भारत में जहां लोग रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने की मांग पर धरना-प्रदर्शन करते हैं, वहीं फ्रांस में लोग सेवानिवृति की उम्र बढ़ाए जाने के प्रस...
भारत में जहां लोग रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने की मांग पर धरना-प्रदर्शन करते हैं, वहीं फ्रांस में लोग सेवानिवृति की उम्र बढ़ाए जाने के प्रस्ताव का खुलकर विरोध कर रहे हैं। वहां करीब 11 लाख लोग फ्रांस के अलग-अलग शहरों की सड़कों पर इस प्रस्ताव के खिलाफ राष्ट्रव्यापी विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। गुरुवार को पेरिस और अन्य फ्रांसीसी शहरों की सड़कों पर लोगों का हुजूम देखा गया। पेरिस में ही 80 हजार लोगों ने विरोध-प्रदर्शन किया। उग्र प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने लाठियां भांजी हैं और आंसू गैस के गोले दागे हैं।
हालांकि, राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने जोर देकर कहा कि वह प्रस्तावित पेंशन सुधारों के साथ आगे बढ़ेंगे। उधर, फ्रांसीसी यूनियनों ने 31 जनवरी से नए सिरे से हड़ताल करने और विरोध प्रदर्शनों करने की घोषणा की है। फ्रांसीसी सरकार ने मानक सेवानिवृत्ति की आयु 62 से 64 तक बढ़ाने की योजना बनाई है।
राष्ट्रपति मैक्रॉन का कहना है कि ये उपाय, जो उनके दूसरे कार्यकाल का एक केंद्रीय स्तंभ रहा है,पेंशन प्रणाली को वित्तीय रूप से व्यवहार्य बनाए रखने के लिए आवश्यक है, लेकिन यूनियनों का कहना है कि यह कड़ी मेहनत से काम करने वाले श्रमिकों के अधिकारों का उल्लंघन है।
बार्सिलोना में एक फ्रांसीसी-स्पेनिश शिखर सम्मेलन में मैक्रॉन ने रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने के खिलाफ जनता के असंतोष को स्वीकार किया लेकिन साथ ही ये भी कहा कि फ्रांसीसी पेंशन को "बचाने" के लिए "हमें वह सुधार करना चाहिए। उन्होंने कहा, "हम इसे सम्मान के साथ, संवाद की भावना के साथ दृढ़ संकल्पित होकर और जिम्मेदारी के साथ करेंगे।"
इस बीच, पेरिस पुलिस ने विरोध-प्रदर्शन कर रहे 38 लोगों को हिरासत में लिया है, क्योंकि बर्फीली बारिश के बावजूद राजधानी की सड़कों पर भारी भीड़ जमा हो गई थी। पुलिस के मुताबिक,भीड़ इतनी बड़ी थी कि शहर जाम हो गया और लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में घंटों लग गए। इस विरोध-प्रदर्शन में सेवानिवृत्त लोग और कॉलेज के छात्र भी शामिल हो गए हैं, जो सरकार के सुधार कार्यक्रम के खिलाफ भय और क्रोध में एकजुट हो गए।