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दीपक वैज के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की संगठन पर भी पकड़ मजबूत, चुनाव में फ्री हैंड मिलने का संकेत

  रायपुर। असल बात न्यूज़।।       अशोक त्रिपाठी/ राजनीतिक गलियारा    लंबे अरसे से लगातार चल रही टकराहट, उठापटक का परिणाम कांग्रेसी खेमे में स...

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 रायपुर।

असल बात न्यूज़।।     

अशोक त्रिपाठी/

राजनीतिक गलियारा   

लंबे अरसे से लगातार चल रही टकराहट, उठापटक का परिणाम कांग्रेसी खेमे में संगठन में परिवर्तन के रूप में सामने आ गया है। पार्टी हाईकमान ने फिर 5 लाइन का नियुक्ति पत्र जारी किया है और मोहन मरकाम की प्रदेश अध्यक्ष पद से विदाई कर दी गई है। छत्तीसगढ़ में प्रदेश कांग्रेस संगठन और सत्ता के बीच काफी समय से या कह सकते हैं कि शुरुआत से ही कुछ गैप पनपता दिख रहा था और यह दूरी बढ़कर खाई का रूप लेने लगी थी।मोहन मरकाम की प्रदेश अध्यक्ष पद से विदाई उसी गैप के परिणाम के रूप में देखी जा रही है। मोहन मरकाम को हटाकर आदिवासी नेता सांसद दीपक वैज को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान सौंपी गई है।इस तरह से आदिवासी वर्ग से ही तेजतर्रार श्री वैज को अध्यक्ष बनाकर इस वर्ग में किसी तरह की नाराजगी भड़कने को रोकने  की भी कोशिश की गई है।इस फेरबदल से कई नए राजनीतिक संकेत भी रहे हैं। कहा जा रहा है कि नए समीकरण में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की संगठन में और भी पकड़ मजबूत होगी और उन्हें विधानसभा चुनाव में फ्रीहैंड देने का संकेत भी मिल रहा है। 

मोहन मरकाम कांग्रेस की सेकंड लाइन के तेजतर्रार नेता माने जाते हैं।वे आदिवासी वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं इसलिए छत्तीसगढ़ की राजनीति में उनका महत्व स्वमेव और बढ़ जाता है। प्रदेश में जब कांग्रेस की सरकार बनी तो अनुमान लगाया जा रहा था कि उन्हें भी मंत्री बनने का मौका मिल सकता है। लेकिन मंत्री बनने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ विधायकों की इतनी अधिक लाइन थी कि तब मंत्री बनने के लिए उनका नंबर नहीं आ सका। बाद में उन्हें प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाकर संतुष्ट किया गया। इसके पहले भूपेश बघेल ही प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे और मुख्यमंत्री बन जाने के बाद भी छत्तीसगढ़ में लंबे दिनों तक उनके पास इस पद की जिम्मेदारी थी। उस समय अमरजीत भगत और मोहन मरकाम का नाम छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए प्रमुखता से सामने आ रहा था तब श्री मरकाम को इस पद की जिम्मेदारी दे दी गई थी। इसके बाद कई ऐसे मामले सामने आते रहे जिससे लग रहा था कि कांग्रेस संगठन और सत्ता में जैसी बननी चाहिए वैसी बन नहीं रही है। संगठन में कई पदों पर नियुक्तियों को लेकर भी तनातनी की नौबत नजर आई। इसके बाद से इस तरह की खबरें बार-बार उड़ती रही कि मोहन मरकाम को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाया जा सकता है। मोहन मरकाम छत्तीसगढ़ में दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुए हैं लेकिन संभवत उनके पास, इसके पहले पूरे प्रदेश में संगठन में किसी बड़े पद पर कार्य करने का कोई बहुत अधिक अनुभव नहीं था और प्रदेश संगठन में  बीच चारों तरफ प्रदेश भर में कार्यकर्ताओं के बीच एक नेता की जैसी पकड़ होनी चाहिए थी वैसी पकड़ की उनके पास कमी थी। प्रदेश के मैदानी इलाकों में जहां पार्टी के तमाम कद्दावर नेता हैं ऐसी कमी बार बार झलकती नजर आई है।जिसका भी कहा जा सकता है कि उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है। अनुभव नहीं होने, पूर्व संपर्क नहीं होने से कम्युनिकेशन गैप की स्थिति निर्मित होती रहती है।प्रदेश भर में पार्टी में ही उनसे कई सारे वरिष्ठ नेता हैं जिससे उन पर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा था। 

छत्तीसगढ़ में कांग्रेसी खेमे में महीने भर से लगातार नए राजनीतिक समीकरण बन और बिगड़ रहे हैं और लग रहा है कि जैसे जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहा है यहां संगठन और सत्ता में उठापटक तेज होती जा रही है। वरिष्ठ मंत्री टी एस सिंहदेव को अचानक प्रदेश का उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की घोषणा कर दी गई।इसकी घोषणा पार्टी हाईकमान के द्वारा की गई। पार्टी हाईकमान के द्वारा सबको चौकाते हुए अचानक श्री सिंहदेव की इस पद पर नियुक्ति किए जाने से राजनीतिक गलियारे में कई तरह के नए सवाल उछलने शुरू हो गए थे इसमें सबसे बड़ा सवाल यह भी था कि क्या अब आगे किसी का पद छोटा किया जा रहा है और किसी को आगे बढ़ाया जा रहा है। लेकिन उपमुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल लेने के बाद एक दिन पहले श्री सिंहदेव ने उनके विभाग  स्वास्थ्य विभाग में अधिकारियों कर्मचारियों पर शासन के द्वारा एस्मा लगा दिया जाने के मामले में जिस तरह का बयान दिया है कि उन्हें इस मामले में अभी कोई जानकारी नहीं है से अनुमान लगाया जा सकता है कि भले ही उपमुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दे दी  गई है लेकिन उनके विभाग में अभी भी वैसे ही हालात बने हुए हैं और जिस तरह से काम चल रहा है उससे वे तो संतुष्ट नहीं हैं। उल्लेखनीय है कि श्री सिंहदेव ने उनके विभाग में ऐसे ही निर्णय होने की वजह से पूर्व में पंचायत विभाग से त्यागपत्र दे दिया गया था जिसे तुरंत स्वीकार कर लिया गया था।

कहा जा सकता है कि वरिष्ठ मंत्री श्री सिंहदेव के बनते बिगड़ते राजनीतिक समीकरण का चैप्टर अभी पूरी तरह से क्लोज भी नहीं हुआ है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम का नया चैप्टर शुरू हो गया है। लेकिन इन सबके बीच राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अब,प्रदेश में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पसंद का नया प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बन गया है जिससे संगठन में उनकी पकड़ स्वाभाविक तौर पर मजबूत होगी। वही इसे इस  रूप में देखा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण सहित अन्य कई मामलों में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को फ्री हैंड दिया जा सकता है।