जनप्रतिनिधियों को अनुकरणीय आचरण और शिष्टाचार बनाए रखना चाहिए ताकि सदन की प्रतिष्ठा और गरिमा बढ़े: लोक सभा अध्यक्ष *पीठासीन अधिकारियों को अप...
जनप्रतिनिधियों को अनुकरणीय आचरण और शिष्टाचार बनाए रखना चाहिए ताकि सदन की प्रतिष्ठा और गरिमा बढ़े: लोक सभा अध्यक्ष
*पीठासीन अधिकारियों को अपने पद की गरिमा के अनुरूप कार्य करते हुए कार्यवाही का संचालन निष्पक्ष रूप से करना चाहिए: लोक सभा अध्यक्ष
*सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग से शासन में जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ेगी: लोक सभा अध्यक्ष
*लोकतांत्रिक संस्थाओं को अपनी गतिविधियों में युवाओं, महिलाओं और विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्तियों को शामिल करना चाहिए ताकि नीतियों को और अधिक समावेशी बनाया जा सके : लोक सभा अध्यक्ष
*सदन में सुनियोजित व्यवधानों की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाना आवश्यक है क्योंकि इससे सदन की गरिमा कम होती है: लोक सभा अध्यक्ष
*जब सरकार नागरिकों को प्रभावी सेवाएँ प्रदान करती है, तो शासन में उनका विश्वास बढ़ता है: उप सभापति, राज्य सभा
*डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग से लोगों को लाभान्वित करने में विधानमंडल महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं: अध्यक्ष, राजस्थान विधान सभा
उदयपुर,राजस्थान।
असल बात न्यूज़।।
लोक सभा अध्यक्ष, ओम बिरला ने उदयपुर में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र के नौवें सम्मेलन का आज उद्घाटन किया।इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मतदाताओं को ऐसे प्रतिनिधियों का निर्वाचन करना चाहिए जो उनके कल्याण में सकारात्मक योगदान दें।मतदाता अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करते समय सदन में अपने प्रतिनिधियों के व्यवहार और आचरण को ध्यान में रखते हुए आकलन करें।
सम्मेलन में उपस्थित पीठासीन अधिकारियों और विधायकों को संबोधित करते हुए, श्री बिरला ने कहा कि विधानमंडल, चाहे वह संसद हो या राज्य विधान सभाएं और विधान परिषदें, 140 करोड़ भारतीयों की आशाओं, सपनों और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसलिए, जन प्रतिनिधियों की यह जिम्मेदारी है कि वे विधायिका में लोगों के विश्वास को बनाए रखें । श्री बिरला ने यह भी कहा कि यह सुनिश्चित करना जन प्रतिनिधियों का कर्तव्य है कि विधानमंडल लोगों के सामाजिक-आर्थिक कल्याण के लिए काम करें। उन्होंने कहा कि विधायकों को लोकतंत्र को मजबूत करने और संसदीय परंपराओं को समृद्ध करने के प्रयास करने चाहिए।
सुशासन में विधानमंडलों की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बात करते हुए, श्री बिरला ने कहा कि विधायी कामकाज में जन-केंद्रित शासन पर रचनात्मक और सार्थक चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जनप्रतिनिधियों को अनुकरणीय आचरण और शिष्टाचार बनाए रखना चाहिए ताकि सदन की प्रतिष्ठा और गरिमा बढ़े तथा विधायी संस्थाओं और जन प्रतिनिधियों पर लोगों का विश्वास और अधिक गहरा और मजबूत हो।
श्री बिरला ने इस बात का उल्लेख किया कि जनता की विधायकों से यह आशा होती है कि वे जनकल्याणकारी नीतियों को तैयार करने में कार्यपालिका का मार्गदर्शन करते हुए उनकी समस्याओं के समाधान और उनके कल्याण के लिए विधान सभाओं में सार्थक चर्चा करेंगे और यह तभी हो सकता है जब जनप्रतिनिधि उच्च मानकों के अनुसार आचरण और कार्य करें तथा सदन और सार्वजनिक जीवन में अनुशासन और मर्यादा का पालन करें* । इस संदर्भ में, श्री बिरला ने पीठासीन अधिकारियों की निष्पक्षता और तटस्थता पर ज़ोर देते हुए कहा कि पीठासीन अधिकारियों की यह विशेष जिम्मेदारी है कि वे अपने पद की गरिमा के अनुसार आचरण करें और सुनिश्चित करें कि सदन का संचालन निष्पक्ष रूप से हो। श्री बिरला ने कहा कि जब कोई सदस्य पीठासीन अधिकारी के पद पर आसीन होता है, तो उसकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है।
