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तत्कालीन सहायक खनिज अधिकारी दुर्ग को भ्रष्टाचार के आरोप में सात साल के सश्रम कारावास की सजा,₹20 हजार का अर्थदंड भी, न्यायालय ने स्रोत से 1करोड़ 48 लाख रुपए से अधिक अपराधिक संपत्ति अर्जित करना प्रमाणित पाया

तत्कालीन सहायक खनिज अधिकारी दुर्ग को भ्रष्टाचार के आरोप में सात साल के सश्रम कारावास की  सजा,₹20 हजार का अर्थदंड भी, न्यायालय ने स्रोत से 1क...

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तत्कालीन सहायक खनिज अधिकारी दुर्ग को भ्रष्टाचार के आरोप में सात साल के सश्रम कारावास की  सजा,₹20 हजार का अर्थदंड भी, न्यायालय ने स्रोत से 1करोड़ 48 लाख रुपए से अधिक अपराधिक संपत्ति अर्जित करना प्रमाणित पाया

 "वर्तमान में लोक सेवकों के द्वारा अनुपातहीन संपत्ति अर्जित कर अवचार कारित किए जाने का अपराध विशालकाय रूप लेकर लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को विफल कर रहा है।"


 दुर्ग ।

असल बात न्यूज़।। 

    00  विधि संवाददाता  

यहां तत्कालीन सहायक खनिज अधिकारी दुर्ग को भ्रष्टाचार का दोष सिद्ध होने पर सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है।  इस मामले में 9 अक्टूबर 2010 को एफ आई आर दर्ज हुआ था और न्यायालय के समक्ष 22 जुलाई 2014 को संस्थित हुआ, जिसमें लगभग 12 साल के बाद न्यायालय का फैसला आया है। विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम दुर्ग आदित्य जोशी के न्यायालय ने यह सजा सुनाई है। न्यायालय ने प्रकरण में फैसला सुनाते हुए कहा कि वर्तमान में लोक सेवकों के द्वारा अनुपातहीन संपत्ति अर्जित कर अवचार कारित किए जाने का अपराध विशालकाय रूप लेकर लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को विफल कर रहा है। 

प्रकरण में छत्तीसगढ़ राज्य की ओर से एंटी करप्शन ब्यूरो के द्वारा अभियोजन  प्रस्तुत किया गया। अभियोजन पक्ष के तथ्य के अनुसार आरोपी गणेश प्रसाद कुम्हारे के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13, 1,ई सहपठित धारा 13, 2 के अंतर्गत आरोप था कि उसने सहायक खनिज अधिकारी दुर्ग के रूप में लोक सेवक के पद पर पदस्थ रहते हुए 1 जनवरी 2014 से 12 अक्टूबर 2010 के मध्य अपने तथा अपने परिवार के ज्ञात स्रोतों से उपार्जित आय से अधिक दो करोड़ 20 लाख रुपए मूल्य की अनुपातहीन संपत्ति अर्जित कर अपराधिक अवचार कारीत किया। एंटी करप्शन ब्यूरो को इसकी गोपनीय सूचना प्राप्त हुई थी। प्रकरण विवेचना में लिए जाने पर सूचना सही पाई गई। जांच में आरोपी की आलोच्य अवधि एक जनवरी 2014 के पूर्व कुल आय लगभग 18 लाख रुपए और संपत्ति संबंधी व्यय ₹6 लाख 57000 रु और असत्यापित व्यय 5 लाख 70हजार रुपए आंका गया। इसमें उसके इस अवधि के वेतन एवं भत्ते से प्राप्त आय लगभग 24 लाख रुपए शामिल है। न्यायालय ने आरोपी के सकल वैध आय की तुलना में 408% अधिक अनुपात ही संपत्ति होना प्रमाणित पाया। 

न्यायालय के समक्ष विचारण उपरांत दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 313 के तहत अपलिखित किए गए आरोपी कथन में आरोपी ने स्वयं को निर्दोष होना तथा झूठा फंसाये जाने का कथन किया। आरोपी के द्वारा अपने बचाव में साक्षय एवं दस्तावेजों को भी प्रस्तुत किया गया। न्यायालय ने आरोपी की ओर से बचा में प्रस्तुत 17 साक्ष्यों का परीक्षण कराया। 

न्यायालय ने आरोपी को धारा 13(1) ई एवं 13 (दो) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अपराध में दोषी पाया। न्यायालय ने माना कि आरोपी के गंभीर स्थिति को देखते हुए समाज में संतुलन कायम करने के लिए आरोपी को कठोर दंड देना उचित रहेगा।

न्यायालय के द्वारा अभी आरोपी के जमानत मुचलका को दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 437- 31 के अंतर्गत आगामी 6 महीने के लिए विस्तारित कर दिया है।


प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक श्रीमती जाहिदा परवीन ने पैरवी की।
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