दवा बनाने वाली इकाइयों की निगरानी के लिए कई कदम ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के अपराधों के परीक्षण के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना न...
दवा बनाने वाली इकाइयों की निगरानी के लिए कई कदम
ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के अपराधों के परीक्षण के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना
नई दिल्ली।
असल बात न्यूज़।।
दवा निर्माण इकाइयों से दवाओं की प्रभावकारिता सुनिश्चित करने कुछ दवाओं के बायोइक्विवेलेंस अध्ययन के परिणाम को लेने का कानून बनाया गया है।केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) अच्छी विनिर्माण प्रथाओं (जीएमपी) की आवश्यकताओं के आकलन के लिए दवा निर्माण इकाइयों का जोखिम-आधारित दृष्टिकोण से निरीक्षण करता है। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बात कही। उन्होंने इसे उत्तर में बताया है कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स (संशोधन) अधिनियम केकई अपराधा गैर जमानतीय बना दिए गए हैं।
विभागीय मंत्री ने अपने उत्तर में बताया है कि सीडीएससीओ और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने देश में दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए निम्नानुसार नियामक उपाय किए हैं:
- नकली और मिलावटी दवाओं के निर्माण के लिए कड़े दंड का प्रावधान करने के लिए ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स (संशोधन) अधिनियम 2008 के तहत संशोधित किया गया था। कुछ अपराधों को संज्ञेय और गैर-जमानतीय भी बनाया गया है।
- राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने दवाओं और प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत अपराधों के त्वरित निपटान के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना की है ।
- सीडीएससीओ में स्वीकृत पदों की संख्या में पिछले 10 वर्षों में काफी वृद्धि हुई है।
- दवाओं की प्रभावकारिता सुनिश्चित करने के लिए, ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स, 1945 में संशोधन किया गया है, जिसमें यह प्रावधान किया गया है कि आवेदक को कुछ दवाओं के मौखिक खुराक के निर्माण लाइसेंस के लिए आवेदन के साथ बायोइक्विवेलेंस अध्ययन का परिणाम प्रस्तुत करना होगा।
- औषधि एवं प्रसाधन नियमावली, 1945 में संशोधन कर यह अनिवार्य कर दिया गया है कि विनिर्माण लाइसेंस प्रदान करने से पूर्व विनिर्माण प्रतिष्ठान का केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के औषधि निरीक्षकों द्वारा संयुक्त रूप से निरीक्षण किया जाना है।
- ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स, 1945 में संशोधन किया गया है, जिससे यह अनिवार्य हो गया है कि अथॉरिटी द्वारा मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस देने से पहले आवेदक राज्य लाइसेंसिंग अथॉरिटी को स्थिरता, एक्सीपिएंट्स की सुरक्षा आदि का सबूत जमा करेंगे।