नई दिल्ली . मलेशिया में जानलेवा मछली खाने से एक दंपति की तबीयत बिगड़ गई। दोनों को जब अस्पताल ले जाया गया तो महिला ने इलाज के दौरान दम त...
नई दिल्ली. मलेशिया में जानलेवा मछली खाने से एक दंपति की तबीयत बिगड़ गई। दोनों को जब अस्पताल ले जाया गया तो महिला ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया और महिला का पति कोमा में है। घटना के मुताबिक, दोनों ने जहरीली मछली पफर खाई थी। जिसके खाने के बाद उनकी मौत हो गई। यह भी पता लगा है कि महिला जब मछली को साफ करके पका रही थी तो उसके (महिला) शरीर में कंपन शुरू हो गया था। सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। कुछ ही क्षणों के बाद उसके पति में भी इसी तरह के लक्षण दिखाई देने लगे थे।
मलेशिया में 83 वर्षीय लिम सिउ गुआन की पफर फिश खाने से मौत हो गई, जबकि उसके पति का अभी भी इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में इलाज चल रहा है। एक स्थानीय मीडिया आउटलेट का हवाला देते हुए, न्यूयॉर्क पोस्ट ने बताया कि यह घटना 25 मार्च को जोहोर में हुई थी। दंपति की बेटी, एनजी ऐ ली ने कहा कि उनके पिता ने एक स्थानीय दुकान से पफर मछली खरीदी थी। उन्हें अंदाजा नहीं था कि वह मछली जहरीली है।
बेटी ने कहा, "मेरे माता-पिता कई वर्षों से एक ही मछुआरे से मछली खरीद रहे हैं, इसलिए मेरे पिता को नहीं पता था कि इस बार खरीदी गई मछली जहरीली हो सकती है। उन्होंने जानबूझकर खाने के लिए इतना घातक कुछ नहीं खरीदा होगा कि अपनी जान जोखिम में डाल दें।"
मछली पकाने के बाद ही कांपने लगी थी महिला
उधर, जोहोर के स्वास्थ्य और एकता समिति के अध्यक्ष, लिंग तियान सून ने कहा
कि दंपति द्वारा दोपहर के भोजन के लिए मछली को साफ करने और पकाने के तुरंत
बाद, महिला कांपने लगी और सांस लेने में कठिनाई का अनुभव करने लगी। उनके
पति ने भी लगभग एक घंटे बाद इसी तरह के लक्षणों को महसूस किया था।
इसके बाद दंपति को उनकी बेटी अस्पताल ले आई। हालांकि उस शाम उनकी मां को मृत घोषित कर दिया गया। स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि मामले में कोई नई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है और उस तारीख को बेची गई सभी मछलियों को जिला स्वास्थ्य कार्यालय (पीडीके) ने विश्लेषण के लिए ले लिया है। उन्होंने लोगों से भोजन चुनने में सावधानी बरतने का भी आग्रह किया, खासकर अगर इसमें जोखिम हो।
जापानियों की पहली पसंद है पफर मछली
खाद्य और औषधि प्रशासन के अनुसार, पफर मछली लोकप्रिय जापानी व्यंजन है।
इसमें शक्तिशाली और घातक विषाक्त पदार्थ टेट्रोडोटॉक्सिन और सैक्सिटॉक्सिन
हो सकते हैं। जो पकाने या फ्रिज में रखने के बाद भी नष्ट नहीं होते। आमतौर
पर केवल एक्सपर्ट रसोइयों को ही मछली परोसने की अनुमति दी जाती है, जिन्हें
इन विषाक्त पदार्थों को निकालने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।