"भ्रष्टाचार" को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने के लिए राजनीतिक दलों को करनी पड़ेगी कड़ी मेहनत,सीधे मुकाबले में मुख्य राजनीतिक दलों के ल...
"भ्रष्टाचार" को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने के लिए राजनीतिक दलों को करनी पड़ेगी कड़ी मेहनत,सीधे मुकाबले में मुख्य राजनीतिक दलों के लिए 'भ्रष्टाचार' के मुद्दे पर 'मतदाताओं' को आकर्षित कर पाना नहीं रहेगा आसान
"छत्तीसगढ़ में 'भ्रष्टाचार' कम नहीं हो गया है। कहीं 'थम' नहीं गया है। सरकारी तंत्र के भ्रष्टाचार से आम जनमानस बुरी तरह से त्रस्त है। लेकिन चुनाव में ऐसे मुद्दे आम जनता को इसलिए अधिक प्रभावित नहीं कर रहे हैं क्योंकि जनता को दूसरे लोगों पर भी भ्रष्टाचार मुक्त रहने का भरोसा नहीं है। कहा जा रहा है कि इसी वजह से भ्रष्टाचार का मुद्दा अभी आम जनमानस को अधिक आकर्षित नहीं कर रहा है। विपक्ष को, सत्ता पर भ्रष्टाचार के मुद्दे के साथ आक्रमण करने के लिए अपनी धार को और पैना करने की जरूरत है।"
रायपुर।
असल बात न्यूज़।।
पूरी जनता 'भ्रष्टाचार' के खिलाफ है। हर कोई चाहता कि भ्रष्टाचार 'पूर्णता बंद होना' चाहिए। सब चाहते हैं कि भ्रष्टाचार रोकने के लिए भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है, जेल भेजा जा रहा है तो इसका सब जगह जोरदार स्वागत हो रहा है। लोग ऐसी ही कड़ी कार्रवाई चाहते हैं। अब बात विधानसभा चुनाव की हो रही है और राजनीतिक गलियारे में यह सवाल उछल रहा है कि यहां कोई राजनीतिक दल क्या भ्रष्टाचार के मुद्दे के सहारे आम मतदाताओं को प्रभावित करने में सफल हो सकता है और किसी राजनीतिक दल को इससे क्या कुछ फायदा मिल सकता है ? लेकिन जिस तरह के हालात हैं जिस तरह की रिपोर्ट आ रही है ऐसा कहा जा रहा है कि राजनीति के मुद्दे के सहारे कोई भी राजनीतिक दल, मतदाताओं को प्रभावित करने में अधिक सफल नहीं होने वाला है। जो वातावरण है, भ्रष्टाचार का वर्षों से जो खेल चला है, लोगों को भ्रष्टाचार के चलते जिन दिक्कतों का सामना करना पड़ा है यहां किसी भी राजनीतिक दल को इससे बहुत अधिक उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मतदाताओ को बहुत अधिक प्रभावित किया जा सकेगा। छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार की खबरें अभी सुर्खियों में हैं और रोज नए घोटालों का पर्दाफाश हो रहा है। लेकिन वास्तविकता यह है कि भ्रष्टाचार के दाग दोनों मुख्य राजनीतिक पार्टियों पर लगातार बराबर के जैसे लग रहे हैं। ऐसा कहीं नहीं महसूस हो रहा है कि सत्ता के खिलाफ यह विषय कोई बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकेगा।
जैसे-जैसे चुनाव सिर पर आते जा रहे हैं राजनीतिक दलों में मुद्दों की तलाश बढ़ती आ रही है। ऐसे सशक्त मुद्दे जो मतदाताओं को प्रभावित कर सके। विरोधी राजनीतिक दल को उन बातों का जवाब देते ना बने और विरोधी को करारी पटखनी दी जा सके। राजनीतिक गलियारे की पिछली स्थितियों को देखें तो भ्रष्टाचार राजनीति में बार-बार बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है और इसने जनमानस को हमेशा व्यापक तौर पर प्रभावित किया है। हम सबको याद होगा जब वी पी सिंह ने राजीव गांधी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर बोफोर्स मुद्दे को देश में उछाला था तो यह मुद्दा जनता की आवाज सा बन गया था और इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि इसी मुद्दे के सहारे उस समय सरकार बदल दी गई थी। उस समय हर जगह बोफोर्स में दलाली का मुद्दा उछल रहा था जिसकी आवाज लंबे समय तक गूंजती रही। छत्तीसगढ़ के परिपेक्षय में हम देखे तो पिछली सरकार के समय से यहां राज्य सरकारों पर भ्रष्टाचार के बड़े आरोप लग रहे हैं। तब