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मुनगा तोड़ने के बहाने खेत ले जाकर, अवयस्क से अप्राकृतिक कृत्य करने के अभियुक्त को 20 साल की सजा

  दुर्ग । असल बात न्यूज़।।  00 विधि संवाददाता   यहां न्यायालय ने अवयस्क से प्रकृति के विरुद्ध  अप्राकृतिक कृत्य करने के अपराध में दोष सिद्ध ...

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 दुर्ग ।

असल बात न्यूज़।। 

00 विधि संवाददाता  

यहां न्यायालय ने अवयस्क से प्रकृति के विरुद्ध  अप्राकृतिक कृत्य करने के अपराध में दोष सिद्ध होने पर अभियुक्त को 20 साल की सजा सुनाई है। अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम फास्ट ट्रैक कोर्ट विशेष न्यायाधीश श्रीमती सरिता दास के न्यायालय में यह सजा सुनाई है। आरोपी की उम्र लगभग 20 वर्ष है और इस अपराध के बाद से वह निरंतर न्यायिक अभिरक्षा में है। न्यायालय में प्रकरण में फैसला सुनाते हुए कहा है कि अभियुक्त के साथ उदारता बरतना न्यायोचित नहीं है। उसके द्वारा कारित अपराध का स्वरूप ऐसा नहीं है कि उसे परिवीक्षा अधिनियम के प्रावधानों का लाभ दिया जाए। न्यायालय ने पीड़ित को अपराध के परिणामस्वरूप हुई हानि और क्षति के लिए प्रतिकर देने की सिफारिश भी की है।

यह प्रकरण दुर्ग थाना क्षेत्र के अंतर्गत का 8 मार्च 2000 21 का है। एफ आई आर दर्ज होने के बाद पुलिस के द्वारा आरोपी को तत्काल गिरफ्तार कर लिया गया था। अभियोजन पक्ष के अनुसार प्रकरण के तथ्य इस प्रकार है कि पीड़ित घटना के दिन खाना खाने के बाद दोपहर में लगभग 2:00 बजे घर से बाहर खेलने के लिए गया था। आरोपी,अवयस्क को मुनगा तोड़ने के नाम पर खेत की तरफ ले गया था और वहां प्रकृति के विरुद्ध जबरदस्ती प्रवेशन लैंगिक हमला कारित करने का अपराध अप्राकृतिक कृत्य किया। पीड़ित ने घर आने के बाद अपने मां को घटना के बारे में जानकारी दी तो प्रकरण में उसकी मां ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई । 

न्यायालय के समक्ष अंतिम तर्क में बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने मौखिक तर्क में यह व्यक्त किया की घटना का सर्वाधिक महत्वपूर्ण साक्षी पीड़ित का साक्ष्य एवं उसके माता का साक्ष्य विरोधाभास से परिपूर्ण है। पीड़ित की मां ने अपने पुलिस बयान का समर्थन नहीं किया है। पीड़ित के शरीर पर घटना कारण कोई भी चोट का निशान नहीं पाए गए हैं। आरोपी को झूठा फंसाया गया है। 

न्यायालय में प्रकरण में अभियोजन के संपूर्ण साक्ष्य के विश्लेषण के आधार पर अभियुक्त के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 506 एवं लैंगिक अपराधों में बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 4(2) के अपराध का दोषी पाया। न्यायालय ने दोष सिद्ध पाए जाने पर अभियुक्त को भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के अपराध में 10 वर्ष के सश्रम कारावास एवं ₹1000 अर्थदंड धारा 506 के अपराध में 1 वर्ष के सश्रम कारावास एवं ₹500 अर्थदंड तथा पास्को एक्ट की धारा 4(2) के अपराध में 20 वर्ष के सश्रम कारावास एवं ₹1000 की सजा सुनाई है। अर्थदंड नहीं देने पर अभियुक्त को 1 माह 15 दिन का अतिरिक्त दंड भुगतना होगा।


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