अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों की जांच की जाएगी।
सोनपुर मंडल में संरक्षा श्रेणी में 551 पद रिक्त :
रेलवे में बड़े पैमानों पर पद खाली होने से कामकाज प्रभावित हो रहा है।
कर्मियों को समय पर छुट्टी नहीं मिल पाती है। सोनपुर रेल मंडल में केवल
संरक्षा श्रेणी में 551 पद रिक्त हैं। सबसे अधिक ट्रैफिक पार्टल के 224,
गेटमैन के 163, प्वाइंट मैन के 61, स्टेशन मास्टर, एएसएम, वाईएम व टीआई के
35, शंट मैन व शंटिंग मास्टर के 46 एवं गार्ड के 22 पद रिक्त हैं। रिक्त
पदों पर नए कर्मियों की प्रतिनियुक्ति से कार्य बोझ घटने के आसार हैं।
नौकरी मिलने में देरी पर अभ्यर्थियों को करना पड़ा था आंदोलन :
रेलवे में नौकरी मिलने में देरी होने पर अभ्यर्थियों को आंदोलन करना पड़ा
है। मुजफ्फरपुर से लेकर दिल्ली तक प्रदर्शन करने के बाद प्रकिया आगे बढ़
सकी है। सोशल मीडिया पर लगातार चल रहे अभियान से रेलवे बोर्ड की बेचैनी
बढ़ी थी। नौकरी के लिए युवा लगातार अभियान चलाते रहे थे। इसमें रेल मंत्री,
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष के अलावा वरिष्ठ अधिकारियों को टैग किया जा रहा
था।