वर्तमान समय में तकनीकी नवाचारों के प्रभाव के बारे में बात करते हुए, श्री बिरला ने कहा कि अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के इस युग में, रोबोटिक्स, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस जैसी नवीन तकनीकों के उचित उपयोग से विधायी निकायों के कामकाज में पारदर्शिता और दक्षता लाने में बहुत मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग से शासन में जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ेगी और यह सुनिश्चित होगा कि विधानमंडल लोगों की सामाजिक-आर्थिक बेहतरी में योगदान करते हुए अधिक प्रभावी ढंग से और कुशलता से कार्य करें । श्री बिरला ने टिप्पणी की कि आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए हमें एक ऐसी प्रभावी प्रणाली विकसित करनी होगी, जिसके अंतर्गत लोग जनप्रतिनिधियों या लोकतांत्रिक संस्थाओं को नियमों के संबंध में या कानूनों में कोई विसंगति होने पर अपने सुझाव और प्रतिक्रिया दे सके। उन्होंने लोकतांत्रिक संस्थाओं की गतिविधियों में युवाओं, महिलाओं, छात्रों और समाज के विभिन्न वर्गों के प्रतिष्ठित व्यक्तियों को शामिल किए जाने का आग्रह किया ताकि नीतियों को अधिक समावेशी बनाया जा सके और सभी हितधारक लाभान्वित हो सकें। उन्होंने आगे कहा कि अब समय आ गया है कि मतदाता अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करते समय सदन में अपने प्रतिनिधियों के व्यवहार और आचरण को ध्यान में रखते हुए आकलन करें। मतदाताओं को ऐसे प्रतिनिधियों का निर्वाचन करना चाहिए जो उनके कल्याण में सकारात्मक योगदान दें।
राजस्थान के मुख्य मंत्री, श्री अशोक गहलोत ने कहा कि वर्तमान समय में सुशासन के लक्ष्य को प्राप्त करने में सूचना प्रौद्योगिकी बहुत सहायक है। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि आईटी की परिकल्पना हमारे नेताओं द्वारा की गई थी जिन्होंने शासन में प्रौद्योगिकी को व्यापक रूप से अपनाए जाने के लिए मिशन मोड पर काम किया था।
श्री गहलोत ने आगे कहा कि विधान सभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ने पिछले पांच वर्षों में सीपीए को मजबूत किया है और उनके प्रयासों से विधानमंडल की कार्यकुशलता में वृद्धि हुई है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि सम्मेलन में डिजिटल सशक्तिकरण और सुशासन की दिशा में जन प्रतिनिधियों के कौशल जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की जाएगी। श्री गहलोत ने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा क्रियान्वित की जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में भी बताया। उन्होंने यह भी बताया कि स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में योजनाओं के कार्यान्वयन में प्रौद्योगिकी से बदलाव आ रहे हैं ।
राज्य सभा के उप सभापति, श्री हरिवंश ने सीपीए सम्मेलन की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि पूरे देश के विधानमंडलों के समक्ष आने वाली गंभीर चुनौतियों पर पीठासीन अधिकारियों की चर्चा के लिए यह एक महत्वपूर्ण मंच है । उन्होंने यह भी कहा कि इस मंच पर नवीन विचारों और अनुभवों को साझा करने से सुशासन बढ़ेगा।
