उपराष्ट्रपति ने कहा, समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के कार्यान्वयन में और देरी हमारे मूल्यों के लिए हानिकारक होगी किसी भी विदेशी संस्था को हमार...
उपराष्ट्रपति ने कहा, समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के कार्यान्वयन में और देरी हमारे मूल्यों के लिए हानिकारक होगी
किसी भी विदेशी संस्था को हमारी संप्रभुता और प्रतिष्ठा के साथ खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दी जा सकती- उपराष्ट्रपति
अब समय आ गया है कि भारत विरोधी कथा मंच के कोरियोग्राफरों को प्रभावी ढंग से खारिज किया जाए- उपराष्ट्रपति
नई दिल्ली।
देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज यह कहते हुए कि समान नागरिक संहिता, भारत और उसके राष्ट्रवाद को अधिक प्रभावी ढंग से बांधेगी, और इस बात पर जोर देकर कहा है कि "यूसीसी के कार्यान्वयन में कोई भी और देरी हमारे मूल्यों के लिए हानिकारक होगी।"आईआईटी गुवाहाटी के 25वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि देश में नीति निदेशक सिद्धांत (डीपीएसपी) नियमों को बनाना राज्य का कर्तव्य है।
उन्होंने यह उल्लेख करते हुए कि कई डीपीएसपी जैसे कि पंचायतें, सहकारी समितियां और शिक्षा का अधिकार पहले ही कानून में तब्दील हो चुके हैं, उन्होंने रेखांकित किया कि अब संविधान के अनुच्छेद 44 को लागू करने का समय आ गया है।
भारत की छवि को धूमिल करने के प्रयासों और "राष्ट्र-विरोधी आख्यानों के बार-बार आयोजन" के प्रति आगाह करते हुए, श्री धनखड़ ने जोर देकर कहा, "अब समय आ गया है कि भारत-विरोधी आख्यानों के कोरियोग्राफरों को प्रभावी ढंग से ख़ारिज किया जाए।"
उपराष्ट्रपति ने छात्रों से भारतीय होने और इसकी ऐतिहासिक उपलब्धियों पर गर्व करने को भी कहा। वह यह भी चाहते थे कि वे आर्थिक राष्ट्रवाद के प्रति प्रतिबद्ध रहें और राष्ट्र और राष्ट्रवाद की कीमत पर वित्तीय लाभ कमाने से बचें। उन्होंने छात्रों को दूरदर्शी व्यक्तित्व डॉ. बीआर अंबेडकर के बहुमूल्य शब्द भी याद दिलाए - "आपको पहले भारतीय होना चाहिए, अंतिम भारतीय और भारतीयों के अलावा कुछ नहीं।"
अपने दीक्षांत भाषण में श्री धनखड़ ने छात्रों का ध्यान सहिष्णु होने की आवश्यकता की ओर भी आकर्षित किया। उन्होंने कहा, "हमें अन्य दृष्टिकोण पर भी विचार करना चाहिए, क्योंकि अक्सर अन्य दृष्टिकोण ही सही दृष्टिकोण होता है।"
इससे पहले दिन में, उपराष्ट्रपति ने श्रीमती (डॉ.) सुदेश धनखड़ के साथ गुवाहाटी के प्रसिद्ध मां कामाख्या मंदिर में दर्शन किए और प्रार्थना की। बाद में, उन्होंने आईआईटी गुवाहाटी के छात्रों के साथ बातचीत की।
कार्यक्रम में असम के राज्यपाल, श्री गुलाब चंद कटारिया, असम के मुख्यमंत्री, डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा, अध्यक्ष बोर्ड ऑफ गवर्नर्स, आईआईटी गुवाहाटी, डॉ. राजीव मोदी, निदेशक आईआईटी गुवाहाटी, प्रोफेसर परमेश्वर के. अय्यर, वरिष्ठ संकाय सदस्य, छात्र एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।