रायपुर । असल बात न्यूज़।। भारतीय प्रबंधन संस्थान रायपुर द्वारा "शक्तिरथ: सेलिब्रेटिंग द जर्नी ऑफ वीमेन इन बिजनेस" विषय के तहत अ...
रायपुर ।
असल बात न्यूज़।।
भारतीय प्रबंधन संस्थान रायपुर द्वारा "शक्तिरथ: सेलिब्रेटिंग द जर्नी ऑफ वीमेन इन बिजनेस" विषय के तहत अपने पहला महिला दिवस शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस शिखर सम्मेलन का आयोजन, महिलाओं के नेतृत्व के तरीकें और लैंगिक भेदभाव और रूढ़िबद्धता के संदर्भ में उनके सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए, "द ग्लास सीलिंग: रीडिफाइनिंग वीमेन लीडरशिप इन बिजनेस" विषय पर एक पैनल चर्चा आयोजित की गई। यह चर्चा कार्यस्थल में समानता और निष्पक्षता को बढ़ावा देने के लिए की गई।
शिखर सम्मेलन की शुरुआत गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई, जिसके बाद पैनल चर्चा हुई। चर्चा की शुरुआत, प्राध्यापक अर्चना पराशर, सह-प्राध्यापक, भा.प्र.सं. रायपुर द्वारा की गई और उन्होंने चर्चा की शुरुआत यह कहते हुए की कि महिलाओं की उपलब्धियों को पहचान मिलनी चाहिए। सुश्री गौरी दास, उपाध्यक्ष और मानव संसाधन प्रमुख, इंडिया फैक्टरिंग, ने अपने करियर में एक लीडर के रूप में अपने सफर के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि समर्थन की कमी के कारण महिलाओं के लिए सफल होना मुश्किल होता था। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि महिलाओं को अपने कार्यस्थल पर पक्षपात का सामना, मुख्य रूप से उन लोगो द्वारा किया जाता है, जिन्होंने बड़े होते हुए ऐसा देखा है औऱ अब यह बात उनके दिमाग में घर कर चुकी होती है। उन्होंने टेक्नोलॉजी को अपना सबसे बड़ा समर्थक बताया जो कार्यस्थल में समानता लाने और महिलाओं को इन पक्षपात के खिलाफ खड़े होने में मददरूप है।
सुश्री अनामिका सिरोही, वाइस प्रेसिडेंट - मार्केटिंग, एमवे ने आगे आकर बोलने के महत्व के बारे में बात की और बताया कि कैसे महिलाएं खुद को और दूसरों को सशक्त बनाने के लिए इसका उपयोग कर सकती हैं। असमानता के बारे में बात करते हुए, उन्होंने समाज में साहित्य का उदाहरण दिया और बताया कि किस तरह किताबों ने महिलाओं को बिना करियर की अपेक्षा के, उन्हें अनाम देखभालकर्ता की भूमिकाओं तक सीमित कर दिया। उनके विचार में साहित्य में महिलाओं का सकारात्मक प्रतिनिधित्व समाज की मानसिकता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है।
सुश्री महिमा गर्ग, मार्केटिंग, ट्रेनिंग और सर्टिफिकेशन की हेड, ईडब्ल्यूएस, भारत, ने आगे आकर बोलने के महत्व पर दोबारा बात की और कहा कि बोलना, सभी लिंग का अधिकार है, हालांकि, यह एक शक्तिशाली उपकरण है। उन्होंने टेक्नोलॉजी के लाभों के बारे में बात करते हुए कहाँ कि महिलाएं इसका उपयोग न केवल अपने काम को संभालने के लिए कर सकती हैं बल्कि काम औऱ जीवन के बीच संतुलन बनाने के लिए भी कर सकती हैं। उन्होंने आगे कहा कि आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने के लिए महिलाओं को वित्तीय निर्णयों के बारे में बातचीत करनी चाहिए।
डॉ. सतरूपा भट्टाचार्जी कपूर, इंस्टीट्यूशनल बिजनेस डेवलपमेंट, इमर्जिंग मार्केट्स एंड फंडेड प्रोजेक्ट्स डिवीजन, साउथ एशिया रीजन, ट्रिम्बल इंक. ने भूविज्ञान के क्षेत्र में प्रवेश करने के अपने अनुभव को याद किया। उन्होंने कहा कि यह एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र था, ख़ासकर टेक्नोलॉजी की कमी के कारण, हालांकि, उसके बाद से क्षेत्र काफी बदल गया है। उन्होंने बताया कि लिंग को ध्यान में लिए बिना, भेदभाव किसी के भी साथ हो सकता है, लेकिन आत्मविश्वास की मदद से लोग इसका सामना कर सकते है और समय के साथ पहल करके आत्मविश्वास का निर्माण किया जा सकता है। उन्होंने छात्रों को खुद पर विश्वास करने और हमेशा अपने सिद्धांतो के साथ जुड़े रहने के लिए प्रोत्साहित किया।
शिखर सम्मेलन का समापन भा.प्र.सं. रायपुर के निदेशक, प्राध्यापक राम कुमार काकानी द्वारा आभार व्यक्त करने के साथ हुआ, जिन्होंने गणमान्य व्यक्तियों को उनकी उपस्थिति के साथ शिखर सम्मेलन की शोभा बढ़ाने के उनका आभार व्यक्त किया और उन्हें सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि इस चर्चा से भा.प्र.सं. रायपुर के छात्रों को महत्वपूर्ण ज्ञान प्राप्त हुआ है और उन्हें व्यापार में महिलाओं के सामने आने वाली कठिनाइयों की बारीकियों को समझने में भी मदद मिली है। इससे उन्हें यह समझने में मदद मिली कि उन्हें कॉर्पोरेट जगत में कदम रखने वाले लोगो को उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए एक मंच प्रदान करते हुए वे लैंगिक समानता को बढ़ावा कैसे देना चाहिए। यह संस्थान प्रा. परीक्षित चरण, अध्यक्ष, कॉर्पोरेट रिलेशंस एंड प्लेसमेंट्स और उनकी टीम का आभार व्यक्त करती है और समाज पर सकारात्मक प्रभाव पैदा करने के लिए इस तरह के और कार्यक्रमों का आयोजन की इच्छा रखती है।