कांग्रेस पार्टी विपक्ष में थी और उसने तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी सरकार पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए थे। हालांकि भ्रष्टाचार के आरोप बाद में ठाय- ठाय फुश्श होते नजर आए और इस पर कहीं कोई ठोस कार्यवाही होती नहीं दिखी। कहा जा सकता के ऐसे हालातों में आम जनता का भ्रष्टाचार के आरोपों पर से विश्वास उठा है। आम जनमानस को हर काम में ही भ्रष्टाचार सीधे स्पष्ट नजर आता है लेकिन हालातों को उसकी धारणाये बदल गई है। आम जनमानस को महसूस होने लगा है कि सरकार बदल देने से भी भ्रष्टाचार खत्म नहीं होने वाला है। इसीलिए भ्रष्टाचार का मुद्दा मतदाताओं के दिल की गहराई में नहीं उतर रहा है।
छत्तीसगढ़ के राजनीति में कांग्रेस सरकार पर विपक्ष के द्वारा भ्रष्टाचार के जमकर आरोप लगाए जा रहे हैं। इन आरोपों की लंबी लिस्ट है। चाहे गौठान घोटाला हो, चाहे कोविड-19 के विभिन्न कामों में हुए घोटाले हो, चाहे मनरेगा और पंचायत के दूसरों के कामों के घोटाले की बात हो या फिर जल जीवन मिशन के काम के घोटाले की बात है। लोग, इन आरोपों को सही भी मानते हैं। इन्हें सही मानने में लोगों में हिचकिचाहट नहीं है ना ही कोई इसका सबूत मांग रहा है। लेकिन एक बात है। बात है कि जब आप भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं तो कम से कम आपको तो साफ सुथरा होना चाहिए। लोगों के दिलों दिमाग में बैठा हुआ है कि जब आप भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं तो कम से कम आप पर ऐसे आरोपों के दाग नहीं होने चाहिए। अभी विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी, सत्ताधारी दल कांग्रेस को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर लगातार कटघरे में खींचने की कोशिश में लगी हुई है लेकिन बात वही है कि उसके आरोप मतदाताओं को आम जनता को गहराई तक प्रभावित कर पा रहे हो ऐसा कहीं नहीं लगता। गौठान में भ्रष्टाचार उजागर करने के लिए तो गांव गांव में समितियां बना दी गई है और भाजपा के लोग इसके साथ गौठान पहुंचकर वहां की कमियां समस्याओं अनीता और घोटालों की पड़ताल कर रहे हैं। खनिज के अवैध लेवी वसूली, 2000 करोड़ रुपए से अधिक के शराब घोटाले में कई अधिकारी अभी भी जेल में है लेकिन यह मुद्दा जनता का मुद्दा बनता नहीं दिखा है। ऐसे मुद्दे जनता के मुद्दे बन गए तो कोई भी सरकार सत्ता में एक दिन भी ठहर नहीं सकती।
भाजपा,राज्य की कांग्रेस सरकार को भ्रष्टाचार के तमाम घोटालों में घसीट रही है तो कांग्रेस भी कहीं पीछे नहीं है।तो छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में गौशाला के नाम पर 1667 करोड़ का भ्रष्टाचार होने का आरोप लगा दिया है। सत्ताधारी दल कांग्रेस के प्रवक्ता ने तो यह भी कहा है कि रमन राज में गौशालाओं के नाम पर 1677.67 करोड़ रू. भाजपाईयों ने गौशाला के नाम पर डकारा। रमन राज में 15 साल में 17000 से अधिक गायों की मौतें भूख से, बिना चारा पानी के तड़प कर हुई।दुर्ग जिले धमधा के राजपुर की गौशाला में गायें चारे-पानी के अभाव में भूखे मर गयी। दुर्ग के दशंरगपुर गौशाला में सैकड़ों गाय मृत पायी गयी थी।
इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि पिछली बार मतदाताओं में जो सरकार बदली उसके पीछे भ्रष्टाचार भी बड़ा मुद्दा रहा है।अब इस तरह के हालात हैं कि छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के आरोपों के मामले में कांग्रेस और भाजपा के बीच तू डाल डाल मैं पात पात की स्थिति नजर आ रही है। इससे मतदाताओं पर भी फर्क पड़ा है। आरोप गंभीर भी हो और उनमें पूरी सच्चाई भी हो तभी मतदाताओं को सत्ता पर आरोप अभी चुनाव में झुनझुना ही नजर आते हैं।
Political reporter.
9981922972.