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महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क (रीपा) तहत जिले की महिलाएं और युवा उद्यमी जुड़ेंगे लघु उद्योगों से

  नर्मित उत्पादों को स्थानीय बाजार के साथ ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से प्रदेशव्यापी बाज़ारों तक मिलेगी पहचान मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतप...

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नर्मित उत्पादों को स्थानीय बाजार के साथ ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से प्रदेशव्यापी बाज़ारों तक मिलेगी पहचान

मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, छत्तीसगढ़ शासन की महत्वपूर्ण योजना महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क (रीपा) के अंतर्गत जिले के कुल 06 चयनित गोठानों में अलग-अलग प्रकार के छोटे-छोटे उद्योगों को स्थापित किया जा रहा है। जिसके माध्यम से स्व सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार देने का कार्य किया जाएगा, इसके साथ ही युवाओं को भी आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।
इसी कड़ी में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ किये जाने एवं गांव में ही आजीविका के संसाधन विकसित किये जाने के उद्देश्य से विकासखण्ड खड़गंवा के दुबछोला गौठान को रीपा अंतर्गत चयनित किया गया है। 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर इस गौठान में मुख्य अतिथि सविप्रा उपाध्यक्ष एवं विधायक भरतपुर-सोनहत श्री गुलाब कमरो द्वारा रीपा अंतर्गत गतिविधियों की शुरुआत की गई है। 
रीपा अंतर्गत चयनित दुबछोला गौठान में विभिन्न प्रकार के उद्यमों जैसे फेब्रिकेशन, प्रोफ़ाइल शीट मेकिंग यूनिट, फ्लाई एश ब्रिक्स, पेवर ब्लॉक, पोल मेकिंग यूनिट, बोरी बैग एवं अगरबत्ती निर्माण इत्यादि का चयन किया गया है। उद्यमों की स्थापना हेतु आवश्यक अधोसंरचना जैसे वर्किंग शेड स्टोरेज, रोड, कार्यालय, शौचालय, प्रवेश द्वारा आदि का निर्माण कार्य तीव्र गति से प्रगतिरत है एवं आवश्यक मशीन भी स्थापित किए जा रहे हैं। प्राप्त जानकारी अनुसार प्रस्तावित गतिविधियों में कुल 39 उद्यमियों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।

तीसरे चरण में शुरू हुई इस गौठान में संचालित गतिविधियों से समूह की महिलाओं को कम समय में ही हुई 76 हजार तक की आमदनी
वर्तमान में गौठान में वर्मी खाद उत्पादन, मुर्गी पालन, मशरूम उत्पादन, बाड़ी का कार्य किया जा रहा है। तीसरे चरण में शुरू हुए इस गौठान में संचालित गतिविधियों से स्वसहायता समूह की महिलाओं ने 76 हजार तक की आमदनी कमाई है। जिनमें राधे कृष्ण स्व सहायता समूह की महिलाओं को वर्मी खाद उत्पादन से 20 हजार रुपए, मुर्गी पालन कार्य से 30 हजार तथा बाड़ी विकास कार्यों से 16 हजार रूपए की आय प्राप्त की है, वहीं मशरूम उत्पादन कर जय सेवा स्व सहायता समूह की महिलाओं को 10 हजार रुपए की आय हुई है।

निर्मित उत्पादों को स्थानीय बाजार के साथ ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से प्रदेशव्यापी बाज़ारों तक मिलेगी पहचान
निर्मित उत्पादों के विक्रय हेतु क्षेत्रीय बाजार के साथ-साथ सी-मार्ट और ऑनलाईन प्लेटफॉर्म की सहायता से प्रदेशव्यापी बाजार तक पहुँच बनाने की कार्य योजना तैयार की जा रही है। रीपा अंतर्गत गतिविधियों का चयन इस तरह से किया जा रहा है कि कच्चे माल की उपलब्धता एवं तैयार उत्पाद की बाजार सुगमता बनी रहे।