Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

Automatic Slideshow


सिर्फ उपमुख्यमंत्री बनाए गए हैं, कि बड़ा पोर्टफोलियो भी मिलेगा? छत्तीसगढ़ के राजनीतिक गलियारे में उछल रहा है यह बड़ा सवाल

नई दिल्ली, छत्तीसगढ़।।  असल बात न्यूज़ ।।     00 अशोक त्रिपाठी/ विशेष संवाददाता अखिल भारतीय कांग्रेस के तीन लाइन के नियुक्ति पत्र से छत्तीसग...

Also Read

नई दिल्ली, छत्तीसगढ़।।

 असल बात न्यूज़ ।।   


00 अशोक त्रिपाठी/ विशेष संवाददाता

अखिल भारतीय कांग्रेस के तीन लाइन के नियुक्ति पत्र से छत्तीसगढ़ में वरिष्ठ मंत्री टीएस सिंहदेव के खेमे में भारी खुशियां हैं, मिठाइयां बांटी जा रही हैं, पटाखे फोड़े जा रहे हैं।इस नियुक्ति से राजनीतिक गलियारे में नई सुगबुगाहट भी शुरू हुई है तथा कहा जा सकता है कि कांग्रेस ने इससे संकेत देने की कोशिश की है कि वह, आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर काफी सतर्क है और चुनाव में सफलता हासिल करने में वह कोई कमी नहीं रहना देना चाहती, कोई ऐसी चूक नहीं छोड़ना चाहती जिससे बाद में लगे कि इस कमी की वजह से उसे नुकसान उठाना पड़ा है। मंत्री श्री सिंहदेव की इस नियुक्ति को इसी कड़ी के एक अंग के रूप में जोड़कर देखा जा रहा है। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस के द्वारा राजनीति में सबको साथ लेकर चलने पर ही आगे बढ़ने की नीति अपनाई जा रही है। पार्टी में कथित तौर पर नाराज चल रहे किसी बड़े नेता को हाशिए पर धकेल देने से बचने की भी नीति दिख रही है।इस फार्मूले को राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़ सभी राज्यों में अपनाने की कोशिश हो रही है। और इस रास्ते पर चलकर ही पार्टी आगे चुनाव में फिर बड़ी सफलता हासिल करने चाहती है। तब भी कई सारे सवाल हैं जोकि राजनीतिक विश्लेषकों के मन में बने रहेंगे। इसमें पहला बड़ा सवाल यही है कि क्या श्री सिंहदेव सिर्फ उपमुख्यमंत्री ही रहेंगे अथवा उन्हें साथ में बड़ा पोर्टफोलियो भी मिलने वाला है? यह वास्तविकता है कि उपमुख्यमंत्री का रैंक भी मंत्रियों के बराबर ही होता है और उनके पास कोई विशिष्ट वित्तीय अथवा प्रशासनिक शक्तियां नहीं होती हैं। ऐसे में तो यहां यह सवाल बना ही रहेगा कि पार्टी ने मंत्री श्री सिंहदेव को  उपमुख्यमंत्री बनाकर पार्टी के भीतर जो अंदरूनी राजनीतिक टकराव की नौबत थी उसे खत्म करने की दिशा में सिर्फ एक औपचारिकता पूरी करने की कोशिश गई है,कि यहां अब सबको आगे बढ़ाने और सभी को मजबूत बनाने की दिशा में काम करने की शुरुआत हो गई है। इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि जो खाई खिंच गई थी उसे पाटने  के लिए अभी और भी बहुत कुछ करना पड़ेगा। 

छत्तीसगढ़ की राजनीति में पिछले चार वर्षों के दौरान कांग्रेसी खेमे में राजनीतिक समीकरण लगातार बदलते दिखे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के समय तब के नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव कांग्रेस का घोषणा पत्र तैयार करने वालों में बड़े नेताओ मे से थे या कहा जा सकता है कि वे ही इस के नेतृत्वकर्ता थे और उन्होंने उस दौरान पूरे प्रदेश में घूम कर चुनाव प्रचार भी किया था। और अभी जो जानकारी है इस बार,इस विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का घोषणा पत्र बनाने के लिए, तैयार करने के लिए जो टीम बनाई गई है उसमें श्री सिंह देव का तो नाम नहीं है। राजनीतिक परिस्थितियां लगातार बदलती गई । ढाई ढाई साल के मुख्यमंत्री के मुद्दे को लेकर विवाद शुरू हुआ और यह बात कभी खत्म होता नजर नहीं आया। श्री सिंह देव ने अपनी कथित  नाराजगी से अपने बड़े विभाग पंचायत विभाग के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया तब भी सत्ता में कोई बड़ी हाल-चाल नहीं हुई और तब उनके एक भाग से उनका मंत्री पद से इस्तीफा बड़ी सरलता से बिना किसी सवाल के स्वीकार कर लिया गया। इधर कांग्रेस संगठन में भी खींचतान की खबरें आने लगी। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष को भी बदले जाने की भी एक  मुहिम शुरु दिख रही थी। अब फिर राजनीतिक समीकरण बदला है और पार्टी हाईकमान का, नए समीकरण में जो लोग नाराज थे  उस पक्ष के लोगों को साथ मिलता दिख रहा है। अब यह नया समीकरण आगे कितना बढ़ पाता है और कितना मजबूत होता है, यह देखने वाली बात होगी। 

