नयी दिल्ली. कांग्रेस सदस्य रजनी पाटिल का निलंबन रद्द करने और हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग को ...
नयी दिल्ली. कांग्रेस सदस्य रजनी पाटिल का निलंबन रद्द करने और हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग को लेकर कांग्रेस , आम आदमी पार्टी सहित अधिकांश विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे और नारेबाजी के कारण आज राज्यसभा की कार्यवाही 20 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।
सभापति जगदीप धनखड़ ने सुबह कार्यवाही शुरू होने पर आवश्यक दस्तावेज सदन पटल पर रखे जाने के बाद कहा कि आज दो सदस्यों ने नियम 267 के तहत नोटिस दिया है जिसमें एक नोटिस आम आदमी पार्टी के संजय सिंह का और दूसरा संतोष कुमार पी का है। उन्होंने गहरी नाराजगी जताते हुये कहा कि श्री संजय सिंह सिर्फ तारीख बदलकर एक ही नोटिस को सात बार दे चुके हैं जो बहुत ही गंभीर है। उन्होंने कहा कि एक ही मुद्दे पर बार बार नोटिस देना क्या उचित है। जब एक बार नोटिस को स्वीकार नहीं किया गया तो उसे फिर से और सात बार लगाने का क्या औचित्य है। उन्होंने कहा कि आज जो दो नोटिस मिले हैं वे आर्डर में नहीं है और स्वीकार नहीं किये जा रहे हैं।
इसके बाद उन्होंने शून्यकाल शुरू करते हुये कांग्रेस और विपक्ष के दूसरे दलों के कुछ सदस्यों के नाम पुकारे लेकिन हंगामे का हवाला देकर वे नहीं बोले। हालांकि सत्तापक्ष के कुछ सदस्यों ने अपने मुद्दे उठाये। इसी दौरान जब विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे कुछ बोलना चाहा तो श्री धनखड़ ने कहा कि जिन शब्दों को कार्यवाही से हटाया गया है उसी का उल्लेख किया जाना उचित नहीं है। हालांकि कांग्रेस सदस्यों के बार बार कहने पर सभापति ने श्री खड़गे को अपनी बात रखने के लिए कहा। इस पर श्री खड़गे फिर से उन्हीं शब्दों को लेकर बोलने लगे। उन्होंने कांग्रेस सदस्य रजनी पाटिल को अनावश्यक निलंबित किये जाने का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि ‘सरकार के दबाव में ’ ऐसा किया गया है। इसी बीच सभापति ने उन्हें रोकते हुये कहा कि आप बार बार सदन में और सदन के बाहर यही कहते हैं। उन्होंने कहा “ मैं किसी के दबाव में काम नहीं कर रहा हूं बल्कि मैं नियम के अनुसार और संविधान तथा देशवासियों के हित में काम करता हूं।” उन्होंने कहा कि ‘सरकार के दबाव में’शब्द को कार्यवाही से हटाया जा रहा है।
इसके बाद उन्होंने सत्तापक्ष के सदस्य को शून्यकाल पर बोलने के लिए पुकारा तभी कांग्रेस , आम आदमी पार्टी और अन्य विपक्षी सदस्य सदन के बीचों बीच आकर नारेबाजी करने लगे।
सदन के नेता पीयूष गोयल ने इस पर कहा कि इस तरह का व्यवहार कब तक चलेगा। हंगामा करने वाले सदस्यों का नाम लिया जाना चाहिए और सदन की कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित कर सभी दलों के नेताओं के साथ चर्चा किया जाना चाहिए। इस पर सभापति ने कहा कि आम आदमी पार्टी के राघव चढ्ढा, संजय सिंह, कांग्रेस की रंजिता रंजन, शंकर सिंह गोहिल, इमरान प्रतापगढ़ी आदि का नाम पुकारा। हालांकि श्री धनखड़ ने तभी कार्यवाही को 11बजकर 50 मिनट स्थगित किये जाने की घोषणा कर दी।
स्थगन के बाद कार्यवाही शुरू होने पर सभापति ने शून्यकाल शुरू करने की कोशिश की। इसी दौरान कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने कहा कि सदन को संविधान के अनुरूप ही चलाया जाना चाहिए और अडाणी पर जारी हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट की जेपीसी से जांच करायी जानी चाहिए। तभी श्री धनखड़ ने कहा कि जिस विषय पर सदन में एक बार व्यवस्था दी जा चुकी है और उसी को बार बार उठाने का क्या औचित्य है। इसी बीच कांग्रेस के प्रमोदी तिवारी ने व्यवस्था को सवाल उठाते हुये कहा कि सभापति के पास यह अधिकार है कि वे किसी भी सदस्य का निलंबन वापस ले सकते हैं और जेपीसी की मांग को पूरा कर सकते हैं।
इस पर सदन के नेता श्री गोयल ने कहा कि निलंबन वापस लेने की जिम्मेदारी सभापति पर क्यों डाल रहे हैं। यह काम विपक्षी सदस्य भी अपने आचरण को सुधार कर और राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुयी चर्चा का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उत्तर दिये जाने के दौरान करीब सवा घंटे तक किये गये अपने व्यवहार के लिए माफी मांग कर पूरा कर सकते हैं।
इससे पहले श्री धनखड़ ने कहा कि वह सिर्फ संविधान और उसकी मूल भावना के अनुरूप ही सदन को चलाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि विपक्ष का रूख बजट सत्र के शुभारंभ से ही नकारात्मक रहा है। दो दल राष्ट्रपति के अभिभाषण में शामिल नहीं हुये। इसी दौरान शून्यकाल समाप्त हो गया।