सुलगते सवाल हम एक प्रकरण आपके सामने रख रहे हैं। लगभग 14 साल की अवयस्क अभियोक्त्री है। दुनिया की शातिराना नासमझी से दूर। अभियुक्त की उम्र लग...
सुलगते सवाल
हम एक प्रकरण आपके सामने रख रहे हैं। लगभग 14 साल की अवयस्क अभियोक्त्री है। दुनिया की शातिराना नासमझी से दूर। अभियुक्त की उम्र लगभग 22 साल है। आरोपी पीड़ित बालिका को मोबाइल देने के लिए बुलाता है। पीड़िता इसके बारे में अपनी मां को बताती हैं तो मां भी उसके साथ चलने को तैयार होती है और बोलती है कि वह अकेले नहीं जाएगी। उसकी मां उसे लेकर आरोपी के पास जाती है। आरोपी बालिका को फोन करता है कि मोबाइल लेने के लिए उसे अकेले आना है। इसके बाद एक बालिका अकेली चली आती है। आप समझ सकते हैं कि वह आरोपी कितना शातिर रहा होगा और किस चालाकी से बालिका को अपने पास अकेले बुलाता है। बालिका उसके पास अकेले चली आती है। आरोपी, बालिका को लेकर गार्डन में चला जाता है। वह, वहां बालिका को लगभग दो घंटे अपने पास रखता है एक तरह से बंधक बनाकर रखने के जैसा। इस दौरान वह बालिका के साथ अश्लील हरकत करता है छेड़छाड़ करता है और दबाव बनाता है। आप समझ सकते हैं कि उस दौरान बालिका को किस तरह से मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी होगी और शारीरिक यातना तो वह सह ही रही थी। 2 घंटे के दौरान आरोपी बालिका को तरह-तरह से प्रताड़ित करता है। और वह यह धमकी देकर उसे छोड़ता है कि अगर इसके बारे में किसी को बताएगी तो उसे जान से मार देगा। बालिका वहां से चली जाती है और घटना के बारे में अपने परिजनों को बताती है। परिवार के सदस्यों के द्वारा प्रकरण में एफ आई आर दर्ज कराया जाता है। माननीय ट्रायल कोर्ट के द्वारा प्रकरण में तेजी से विचारण और सुनवाई पूरी की जाती है और लगभग 11 महीने के भीतर मामले में फैसला सुना दिया जाता है। न्यायालय आरोपी को बालिका के साथ छेड़छाड़ और अश्लील कृत्य करने का दोषी पाता है। आरोपी को इसके अपराध में 3 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई जाती है।
अब आप देखिए पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी कि पीड़ित बालिका को घटना के बारे में किसी को जानकारी देने पर, किसी से शियात करने पर जान से मारने की धमकी दी गई थी। लेकिन गवाहों के अभाव में न्यायालय के समक्ष यह आरोप टिक नहीं। अभियुक्त को 3 साल की सजा सुनाई गई है। अपील न्यायालय में जाने पर क्या फैसला होगा यह अलग बात है। लेकिन अभी उठी यदि अपील न्यायालय में नहीं जाता तो भी वह 3 साल बाद जेल से बाहर आ जाएगा।
अब हम सामाजिक स्थिति को देखते हैं बालिका की उम्र अभी सिर्फ 14 साल है और 3 साल बाद उसकी उम्र सिर्फ 17 साल होगी। बालिका का भी अभ्यास के ही रहेगी। अभियुक्त अभी व्यस्त है और जब वह जेल से बाहर आएगा तब उसकी उम्र 25 साल से अधिक होगी। इस प्रकरण के बारे में किसी के पास कोई जानकारी नहीं है। बालिका तथा उसके परिजनों, परिचितों की कहीं पहचान उजागर नहीं हुई है। मीडिया के द्वारा भी इससे संबंधित खबर के प्रकाशन में पूरी सावधानी बरती गई है कि पीड़ित बालिका कि कहीं पहचान उजागर ना हो सके।
लेकिन होने वाला क्या है इस पर हम नजर डालते हैं। अभियुक्त 3 साल बाद जेल से बाहर आ जाएगा। उसकी उम्र तक सिर्फ 25 26 साल के आसपास होगी। वह पीड़िता और उसके परिजनों को पूरी तरह से पहचानता है। जिस जुर्म में उसे सजा हुई है वह अपराधी उसने पीड़िता के साथ ही किया है। ऐसे में उसके मन में पीड़िता के प्रति उसके परिजनों के प्रति आक्रोश होना भी स्वाभाविक है। यह कल्पना की जा सकती है की वजह से छूटता है तो जरूर पीड़िता तक पहुंचने की कोशिश करेगा। हो सकता है कि पीड़िता को उसे जेल भेजने के लिए धमकाने की कोशिश भी करें। हमारा सवाल यही है कि जो सामाजिक व्यवस्था है उसमे वह पीड़िता बच्ची सुरक्षित कैसे और कब तक रहेगी । अभी उसने उसे जो शारीरिक गया था दी है वह तो उसके जेहन में हमेशा बना रहेगा। जेल से आने के बाद आरोपी के द्वारा पीड़िता का उपहास उड़ाने की कोशिश की जा सकती है कि उसने उसके साथ ऐसा किया था जिसके कारण उसने उसे जेल भिजवा दिया।