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अमित शाह के आगमन से दुर्ग से क्या राजनीतिक संदेश जाएगा ? इस पर लगी रहेगी सबकी नजर

  दुर्ग । असल बात न्यूज़।।     00 राजनीतिक गलियारा /        अशोक त्रिपाठी   केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय स्त...

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 दुर्ग ।

असल बात न्यूज़।।   

 00 राजनीतिक गलियारा /       अशोक त्रिपाठी 


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के शीर्ष नेता हैं। पार्टी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद उन्हीं का नंबर गिनाया जाता है और राजनीतिक गलियारे में यह भी कहा जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा अपनी पसंद का ज्यादातर काम उन्हीं के माध्यम से कराया जाता है और श्री शाह ने पार्टी को क्षेत्रों में मजबूत करने के लिए अपने तरीके से जो काम किए हैं, वह लंबे समय तक चर्चाओ में बने रहे हैं, चाहे वे सब बातें हैं गोवा में सरकार बनाने की हो, मध्यप्रदेश की हो अथवा महाराष्ट्र में सरकार बनाने की बात हो। इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि पिछले वर्षों में श्री शाह,भारतीय जनता पार्टी के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी ताकत के रूप में सामने आए हैं। पंद्रह वर्षों तक सत्ता में रहने के बाद भारतीय जनता पार्टी को छत्तीसगढ़ में आम जनता ने सत्ता से जिस तरह से बेदखल किया है,उसके विरोधियों को भी उसकी कल्पना नहीं थी। उसके झटके से पार्टी, शायद ही अब भी 'उबर' पाई होगी। अब विधानसभा चुनाव फिर से सिर पर आ गए हैं। भारतीय जनता पार्टी यहां पिछले विधानसभा चुनाव में जिन खामियों और कठिनाइयों से जूझ रही थी जिसकी वजह से आम मतदाताओं को वह आकर्षित, प्रभावित करने में असफल रही,उन खामियों से पार्टी ने पूरी तरह से निजात पाने में सफलता हासिल कर ली हो, ऐसा दावे के साथ कहने वाले पार्टी में भी शायद ही बहुत कम लोग मिलेंगे। ऐसे में कहा जा सकता कि भारतीय जनता पार्टी के लिए छत्तीसगढ़ में  अभी भी यानी कि पिछले विधानसभा चुनाव की तरह वह समस्या,जस की तस बनी हुई है। अंदरूनी हालात बताते हैं कि पार्टी में पिछले दो-तीन वर्षों के भीतर दबे जुबान से यह चर्चा उभरी है कि पार्टी को विधानसभा चुनाव में उबारने में छत्तीसगढ़ के किसी चेहरे पर अधिक भरोसा किया जाना जोखिम भरा साबित हो सकता है बल्कि यहां चुनाव के पहले से किसी राष्ट्रीय चेहरे को बड़ी जिम्मेदारी संभालनी पड़ेगी और चुनाव में नेतृत्व करना पड़ेगा। इन राजनीतिक वातावरण के बीच शीर्ष नेता अमित शाह का 22 जून को दुर्ग आगमन हो रहा है। वह यहां बड़ी सभाएं लेंगे जिसमें लाखों की भीड़ जुटने की उम्मीद की जा रही है।

शीर्ष नेता अमित शाह दुर्ग आ रहे हैं तो भारतीय जनता पार्टी जरूर कोशिश करेगी कि इसमें सिर्फ दुर्ग जिले से ही नहीं, पूरे दुर्ग संभाग से भीड़ जुटे। राजनीतिक गलियारे में भी कहा जा रहा है कि अमित शाह जब यहां सभाएं लेंगे और वे अपने उद्बोधन में जो बातें करेंगे, उससे सिर्फ दुर्ग शहर ही नहीं बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में संदेश जाएगा और खास तौर पर दुर्ग संभाग के जो जिले हैं वहां तक भी इससे स्पष्ट मैसेज जाएगा कि पार्टी आगे क्या करने वाली है उसकी  आगामी विधानसभा चुनाव के संबंध में क्या और कैसी रणनीति हो सकती है। कार्यकर्ताओं को किस तरह से  काम करना है और कार्यकर्ताओं को पार्टी में कितना महत्व मिलने वाला है। हम यहां कार्यकर्ताओं के जो महत्व की बात कर रहे हैं तो इसके बारे में जो पिछली जानकारियां हैं ऐसा कहा जाता रहा है कि यहां पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान कार्यकर्ताओं में काफी नाराजगी बढ़ी हुई देखी गई थी। जिसकी वजह से भी कहा जाता है कि पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा था। ऐसे में कार्यकर्ताओं को महत्व मिलने का मुद्दा काफी महत्वपूर्ण कहा जा सकता है।

 पिछले विधानसभा चुनाव में पूरे दुर्ग संभाग में भारतीय जनता पार्टी को गहरा आघात लगा था और बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। वह जो आघात लगा है उससे एक बड़ी रिक्तता भी पैदा हुई है  जिसकी भरपाई कर पाना आसान नहीं है। उस दौरान पार्टी पूरे संभाग में सिर्फ 2 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल कर पाई थी। बालोद, बेमेतरा, कवर्धा जिलों में उसे भी कोई भी सीट नहीं मिली। ग्रामीण विधानसभा सीटों ही नहीं, शहरी इलाकों में भी भाजपा को जबरदस्त नुकसान उठाना पड़ा जिससे यह भी आभास होता लगा है कि शहरी इलाकों में भी उसका जनाधार खिसकता नजर आ रहा है।कहा जा सकता है कि इस क्षेत्र से मतदाताओं ने भाजपा के खिलाफ कड़ा जनादेश दिया।ऐसे में केंद्रीय मंत्री अमित शाह यहां आ रहे हैं तो कई सारे नए राजनीतिक वातावरण बनते दिख रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के लोगों को कार्यकर्ताओं को तो पहले ही उम्मीद होगी कि उनके शीर्ष नेता आ रहे हैं तो यहां पार्टी की राजनीतिक स्थिति मजबूत होने के लिए कुछ नया बनता दिख सके। पार्टी में कार्यकर्ताओं के बीच जो तालमेल का अभाव है वह दूर हो सके। यह भी कहा जा सकता है कि अमित शाह, यहां छत्तीसगढ़ के ताजा राजनीतिक हालात को भी समझने की कोशिश करेंगे और पार्टी को मजबूत करने के लिए बड़े निर्णय लेंगे।

भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल के दौरान दुर्ग जिले की बात करें तो कहा जा सकता है कि इस दौरान पूरे छत्तीसगढ़ में दुर्ग जिला ही सबसे अधिक पिछड़ता गया है। अविभाजित मध्यप्रदेश के समय पूरे देश में अपनी अलग पहचान रखने वाले और हरे-भरे शांत खुशहाल क्षेत्र के रूप में जाने, जाने वाले इस जिले में इसी अवधि में संक्रामक बीमारियों से लोगों की मौतें शुरू हुई। एक साल में ही 200 से 300 लोगों की संक्रामक बीमारियों के चपेट में आ जाने से मौतें हो गई। कानून व्यवस्था की बात करें तो तरह-तरह के गैंग बढ़ते रहे। सट्टा, अवैध शराब की बिक्री और तमाम तरह के अवैध कारोबारो की काफी बढ़ोतरी हुई। दूसरे स्थानों से आकर यहां बसने वाले लोगों की संख्या भी लाखों में बढ़ गई। दुर्ग शहर में रेलवे क्रॉसिंग पर under bridge बनाने की दो-तीन जगह शुरुआत हुई लेकिन कई सालों तक इसका काम पूरा नहीं हो सका बल्कि अब जाकर पूरा हुआ है और आम लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता रहा। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि दुर्ग जिला कैसे पिछड़ता गया। एजुकेशन हब और औद्योगिक नगरी के रूप में इसकी जो पहचान थी,जो यहां रोजगार के अवसर थे, दुर्ग जिले के मुकाबले में दूसरे जिले इससे काफी आगे निकल गए। इसकी एक वजह यह भी रही कि इंजीनियरिंग कॉलेज से निकलने वाले छात्रों के लिए रोजगार के अवसर यहां ना के बराबर रह गए और ऐसे छात्रों को डिग्री हासिल करने के बाद रोजगार के लिए बाहर भटकना पड़ता रहा है। यह हालत आज भी जस की तस बनी हुई है। Engineering के क्षेत्र में रोजगार के अवसर नहीं होने की वजह से यहां इंजीनियरिंग महाविद्यालयों जोकि यहां काफी बड़ी संख्या में खुल गए थे पर काफी बुरा असर पड़ा और कई इंजीनियरिंग कॉलेज ऐसे हैं जिन्हें आज एडमिशन के लिए छात्र ही नहीं मिल रहे हैं।

अब यहां राजनीतिक हालात और बदल गए हैं। अब  दुर्ग जिले से ही छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री हैं जिसकी वजह से कहा जा सकता है कि विरोधी राजनीतिक दलों के लिए  इस क्षेत्र में तो चुनौतियां निश्चित रूप से बढ़ जाएगी। ऐसे में विरोधी राजनीतिक दलों को पूरे दुर्ग संभाग में अधिक मेहनत करने की जरूरत पड़ेगी। शीर्ष नेता अमित शाह का आगमन इसी कड़ी में भाजपा का एक प्रयास हो सकता हो सकता है। वैसे यह जानकारी है कि पूरे छत्तीसगढ़ में भाजपा के कई शीर्ष नेता शीघ्र ही दौरा करने आने वाले हैं। अब विधानसभा चुनाव के समय यह राष्ट्रीय स्तर के नेता यहां दौरे पर आ रहे हैं तो यह साधारण दौरा तो नहीं होगा बल्कि इसके कई प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष उद्देश्य होंगे। सीधे-सीधे कहा जा सकता है कि राजनीतिक हालातों को टटोलने की कोशिश की जाएगी और अपनी मजबूती के लिए नए रास्ते तय करने पर विचार विमर्श किया जाएगा। अमित शाह जब दुर्ग में सभा को संबोधित करेंगे तो उनके कार्यकर्ता उसके एक-एक शब्दों को  सुनने की जरूर कोशिश करेंगे और समझने की कोशिश करेंगे कि पार्टी किस रास्ते पर बढ़कर लक्ष्य को हासिल करने की तैयारी में है। राष्ट्रीय नेताओं के यह दौरे सिर्फ यहां होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए ही महत्वपूर्ण रहेंगे बल्कि आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में भी इनका काफी बड़ा असर दिख सकता है। भाजपा की ओर से बताया गया है कि राष्ट्रीय नेताओं के ये दौरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के 9 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम की कड़ी में होने जा रहे हैं। लेकिन अब जब विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और एक साल बाद लोकसभा चुनाव होने वाले हैं तब सिर्फ ऐसे दौरे के पीछे जो राजनीतिक एजेंडा रहेगा, गतिविधियां होंगी, सक्रियता रहेगी जो राजनीतिक उद्देश्य समझ में आएंगे, उसकी ओर राजनीतिक विश्लेषकों की तो नजर लगी ही रहेगी।

                         00  Political reporter