नल जल योजना के तहत पाइपलाईन बिछाते समय मटके में मिले सिक्के और अन्य पुरावशेष रायपुर,राजनांदगांव । असल बात न्यूज़।। राजनांदगांव जिले के ड...
नल जल योजना के तहत पाइपलाईन बिछाते समय मटके में मिले सिक्के और अन्य पुरावशेष
रायपुर,राजनांदगांव ।
असल बात न्यूज़।।
राजनांदगांव जिले के डोंगरगांव विकासखंड अंतर्गत ग्राम बाजार-नवागांव (ग्राम पंचायत बडगांव-चारभाठा) में नल पाईपलाइन खुदाई के दौरान प्राचीनतम 65 चांदी के सिक्के प्राप्त हुए हैं। पुरावशेष विशेषज्ञों के अनुसार अत्यंतम प्राचीनतम ये सिक्के लगभग 1700-1800 ई. के बताए जा रहे हैं। इसके अलावा खुदाई के दौरान मिश्रित धातु के 3 बाघनखनुमा अंगुठियां और मिश्रित धातु के 2 कड़े भी मिले हैं। पुरातात्विक महत्व के इतने बेशकीमती सिक्के तथा अन्य चीजें मिलने के बाद यहां आम लोगों के जेहन में कई सवाल भी उठ रहे हैं। लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि क्या किसी ने इन सिक्कों को कहीं से लाकर यहां छुपाया था जो अब साधारण खुदाई ने सामने आ गए। उल्लेखनीय है कि सोने की चिड़िया कहलाने वाले भारत देश से सोने चांदी के जेवरात आभूषणों की इतनी अधिक चोरी हुई है जिसकी कल्पना करना भी कठिन है और यह सब चीजें कहां चली गई किसी को पता नहीं चला। विदेशी आक्रांताओ ने भारत देश को बार-बार लूटा और यहां से बेशकीमती आभूषण जवाहरात लूट कर ले कर चले गए।
गौरतलब है कि जिला प्रशासन के तत्वावधान में नल जल योजना के तहत ग्राम बाजार नवागांव में पाइपलाइन बिछाते समय 65 रजत (चांदी) के सिक्के सहित अन्य पुरावशेष एक मटके से प्राप्त हुए हैं। डोंगरगांव के अनुविभागीय अधिकारी श्री सुनील नायक ने बताया कि श्री विवेक आचार्य संचालक पुरातत्त्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय रायपुर के निर्देशन में विभागीय दल जिसमें डॉ. प्रताप चन्द पारख उप-संचालक, डॉ. वृषोत्तम साहू उत्खनन सहायक एवं डॉ. राजीव मिंज तथा डोंगरगांव के अनुविभागीय अधिकारी द्वारा डोंगरगांव थाना प्रभारी श्री बरेठ के पास जमा पुरावशेषों व प्राप्ति स्थल का निरीक्षण किया गया। पुरावशेषों के सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय रायपुर में संग्रह हेतु कार्यवाही की जा रही है।
संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के संचालक श्री आचार्य ने बताया कि राजनान्दगांव जिले के ग्राम बाजार नवागांव से प्राप्त चांदी के सिक्के पर प्रथम दृष्टया किसी मुगलकालीन शासक के काल में जारी हुए प्रतीत होते हैं, जो कटक टकसाल में बने हैं। सिक्कों में उत्कीर्ण लिपि अरबी-फारसी है।