चंद्रमा पर ISRO अपना तीसरा मून मिशन भेज चुका है. यानी Chandrayaan-3. भारत दूसरी बार चांद की सतह पर लैंडिंग का प्रयास कर रहा है. वह भी ऐसी ...
चंद्रमा पर ISRO अपना तीसरा मून मिशन भेज चुका है. यानी Chandrayaan-3. भारत दूसरी बार चांद की सतह पर लैंडिंग का प्रयास कर रहा है. वह भी ऐसी जगह, जहां पर अब तक किसी भी देश ने लैंडिंग की कोशिश तक नहीं की है. न ही हिम्मत. वैसे दुनिया में 11 देश हैं, जिन्होंने अपने मून मिशन भेजे हैं. अगर भारत का यह मिशन सफल होता है, तो दक्षिणी ध्रुव के पास लैंडर उतारने वाला पहला देश बन जाएगा भारत. दुनिया की पहली स्पेस एजेंसी बन जाएगी इसरो. भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के नजदीक स्थित मैंजिनस-यू (Manzinus-U) क्रेटर के पास चंद्रयान-3 को उतार सकता है. इसरो प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ पहले ही बोल चुके हैं कि हम चंद्रयान-3 को दक्षिणी ध्रुव के पास उतार रहे हैं. न कि दक्षिणी ध्रुव पर. इसकी वजह ये है कि दक्षिणी ध्रुव का तापमान माइनस 200 डिग्री सेल्सियस या उससे भी कम हो जाता है. वहां रोशनी पर्याप्त नहीं रहती. दक्षिणी ध्रुव पर नहीं उतरेगा चंद्रयान-3, वह उसके पास रोशनी वाली इलाके में उतरेगा. अगर चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर में लगे सोलर पैनल्स को सूरज की रोशनी नहीं मिलेगी तो वह ऊर्जा कहां से पाएगा. लेकिन विक्रम लैंडर जिस जगह उतारा जा रहा है, वहां पर आज तक किसी भी देश ने अपना कोई भी यान नहीं उतारा है. दक्षिणी ध्रुव के सबसे नजदीक अगर कोई यान उतरा था, तो वह था 10 जनवरी 1968 को उतारा गया अमेरिका का सर्वेयर-7 स्पेसक्राफ्ट. लेकिन ये जगह चंद्रयान-3 के लैंडिंग स्पॉट से काफी दूर है.