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सुआ नृत्य के लिए साड़ी पहनाने के बहाने बेड टच किया, दोष सिद्ध होने पर पांच, पांच और 5 साल के सश्रम कारावास की सजा, सभी सजाएं पृथक पृथक चलेगी

 सुआ नृत्य के लिए साड़ी पहनाने के बहाने बेड टच किया, दोष सिद्ध होने पर पांच, पांच और 5 साल के सश्रम कारावास की सजा, सभी सजाएं पृथक पृथक चलेग...

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 सुआ नृत्य के लिए साड़ी पहनाने के बहाने बेड टच किया, दोष सिद्ध होने पर पांच, पांच और 5 साल के सश्रम कारावास की सजा, सभी सजाएं पृथक पृथक चलेगी

भिलाई।

असल बात न्यूज़।।   

     00  विधि संवाददाता   

सुआ नृत्य के लिए साड़ी पहनाने के बहाने अवयस्क बच्चियों को 'बेड टच' करने के मामले में अभियुक्त को दोष सिद्ध होने पर पांच, पांच,और 5 साल तीन बार के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। न्यायालय ने यह सभी सजाएं अलग-अलग भुगताने का आदेश दिया है। मामले में  पीड़िता तीन अवयस्क बच्चियां है। अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम फास्ट ट्रेक विशेष न्यायाधीश श्रीमती सरिता दास के न्यायालय ने यह सजा सुनाई है। न्यायालय ने मामले में तेजी से विचारण और सुनवाई करते हुए सिर्फ 2 साल 9 महीने के भीतर निर्णय दे दिया है। न्यायालय ने पीड़ित बच्चियों के लिए पीड़िता क्षतिपूर्ति योजना के तहत प्रतिकर अधिनिर्णित करने की भी सिफारिश की है।

अभियोजन के अनुसार मामले के तथ्य इस प्रकार हैं कि सुआ नृत्य खेलने के लिए पीड़ित बच्चियां आरोपी के घर में  साड़ी पहन रही थी। इसी दौरान आरोपी,वहां पर आकर बच्चियों को तुम्हें साड़ी पहनना नहीं आता बोलकर साड़ी पहनाने लगा और साड़ी पहनती समय उसने बच्चियों को बैड टच करने का अपराध कारित किया। आरोपी नो घटना के बारे में किसी को बताने पर बच्चियों को मार खिलाने और मारने की धमकी दी। पीड़ित बच्ची में से एक ने प्रार्थी को 2 दिन के बाद घटना के बारे में प्रार्थी को जानकारी दी,तब मामले में फर्स्ट इनफॉरमेशन रिपोर्ट दर्ज कराई गई। प्रकरण नेवई थाना क्षेत्र दुर्ग जिले का है।

अभियुक्त की उम्र 48 वर्ष है।न्यायालय ने विचारण के दौरान पीड़ितगणों के साक्षय के आधार पर पाया कि ऐसा कोई तथ्य प्रकरण में नहीं है कि प्रार्थी के द्वारा आरोपी के विरुद्ध कोई झूठी शिकायत की गई हो। बचाव पक्ष की ओर से यह तर्क दिया गया कि पीड़ितगणों ने अपने अपने न्यायालयीन कथन को बढ़ा चढ़ा कर कर दिया है। पीड़ित गणों के द्वारा दिए गए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 161 के तहत दिए गए बयानों में विसंगति है। न्यायालय ने माना कि उक्त विसंगतियां एवं विलुप्तियां घटना के मूल विषय पर नहीं है बल्कि शाब्दिक विसंगतियां हैं।

न्यायालय ने अभियुक्त को दोष सिद्ध होने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 364 के तीन बार के अपराध में पांच पांच और 5 वर्ष के सश्रम कारावास और कुल ₹3000 अर्थदंड तथा लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 8 के तीन बार के अपराध में पांच पांच और 5 वर्ष और ₹3000 अर्थदंड की सजा सुनाई है। 

अभियुक्त को दी गई यह सभी सजा पृथक पृथक चलेगी। 


प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक राजेश कुमार साहू ने पैरवी की। 

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