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दुष्कर्म के मामले में दोष सिद्ध होने पर अभियुक्त को 10 साल की सजा,₹10 हजार रु का अर्थदंड भी

  असल बात न्यूज़।।  दुष्कर्म के मामले में यहां आरोपी को दोषसिद्ध होने पर 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। अपर सत्र न्यायाधीश विशे...

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असल बात न्यूज़।। 

दुष्कर्म के मामले में यहां आरोपी को दोषसिद्ध होने पर 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। अपर सत्र न्यायाधीश विशेष न्यायालय श्रीमती संगीता नवीन तिवारी के न्यायालय ने यह सजा सुनाई है। मामले में जून 2019 में एफ आई आर दर्ज हुआ था। घटना पीएटी एग्जाम की तैयारी के कोचिंग के दौरान हुई। हम यहां कोचिंग शब्द का विशेषण से इसलिए उल्लेख कर रहे हैं क्योंकि अभिभावकों को ऐसी घटनाओं से सबक लेने और यह समझने को जरूरत है कि सिर्फ कोचिंग भेज देने से ही उनका उत्तरदायित्व  खत्म नहीं हो जाता बल्कि वहां भी बच्चों की सुरक्षा की ओर ध्यान देने की जरूरत होती है। प्रकरण में स्वीकृत तथ्य है कि प्रार्थी पक्ष और आरोपी एक दूसरे को पहचानते हैं। 

अभियोजन पक्ष के अनुसार प्रकरण के तथ्य इस प्रकार है कि अभियोक्तरी पीएटी एग्जाम की तैयारी के लिए कोचिंग करने पेइंग गेस्ट के रुप में रहती थी। इसी दौरान उसकी आरोपी से मुलाकात हुई। आरोपी ने पीड़िता को मैं तुमसे प्यार करता हूं शादी करना चाहता हूं और तरह-तरह की बड़ी बड़ी बातें कर बहलाने फुसलाने बरगलाने की कोशिश करता था। इसी बातचीत के दौरान आरोपी, जबरदस्ती उसके कमरे में घुस आया और दुष्कर्म किया। आरोपी ने पीड़िता को यह भी धमकी दी कि उसने,उसका वीडियो बना लिया है और घटना के बारे में किसी को बताएगी तो वीडियो वायरल कर देगा। पीड़ित गर्भवती हो गई। उसने पूरी घटना की जानकारी अपने माता-पिता को दी। पीड़िता ने एक बच्चे को जन्म दिया। आरोपी से विवाह कर लेने का आग्रह किया गया लेकिन आरोपी ने इससे यह कहकर इनकार दिया कि वह ऐसे ही शादी करता रहेगा तो उसकी कई पत्नियां हो जाएगी। बच्चे के जन्म के दौरान पीड़िता कमजोर हो गई थी इसलिए घटना की रिपोर्ट थाने में बाद में दर्ज कराई गई। 

न्यायालय के समक्ष विचारण और सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने तर्क लिया कि अभियोक्त्री के जन्म प्रमाण पत्र को अभियोजन पक्ष प्रमाणित करने में असफल रहा है क्योंकि किसी भी दस्तावेज को साक्ष्य के रूप में ग्राहय होने के लिए आवश्यक है कि दस्तावेज तथा उसकी अंतर्वस्तु को उसे जारी करने वाले लेखक व  निष्पादक  से प्रमाणित कराया जाए लेकिन अभियोजन पक्ष ने इसे नहीं किया। न्यायालय ने प्रकरण में 10 गवाहों का साक्ष्य लिया।

प्रकरण में फैसला सुनाते हुए न्यायालय ने कहा कि कोई भी महिला किसी अन्य व्यक्ति के कहने पर स्वयं को ब्लॉतसंग  जैसे घृणित अपराध के अभियोजन में संलिप्त नहीं करेगी। न्यायालय ने पाया कि प्रकारण में अभियुक्त को बलातसंग जैसे गंभीर मामले में झूठा फंसाया जाने का कोई कारण नहीं है। 

न्यायालय के द्वारा आरोपी को दोषसिद्ध पाए जाने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 2, ढ के अपराध में 10 साल के सश्रम कारावास और 10,हजार के अर्थदंड की सजा सुनाई गई है। न्यायालय ने अर्थदंड की संपूर्ण राशि को अभियोक्त्री को प्रदान करने का आदेश दिया है ।


प्रकरण में अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक संतोष कसार ने पक्ष रखा।