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उधारी नहीं चुकाने के लिए दोस्त की ही हत्या कर देने वाले अभियुक्त को दोषसिद्ध होने पर आजीवन कारावास की सजा, दो सह अभियुक्त दोषमुक्त

मार्च 2018 का है मामला   रायपुर। असल बात न्यूज़।।         00 विधि संवाददाता     उधारी नहीं चुकाना पड़े, इसके लिए एक युवक ने अपने दोस्त की ही...

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मार्च 2018 का है मामला

 रायपुर।

असल बात न्यूज़।।  

     00 विधि संवाददाता   

उधारी नहीं चुकाना पड़े, इसके लिए एक युवक ने अपने दोस्त की ही हत्या कर दी। अभियुक्त ने मृतक के शव को अपने दुकान में छुपा दिया था तथा साक्षयों को विलोपित करने की कोशिश भी की। न्यायालय ने अभियुक्त को अपराध का दोषी पाया है तथा उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। सत्र न्यायाधीश रायपुर संतोष शर्मा के न्यायालय ने इसकी सजा सुनाई है। अभियुक्त की उम्र लगभग 22 साल है। न्यायालय ने इस मामले में दो आरोपियों को दोष मुक्त घोषित कर दिया है। 

यह प्रकरण न्यू राजेंद्र नगर थाना रायपुर के अंतर्गत का 13 मार्च 2018 का है। प्रकरण में मृतक के पिता के द्वारा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। अभियोजन के अनुसार मामले के तथ्य इस प्रकार है कि सिद्धार्थ गोलछा अपने दोस्त ऋषभ मल्होत्रा के आरडीए बिल्डिंग में स्थित मेडिकल दुकान में मिलने गया था तथा उसके बाद घर नहीं पहुंचा। बाद में पुलिस की जांच में मेडिकल शॉप में ही सिद्धार्थ मल्होत्रा का शव पाया गया। सिद्धार्थ मल्होत्रा के सिर पर गंभीर चोटें पाई गई तथा उसका गला दबाकर हत्या करना पाया गया। पुलिस के द्वारा सिद्धार्थ मल्होत्रा को पूछताछ के लिए बुलाए जाने पर वह मेडिकल शॉप की चाबी लाने के बहाने चला गया और फरार हो गया। मृत हालत में मिले सिद्धार्थ के गले में उसकी सोने की चैन नहीं थी तथा हाथ का ब्रेसलेट भी गायब था। उसका शव जहां पाया गया वहां पास में लोहे का हथोड़ा, सूटकेस बांधने का स्टील की चैन तथा दुकान का सामान बिखरा पड़ा मिला था।

न्यायालय ने परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर पाया कि सिद्धार्थ गोलछा ने अभियुक्त ऋषभ मल्होत्रा को ₹सात लाख रुपए उधार दिया था जिसमें से अभियुक्त ने ₹4 लाख लौटा भी दिया था। बाकी पैसों के लेनदेन को लेकर दोनों में विवाद चल रहा था। अभियोजन ने प्रकरण के हेतुक की पुष्टि हेतु साक्ष्य प्रस्तुत किया। न्यायालय के समक्ष साक्ष्य का विलोपन के संबंध में अभियोजन पक्ष के द्वारा ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया जा सका। इस मामले में दो और सह अभियुक्त थे। न्यायालय ने पाया की विवेचना अधिकारी के द्वारा भी दोनों आरोपियों की अपराध के संबंध में कोई कथन नहीं किया गया है। अभियोजन, मुख्य अभियुक्त से सह अभियुक्तों की बातचीत के संबंध में  कोई भी विश्वसनीय साक्षय पेश करने में असफल रहा।

न्यायालय ने अभियुक्त ऋषभ मल्होत्रा को दोष सिद्ध होने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302,34 के अपराध में आजीवन कारावास और ₹1000 अर्थदंड तथा 120,ख एक के अपराध में 3 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। आरोपी को धारा 404/34, 201 के अपराध से दोषमुक्त घोषित कर दिया गया है। प्रकरण के सह अभियुक्त हिमांशु यादव और मोहनिस भगत को भारतीय दंड संहिता की धारा 120 ख एक एवं 201/34 के अपराध से दोष मुक्त घोषित कर दिया गया है।

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