छत्तीसगढ़ में धान की चुनावी फसल काटने आंकड़ों का दांव पेंच शुरू, कांग्रेस-भाजपा का एक-दूसरे पर आरोप रायपुर। छत्तीसगढ़ के किसानों ने बा...
छत्तीसगढ़ में धान की चुनावी फसल काटने आंकड़ों का दांव पेंच शुरू, कांग्रेस-भाजपा का एक-दूसरे पर आरोप
रायपुर।
छत्तीसगढ़ के किसानों ने बारिश के साथ खेतों में धान की रोपाई शुरू कर दी है। जैसे-जैसे रोपाई में तेजी आ रही है, राजनीतिक दलों को धान की याद आ रही है। प्रदेश में अक्टूबर-नवंबर में जब किसान धान की कटाई करेंगे, उस समय विधानसभा चुनाव चरम पर रहेगा और किसान अपने मत का इस्तेमाल करने का अंतिम मन बना रहे होंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रायपुर के साइंस कालेज के मैदान में कहा कि प्रदेश के 80 फीसद धान की खरीदी केंद्र सरकार करती है। पीएम के बयान के बाद चुनावी साल में कांग्रेस और भाजपा धान और किसान को लेकर अपने-अपने दावे कर रही है। कांग्रेस ने दावा किया कि भूपेश सरकार ने कर्ज लेकर किसानों का धान खरीदा है।
धान खरीदी पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूछा सवाल
वहीं, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सवाल किया है कि जब केंद्र सरकार धान खरीदती है, तो डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद रमन सिंह ने सिर्फ दस क्विंटल धान क्यों खरीदा। जब पूरा धान एफसीआइ खरीदती है, तो राज्य सरकार ने दस क्विंटल की सीमा क्यों तय की। किसानों का बोनस क्यों बंद कर दिया गया। एक-एक दाना खरीदने की भाजपा बात करती थी, तो क्यों खरीदी नहीं की गई।
मुख्यमंत्री बघेल ने तंज करते हुए कहा कि सजन रे झूठ मत बोल, इसके सहारे जनता के बीच नहीं जा सकते। जनता ने भाजपा को 15 साल मौका दिया, तब कुछ नहीं किया। जब राज्य सरकार ने 20 क्विंटल धान खरीदने की घोषणा की, तो पीएम से लेकर सभी भाजपा नेता श्रेय लेने के लिए झूठ बोल रहे हैं।
केंद्र सरकार सेंट्रल पूल का लेती है चावल
खाद्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि धान खरीदी का पूरा पैसा राज्य सरकार उठाती है। राज्य सरकार मार्कफेंड के माध्यम से विभिन्न बैंको से कर्ज लेकर धान खरीदी करती है। केंद्र सरकार सिर्फ सेंट्रल पूल का चावल लेती है। धान से चावल बनाने का खर्च राज्य सरकार उठाती है। केंद्र सरकार को चावल बेचने के बाद जो धान शेष बचता है, उसका निराकरण और घाटा भी राज्य सरकार उठाती है।
धान खरीदी में राज्य सरकार का 33 हजार करोड़ अतिरिक्त खर्च
कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने धान खरीदी पर 33 हजार करोड़ से अधिक अतिरिक्त खर्च किया है। पिछले साढ़े चार साल में कांग्रेस सरकार ने धान खरीदी पर 8259.4 करोड़ रुपये का नुकसान उठाया था।
यही नहीं, 2020-21 में कांग्रेस सरकार ने 2500 रुपये में धान खरीदकर 1100 से 1200 रुपये में खुले बाजार में बेच कर नुकसान उठाया था। समर्थन मूल्य से अतिरिक्त राशि के रूप में सरकार ने 25000 करोड़ राजीव गांधी किसान न्याय योजना में दिया। कांग्रेस सरकार ने धान खरीदी पर 33 हजार करोड़ से अधिक अतिरिक्त खर्च और किसानों पर एक लाख 70 हजार करोड़ रुपये खर्च किया है।
वर्ष-हानि
वर्ष 2018-19 -1501.87 करोड़
2019-20 - 1056.93 करोड़
2020-21 - 2010.41 करोड़
2021-22 - 2083.27 करोड़
2022-23 में 1606.92 करोड़
नोट: कांग्रेस की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार।
विधानसभा में सरकार ने स्वीकारा केंद्र से मिली राशि
पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि विधानसभा में सरकार ने उनके सवाल के जवाब में स्वीकार किया है कि धान खरीदी में केंद्र सरकार से राशि मिलती है। बारदाना, मजदूरी और अन्य मद में केंद्र सरकार राशि जारी करती है। इसके अलावा चावल की एफसीआइ के माध्यम से चावल खरीदी भी करती है। वहीं, प्रदेश महामंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि विधानसभा में मंत्री अमरजीत भगत ने जानकारी है कि केंद्र सरकार ने धान खरीदी का 51 हजार 563 करोड़ रुपये दिया और राज्य सरकार ने मात्र 11,148 करोड़ रुपये ही दिया है।
वर्ष-धान -चावल-खरीदी प्रतिशत
वर्ष 21-22 - 92 लाख टन-61.65 लाख टन - 93.90 प्रतिशत
वर्ष 22-23 - 87.58 लाख टन - 58.68 लाख टन - 81.45 प्रतिशत
नोट: भाजपा की ओर से जारी आंकड़े।