न्यूयॉर्क. दुनिया के जाने-माने टेक्नोलॉजी स्टार्टअप और उद्यम पूंजी कंपनियां सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) को अच्छी तरह से जानते हैं। एसवीब...
न्यूयॉर्क. दुनिया के जाने-माने टेक्नोलॉजी स्टार्टअप और उद्यम पूंजी कंपनियां सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) को अच्छी तरह से जानते हैं। एसवीबी के दिवालिया होने के बाद इसके नियामक ने बैंक की संपत्ति को जब्त कर उसे बंद कर दिया है। करीब एक दशक पहले वॉशिंगटन म्यूचुअल के ढहने के बाद यह किसी सबसे बड़े वित्तीय संस्थान का पतन है। इससे समझा जा सकता है कि यह कितनी बड़ी विफलता है। बैंक में खाता रखने वाले कुछ स्टार्टअप को अपने कर्मचारियों को भुगतान करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें डर है कि अगर वे अपने धन का इस्तेमाल नहीं कर सके तो उन्हें अपनी परियोजनाओं को रोकना पड़ सकता है।
कुछ सवाल और उनके जवाब
अब सवाल उठता है कि बैंक विफल क्यों हुआ? कौन सबसे अधिक प्रभावित हुआ? क्या
यह घटना अमेरिका में व्यापक बैंकिंग प्रणाली को प्रभावित कर सकती है या
नहीं? आइए इस सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं। सिलिकॉन वैली बैंक
पिछले एक साल में प्रौद्योगिकी शेयरों में गिरावट के साथ ही महंगाई से
निपटने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि करने की फेडरल रिजर्व की आक्रामक
योजना से बुरी तरह प्रभावित हुआ था। बैंक ने पिछले कुछ वर्षों में अरबों
डॉलर मूल्य के बॉन्ड खरीदे थे और इसके लिए ग्राहकों की जमा राशि का उपयोग
किया। सामान्य रूप से बैंक ऐसा ही करते हैं। ये निवेश आम तौर पर सुरक्षित
होते हैं, लेकिन ब्याज दर बढ़ने के कारण इन निवेशों का मूल्य गिर गया।
क्योंकि आज के अधिक ब्याज की तुलना में उन पर कम ब्याज मिल रहा था। आम तौर
पर यह कोई समस्या नहीं है, क्योंकि बैंक लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं।
लेकिन हालात तब बदल सकते हैं, जब उन्हें किसी आपात स्थिति में बेचना पड़े।
ऐसे बन गए थे हालात
एसवीबी के ग्राहक बड़े पैमाने पर स्टार्टअप और अन्य तकनीक-केंद्रित
कंपनियां थीं, जो पिछले एक साल में नकदी के लिए जूझ रही थीं। उद्यम पूंजी
वित्त पोषण सूख रहा था। कंपनियां लाभहीन व्यवसायों के लिए अतिरिक्त वित्त
पोषण पाने में सक्षम नहीं थीं। इसलिए उन्हें अपने मौजूदा फंड का इस्तेमाल
करना पड़ा, जो उन्होंने आमतौर पर सिलिकॉन वैली बैंक में जमा किया था। इसलिए
सिलिकॉन वैली के ग्राहकों ने अपनी जमा राशि निकालनी शुरू कर दी। शुरू में
यह कोई बड़ी समस्या नहीं थी, लेकिन बाद में निकासी के लिए बैंक को ग्राहकों
के अनुरोध बढ़ने लगे। ऐसे में बैंक इन अनुरोधों को पूरा करने के लिए अपनी
संपत्ति बेचने के लिए मजबूर हो गया। नुकसान में बॉन्ड बेचने से सिलिकॉन
वैली बैंक प्रभावी रूप से दिवालिया हो गया। बैंक ने बाहरी निवेशकों के
माध्यम से अतिरिक्त पूंजी जुटाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं
मिली।
इसलिए ना के बराबर है आशंका
बैंक नियामकों के पास सिलिकॉन वैली बैंक की संपत्ति को जब्त करने के अलावा
और कोई विकल्प नहीं था, ताकि बैंक में शेष संपत्ति और जमा की रक्षा की जा
सके। क्या यह एक संकेत है कि हम 2008 जैसे संकट का दोबारा सामना कर सकते
हैं? फिलहाल, नहीं, और विशेषज्ञ मानते हैं कि व्यापक बैंकिंग क्षेत्र में
इसके फैलने की आशंका फिलहाल नहीं है। सिलिकॉन वैली बैंक बड़ा था, लेकिन
विशेष रूप से प्रौद्योगिकी की दुनिया और वीसी समर्थित कंपनियों तक सीमित
था। इसकी भागीदारी अर्थव्यवस्था के उस विशेष हिस्से से साथ बहुत थी, जो
पिछले एक साल में बुरी तरह प्रभावित हुआ था। अन्य बैंकों का आधार कई
उद्योगों, ग्राहक आधारों और भौगोलिक क्षेत्रों में कहीं अधिक व्यापक हैं।
फेडरल रिजर्व का मानना है कि बड़े बैंक एक बड़ी मंदी और व्यापक बेरोजगारी
की स्थिति में भी बचे रहेंगे।