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हरेली त्यौहार पर रहेगी गेंडी की धूम, वन विभाग हरेली पर गेंडी देगा, लेकिन पैसे लेगा

*वन विभाग के कार्यालयों और सी-मार्ट के जरिये की जाएगी बिक्री  *स्थानीय स्तर पर इच्छुक लोग बसोड़ों से भी खरीद सकेंगे गेड़ियां रायपुर । असल बा...

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*वन विभाग के कार्यालयों और सी-मार्ट के जरिये की जाएगी बिक्री 

*स्थानीय स्तर पर इच्छुक लोग बसोड़ों से भी खरीद सकेंगे गेड़ियां


रायपुर ।

असल बात न्यूज़।।   

हरेली त्यौहार पर इस बार फिर गेंडी की धूम रहने वाली है। शासन की ओर से भी इस अवसर पर आम-नागरिकों के लिए गेड़ी की  व्यवस्था की जा रही है। लेकिन गेंड़ी देने का पैसा लिया जाएगा यह निशुल्क नहीं दी जाएगी। वन-विभाग के कार्यालयों और सी-मार्ट में गेड़ियां उपलब्ध कराई जा रही है, जिन्हें आम लोग निर्धारित शुल्क देकर खरीद पाएंगे। स्थानीय स्तर पर इच्छुक लोगों को बसोड़ों के जरिये भी गेड़ी सशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी। इससे बसोड़ों को भी आय प्राप्त होगी। 

प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री श्रीनिवास राव ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देश पर वन-विभाग द्वारा गेड़ियों का निर्माण करके विक्रय किया जाएगा। हरेली तिहार के साथ गेड़ी चढ़ने की परंपरा अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है। त्यौहार के दिन ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग सभी परिवारों द्वारा गेड़ी का निर्माण किया जाता है, परिवार के बच्चे और युवा गेड़ी का जमकर आनंद लेते हैं। गेड़ी चढ़कर ग्रामीण-जन और कृषक-समाज वर्षा ऋतु का स्वागत करता है। वर्षा ऋतु में के दौरान गांवों में सभी तरफ कीचड़ होता है, लेकिन गेड़ी चढ़कर कहीं भी आसानी से आया-जाया जा सकता है। 

गेड़ियां बांस से बनाई जाती है। दो बांस में बराबरी दूरी पर कील लगाई जाती है। एक और बांस के टुकड़ों को बीच से फाड़कर उसे दो भागों में बांटा जाता है, उसे रस्सी से फिर से जोड़कर दो पउवा बनाया जाता है। यह पउवा असल में पैरदान होता है, जिसे लंबाई में पहले काटे गए दो बांसों में लगाई गई कीलों के ऊपर बांध दिया जाता है। गेड़ी पर चलते समय रच-रच की ध्वनि निकलती है, जो वातावरण को और आनंददायक बना देती है।