सम्मेलन के विषय पर बात करते हुए, श्री हरिवंश ने कहा कि प्रौद्योगिकी आधारित विकास के इस युग में यह अपरिहार्य है कि बेहतर शासन मानकों के लिए और सेवाएँ प्रदान करने के लिए डिजिटल इंटरवेंशन जीवन का अभिन्न अंग बनें । सूचना संचार प्रौद्योगिकी के क्रांतिकारी प्रभाव के संदर्भ में, श्री हरिवंश ने कहा कि शासन में प्रौद्योगिकी के उपयोग से न केवल भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में मदद मिली है, बल्कि यह भी सुनिश्चित हुआ है कि जनकल्याणकारी लाभ सीधे उन लोगों तक पहुंचें जो उनके हकदार हैं। उन्होंने कहा कि जब सरकार नागरिकों को प्रभावी सेवाएं प्रदान करती है, तो शासन में उनका विश्वास बढ़ता है, जिससे लोकतंत्र मजबूत होता है।
स्वागत भाषण देते हुए राजस्थान विधान सभा के अध्यक्ष, डॉ. सी.पी. जोशी ने इस बात का उल्लेख किया कि राजस्थान ने संसदीय लोकतंत्र की स्वस्थ परंपराओं की स्थापना में अग्रणी योगदान दिया है। डॉ. जोशी ने देश भर में संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में अनवरत प्रयास करने के लिए लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला को धन्यवाद दिया। उन्होंने सीपीए के लक्ष्यों और उद्देश्यों का उल्लेख भी किया जिसमें लोगों के लाभ के लिए लोकतंत्र, सुशासन और विधि के शासन को बढ़ावा देना शामिल है। डिजिटल क्रांति और सुशासन में इसकी भूमिका के बारे में विचार व्यक्त करते हुए, डॉ. जोशी ने कहा कि डिजिटल प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग से लोगों को लाभान्वित करने में विधानमंडल महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं । उन्होंने कहा कि कार्यपालिका और विधायिका को लोगों की प्रगति और विकास सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि संसदीय लोकतंत्र भारत की ताकत है और लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता के कारण हमारा देश आगे बढ़ता रहेगा।
उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए सीपीए मुख्यालय के चेयरपर्सन, श्री इयान लिडेल ग्रैन्जर ने राष्ट्रमंडल में भारत के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि सीपीए के लिए भारत बहुत महत्वपूर्ण है। श्री ग्रैन्जर ने भारतवासियों के लाभ के लिए डिजिटल संसाधनों का उपयोग करते हुए भारत द्वारा इस दिशा में किए जा रहे विश्व नेतृत्व की भी सराहना की। सीपीए चेयरपर्सन ने कहा कि भारत ने जन कल्याण के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग में सभी देशों को आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया है। लोकतंत्र को मजबूत करने में युवाओं की भूमिका पर विचार व्यक्त करते हुए, श्री ग्रैन्जर ने कहा कि सीपीए पूरी दुनिया के युवाओं को जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, आतंकवाद आदि जैसी जटिल चुनौतियों के समाधान में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करने की इच्छुक है। उन्होने यह भी कहा कि सर्वाधिक युवा जनसंख्या वाले राष्ट्रमंडल के सबसे बड़े देश भारत की भूमिका इस दिशा में बहुत महत्वपूर्ण होगी।
विधायक और सीपीए, राजस्थान चैप्टर के चेयरपर्सन, श्री संयम लोढ़ा ने धन्यवाद ज्ञापित किया ।
इस दो दिवसीय सम्मेलन का विषय "डिजिटल युग में लोकतंत्र और सुशासन को सुदृढ़ करना" है। सम्मेलन के दौरान, राज्य विधानमंडलों के सभापति और अध्यक्ष तथा उपसभापति और उपाध्यक्ष निम्नलिखित विषयों पर विचार-मंथन करेंगे:
(i) डिजिटल सशक्तिकरण के माध्यम से सुशासन को प्रोत्साहित करने में जन प्रतिनिधियों को और अधिक प्रभावी/कुशल कैसे बनाया जाए; और
(ii) लोकतांत्रिक संस्थाओं के माध्यम से राष्ट्र को सुदृढ़ करने में जन प्रतिनिधियों की भूमिका।
सम्मेलन का समापन मंगलवार, 22 अगस्त को भारत के उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति, श्री जगदीप धनखड़ के समापन भाषण के साथ होगा। राजस्थान के राज्यपाल, श्री कलराज मिश्र और अन्य गणमान्य व्यक्ति समापन सत्र की शोभा बढ़ाएंगे।
इस सम्मेलन का आयोजन लोक सभा सचिवालय और राजस्थान विधान सभा द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है।