अब बात करें उपमुख्यमंत्री पद पर नियुक्ति की तो किसी पार्टी के द्वारा आमतौर पर अपने सहयोगी दलों जिनके साथ मिलकर सरकार बनाई गई है, ज्यादातर, उस ग्रुप के लोगों को खुश करने के लिए ही उपमुख्यमंत्री बनाया जाता रहा है। और कई बार, पार्टी को अपने ही लोगों की नाराजगी को दूर करने के लिए किसी को इस पद पर किसी को बिठाने का निर्णय लिया जाता है। छत्तीसगढ़ के बारे में तो इसी से तरह से ही निर्णय लिया गया कहा जा सकता है। छत्तीसगढ़ में नया राज्य बनने के बाद यह पहली बार उपमुख्यमंत्री पद पर नियुक्ति हुई है और इस की नियुक्ति संगठन के द्वारा की गई है। आमतौर पर मंत्रियों उपमुख्यमंत्री या मुख्यमंत्री की नियुक्ति का जब वे पदभार ग्रहण करने पहुंचते हैं, तब पता चलता है कि किसी क्या बनाया जा रहा है और कौन सा विभाग मिल रहा है। लेकिन छत्तीसगढ़ के मामले में पार्टी हाईकमान संगठन के द्वारा बकायदा नियुक्ति पत्र जारी कर उपमख्यमंत्री बनाना घोषित किया गया है। अभी पदभार ग्रहण कब किया जायेगा, इसकी सूचना जारी नहीं हुई है। राजनीतिक गलियारे में राजनीतिक विश्लेषको के द्वारा इसका अर्थ निकाला जा रहा है कि यहां सत्ता और संगठन के बीच जो तालमेल की कमी थी, टकराहट चल रहा था, उसमें संगठन भारी पड़ा है। नई दिल्ली में पार्टी हाईकमान के साथ संगठन की कल जो बैठक हुई है, उसके जो फोटोस सामने आए हैं उसे देखकर भी कई संकेत मिलते हैं कि संगठन का महत्व बढ़ा है।इस बैठक में राहुल गांधी, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस की प्रदेश संगठन प्रभारी सुश्री शैलजा, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम, विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत, टीएस सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू, सत्यनारायण शर्मा, शिव डहरिया, धनेंद्र साहू इत्यादि दिग्गज नेता उपस्थित थे। और राजनीतिक गलियारे में अंदरखाने से यह भी खबर आ रही है कि बैठक में प्रभारी कुमारी शैलजा ने जो महत्वपूर्ण सुझाव दिए उसके बाद ही बड़ा निर्णय लिया गया है।





अब सवाल है कि वरिष्ठ मंत्री श्री सिंहदेव को उप मुख्यमंत्री बना देने के बाद क्या नए राजनीतिक समीकरण बनेंगे और उनका खेमा कितना संतुष्ट हो सकेगा। अभी देश के 28 राज्यों में से 11 राज्यों में  मुख्यमंत्री बनाए गए हैं। अविभाजित मध्यप्रदेश में अभी तक दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में दो उप मुख्यमंत्री बनाए गए थे लेकिन उन्हें जिस तरह के अधिकार मिले हुए थे, उससे वे उस दौरान हमेशा असंतुष्ट ही नजर आए। वहां नियुक्तियां भी एन विधानसभा चुनाव के पहले ही हुई थी।
उपमुख्यमंत्री के पद का उपयोग  राजनीतिक स्थिरता और मजबूती लाने के लिए हमेशा से किया जाता रहा है और यह दल या गठबंधन के वफादार और प्रभावशाली नेताओं को पुरस्कृत करने का एक तरीके के रूप में भी सामने आया है। हालाँकि, उपमुख्यमंत्री के पास मुख्यमंत्री की ओर से कार्य करने या उनकी सहमति के बिना कोई आदेश या निर्देश जारी करने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है। लेकिन छत्तीसगढ़ में उप मुख्यमंत्री को क्या कोई विशेष छूट मिलेगी यह भी सवाल यहां जरूर तैरता रहेगा ।उपमुख्यमंत्री का नीति-निर्माण और शासन पर कुछ हद तक प्रभाव हो सकता है, लेकिन यह सब कुछ मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों के साथ उनके तालमेल पर ही निर्भर करता है। तालमेल बढ़ने पर उपमुख्यमंत्री, मुख्यमंत्री के डिप्टी के रूप में कार्य करते और राज्य के प्रशासन और शासन में उनकी सहायता करते देखे गए हैं।डिप्टी सीएम को मुख्यमंत्री के संभावित उत्तराधिकारी के रूप में या उनके अधिकार पर नियंत्रण और संतुलन के रूप में भी देखा जाता है।उपमुख्यमंत्री उनकी अनुपस्थिति में मुख्यमंत्री के कुछ कार्य भी कर सकते हैं, जैसे कैबिनेट बैठकों की अध्यक्षता करना, आधिकारिक कार्यों में भाग लेना, या अंतर-राज्य या राष्ट्रीय मंचों पर राज्य का प्रतिनिधित्व करना। अब देखना यह है कि छत्तीसगढ़ की राजनीति में  उपमुख्यमंत्री को कैसी जिम्मेदारी मिलती देखने को मिल सकती है और उन्हें कितना अधिक अधिकार मिलता है। यह सब कुछ दिनों के भीतर पता चलने वाला है। 
  
                               Political reporter


  • असल बात न्यूज़

    सबसे तेज, सबसे विश्वसनीय 

     पल-पल की खबरों के साथ अपने आसपास की खबरों के लिए हम से जुड़े रहे , यहां एक क्लिक से हमसे जुड़ सकते हैं आप

    https://chat.whatsapp.com/KeDmh31JN8oExuONg4QT8E

    ...............


    असल बात न्यूज़

    खबरों की तह तक,सबसे सटीक,सबसे विश्वसनीय

    सबसे तेज खबर, सबसे पहले आप तक

    मानवीय मूल्यों के लिए समर्पित पत्रकारिता