सर्दियों में गाजर का सेवन बड़े पैमाने पर किया जाता है. यह रोग प्रतिरोधक क्षमता से भरपूर होता है। इनका उपयोग कच्चे और सब्जी दोनों रूपो...
सर्दियों में गाजर का सेवन बड़े पैमाने पर किया जाता है. यह रोग प्रतिरोधक क्षमता से भरपूर होता है। इनका उपयोग कच्चे और सब्जी दोनों रूपों में किया जाता है। विटामिन ए से भरपूर गाजर आंखों और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होती है। इसमें पाया जाने वाला कैरोटीन बालों के लिए काफी अच्छा साबित होता है। साथ ही इसके सेवन से पाचन तंत्र भी अच्छा रहता है।
यह जलवायु गाजर की खेती के लिए उपयुक्त
देश में गाजर की खेती उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और बिहार में बड़े पैमाने पर की जाती है। इसकी खेती के लिए 15 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान फायदेमंद होता है। 15 डिग्री से कम तापमान पर गाजर का रंग हल्का होने की संभावना रहती है। ऐसे में इसकी खेती उन्हीं क्षेत्रों में सफल होती है, जहां का तापमान 15 डिग्री से ऊपर होता है।
गाजर की खेती में खेत की तैयारी
गाजर बोने से पहले बिजाई के लिए खेत को समतल कर लें। खेत की 2 से 3 गहरी जुताई कर लें। प्रत्येक जुताई के बाद मल्चिंग करें। इससे खेत की मिट्टी भूरी हो जाती है और उसमें गोबर की खाद अच्छी तरह मिलाई जा सकती है। एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए लगभग 4 से 6 किलोग्राम गाजर के बीज की आवश्यकता होती है। बीज बोने के 12 से 15 दिनों में अंकुरित हो जाते हैं। यदि बीजों को बोने से पहले 24 घंटे पानी में भिगोया जाए तो उन्हें अंकुरित होने में कम समय लगता है।
90 दिनों में लाभ
गाजर की फसल बोने के 70 से 90 दिन में तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर आपको 8 से 10 टन प्रति हेक्टेयर प्राप्त हो सकता है। बाजार में गाजर 30 से 50 रुपए किलो बिक रही है। इस हिसाब से सिर्फ एक हेक्टेयर में गाजर की खेती में आप लाखों का मुनाफा कमा सकते हैं.