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पोक्सो एक्ट में दोष सिद्ध होने पर अभियुक्त को बिस साल के सश्रम कारावास की सजा

  दुर्ग । असल बात  न्यूज़।।   00  विधि संवाददाता।।      पोक्सो एक्ट के मामले में दुर्ग में अभियुक्त को आज बड़ी सजा सुनाई गयी है। प्रकरण में दो...

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दुर्ग ।

असल बात  न्यूज़।।

  00  विधि संवाददाता।।     


पोक्सो एक्ट के मामले में दुर्ग में अभियुक्त को आज बड़ी सजा सुनाई गयी है। प्रकरण में दोष सिद्ध होने पर 21  साल के अभियुक्त को 20  साल की सश्रम सजा सुनाई गयी है।  अपर सत्र न्यायाधीश ,चतुर्थ ऍफ़,टी ,एस, सी  विशेष न्यायालय दुर्ग श्रीमति संगीता नवीन तिवारी के न्यायलय ने यह सजा सुनाई है। न्यायलय ने 18  वर्ष से कम उम्र की अभियोक्त्री के साथ एक से अधिक बार प्रवेशन लैंगिक हमला कारित करने  के अपराध में अभियुक्त को कठोर दंड देना उचित माना है।

यह प्रकरण आरक्षी केंद्र सुपेला के अंतर्गत का है जिसमे 19 मई 2022 को ऍफ़ आई आर दर्ज कराया गया।  न्यायलय ने प्रकरण में विचरण और सुनवाई करते हुए सिर्फ  एक साल चार महीने के भीतर अपना फैसला दे दिया है। प्रकरण में पीड़िता के भाई के द्वारा मौखिक रिपोर्ट दर्ज कराई गयी। मामले में अभियोजन के तथ्य इस प्रकार है कि अभियोक्त्री को 18 मई 2022 को कोई अज्ञात व्यक्ति उसके माता पिता के संरक्षण से बिना अनुमति के बहला फुसलाकर लेकर चला गया।  पीड़िता कि परिवार के सदस्यों के द्वारा बहुत खोज बीन की गयी लेकिन वह नहीं मिली। विवेचना के दौरान पुलिस की टीम के द्वारा 30  मई 2022  को पीड़िता को बरामद किया गया। 

न्यायलय ने अभियुक्त के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धरा 363  ,366 ,496 ,376 (२) (एन) एवं लैंगिक अपराधों से बालकों कजा संरक्षण अधिनियम की धरा 6  का अपराध प्रमाणित पाया। प्रकरण में न्यायलय ने अभियुक्त को कठोर दंड सुनते हुए कहा कि अभियुक्त के द्वारा  अभियोक्त्री के साथ यह जानते हुए भी कि वह कम उम्र कि है के साथ एक से अधिक बार प्रवेशन लैंगिक हमला कारित किया। बालको के प्रति दैहिक अपराधों की बढ़ती हुई घटनाएं गंभीर निंदनीय है। यह अपराध समाज के व्यवस्था के प्रति अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे गंभीरतम अपराध से बालक के सुरक्षा एवं उसकी प्रतिष्ठा धूमिल होने के साथ उसको मानसिक और शारीरिक नुकसान पहुँचता है। 


न्यायलय ने प्रकरण में अभियुक्त को लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012  की धरा ६ के अपराध में 20   साल के सश्रम कारावास और भारतीय दंड संहिता की धरा 366  तथा धारा 496  के अपराध में 3 -3  वर्ष की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। 


प्रप्रकरण में अभियोजनजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक संतोष कसार ने पैरवी की है।