रायपुर, दुर्ग। असल बात न्यूज़।। हिंदू मास आषाढ़ का महीना शुरु हो गया है लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य के ज्यादातर इलाकों में अभी भी तपिश भरी गर्...
रायपुर, दुर्ग।
असल बात न्यूज़।।
हिंदू मास आषाढ़ का महीना शुरु हो गया है लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य के ज्यादातर इलाकों में अभी भी तपिश भरी गर्मी पड़ रही है।पिछले 10 दिनों से अंचल में कहीं भी बारिश नहीं हुई है। गर्मी पड़ने की वजह से सुबह 10:00 बजे के बाद से अभी भी लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है। दूसरी तरफ बारिश शुरू होने में देरी होने से कृषि कार्य पिछड़ने की आशंका पैदा हो गई है। छत्तीसगढ़ अंचल में आमतौर पर 15 जून के बाद मानसून की अच्छी बारिश हो जाती है।
आषाढ़, सावन, कुंवार,भादों ये हिंदू मास के वे महीने हैं जब देश में ज्यादातर इलाकों में मानसून की अच्छी बारिश होती है। लेकिन, देश के कई इलाकों में अभी मानसून का कहीं अता पता नहीं है। मुंबई तक में अभी मानसून की बारिश नहीं हुई है। केरल पहुंचने के बाद मानसून भटक गया है। ऐसे हालात में छत्तीसगढ़ अंचल में तो अभी बेचैन कर देने वाली गर्मी पड़ रही है। दिन में अधिकतम पारा 44 डिग्री तक पहुंच जा रहा है तो वहीं रात में पारा गिरने के बावजूद उमस भरी गर्मी पड़ रही है जो कि लोगों को बेचैन कर दे रही है।
अभी गर्मी पड़ रही है जिसके चलते शासन प्रशासन को आम लोगों से लू से बचाव करने की अपील करनी पड़ रही है। गर्मी को देखते हुए लू से बचाव हेतु सभी नागरिकों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी गाइडलाइन एवं घरेलु उपायों का पालन करने को कहा गया है। गर्मी के मौसम में लू लगने से बीमार होने के अनेक मामले आते हैं। कुछ जरूरी सावधानियां अपनाकर इससे बचा जा सकता है। ग्रीष्म ऋतु में लू चलना आम बात है। इस मौसम में तेज धूप एवं गर्मी के कारण लू लगने की संभावना रहती है। लू लगने का प्रमुख कारण शरीर में नमक और पानी की कमी होना है। पसीने के रूप में नमक और पानी का बड़ा हिस्सा शरीर से बाहर निकल जाता है और खून में गर्मी बढ़ जाती है। लू लगना खतरनाक एवं जानलेवा भी हो सकता है।बहुत तेज बुखार आना, सिर भारी लगना, पसीना नहीं आना, उल्टी होना, हाथ-पैर में दर्द होना, त्वचा का सूखा, गर्म व लाल होना, चक्कर एवं बेहोशी आना इसके लक्षण हैं।
फिलहाल किसानों ने खरीफ फसलों की बोनी शुरू कर दी है और विभिन्न इलाकों में छुट-पुट बोनी शुरू हो चुकी है। इस साल खरीफ रकबे में लगभग एक लाख हेक्टेयर की वृद्धि का लक्ष्य है। बीते खरीफ में राज्य में 47 लाख 18 हजार हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बोनी की गई थी, जिसे इस साल बढ़ाकर 48 लाख 20 हजार हेक्टेयर करने का लक्ष्य है। धान का रकबा 39 लाख हेक्टेयर से घटाकर 36 लाख हेक्टेयर कर इसके बदले मिलेट्स, दलहन, तिलहन की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। अन्य फसलों की खेती के रकबे में बीते साल की तुलना में भी लगभग एक लाख हेक्टेयर की वृद्धि की जाएगी।
राज्य में खरीफ वर्ष 2023 में फसलवार खेती के लिए निर्धारित लक्ष्य के अनुसार राज्य में बोता धान की खेती में 3 लाख 14 हजार हेक्टेयर की कमी तथा धान रोपा के रकबे में लगभग 15 हजार हेक्टेयर की वृद्धि किया जाना है। मक्का के रकबे को एक लाख 92 हजार हेक्टेयर से बढ़ाकर 2 लाख 40 हजार हेक्टेयर, मिलेट्स (कोदो-कुटकी, रागी) के रकबे को 96 हजार हेक्टेयर से बढ़ाकर एक लाख 60 हजार हेक्टेयर किया जाने का लक्ष्य है। इसी तरह अरहर और उड़द के रकबे में 50-50 हजार हेक्टेयर की बढ़ोत्तरी कर इनके रकबे को क्रमशः एक लाख 40 हजार हेक्टेयर और एक लाख 70 हजार हेक्टेयर में किया जाना है। दलहनी फसलों के रकबे में भी 83 हजार हेक्टेयर की वृद्धि कर 2 लाख 9 हजार हेक्टेयर में इनकी बोनी का लक्ष्य निर्धारित है। अनाज, दलहनी, तिलहनी फसलों के अलावा राज्य में अन्य फसलों की खेती के रकबा एक लाख 57 हजार हेक्टेयर से बढ़ाकर 2 लाख 50 हजार हेक्टेयर किया जाना है।
खरीफ फसलों के लिए राज्य के किसानों को खाद-बीज समय पर उपलब्ध हों इसको लेकर कृषि विभाग द्वारा व्यापक तैयारियां पहले से ही की जा रही है। डबल लॉक एवं सहकारी समितियों में खाद-बीज का भण्डारण कराए जाने के साथ इनका वितरण भी किसानों को किया जा रहा है। राज्य में इस साल 12.19 लाख मीट्रिक टन रासायनिक उर्वरक की आवश्यकता को देखते हुए अब तक 10.08 लाख मीट्रिक टन उर्वरकों का सहकारी एवं निजी क्षेत्रों में भण्डारण किया जा चुका है। किसानों को खरीफ फसलों के लिए पौने चार लाख मीट्रिक टन उर्वरकों का वितरण भी किया जा चुका है, जो कि उर्वरक भण्डारण का लगभग 37 प्रतिशत है।
खरीफ सीजन 2023 के लिए 10.18 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए इसका तेजी से भण्डारण एवं किसानों की डिमांड के अनुसार वितरण भी किया जा रहा है। राज्य में 4.12 लाख क्विंटल बीज का भण्डारण कर अब तक किसानों को 1.04 लाख क्विंटल बीज का वितरण किया जा चुका है, जो बीज भण्डारण का 25 प्रतिशत है।