दुर्ग। असल बात न्यूज़।। पोक्सो एक्ट के अपराध में दोष सिद्ध होने पर अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। प्रकरण वर्ष 2016 का है ज...
दुर्ग।
असल बात न्यूज़।।
पोक्सो एक्ट के अपराध में दोष सिद्ध होने पर अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। प्रकरण वर्ष 2016 का है जिसमें अभियुक्त लंबे समय फरार तक हो गया था। अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ एफटीएससी विशेष न्यायालय श्रीमती संगीता नवीन तिवारी के न्यायालय ने उक्त सजा सुनाई है। न्यायालय ने पीड़िता के लिए प्रतिकर राशि की भी अनुशंसा की है।
अभियोजन के अनुसार मामले के तथ्य इस प्रकार है कि अभियोक्तरी के पिता के द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराई गई कि घटना दिनांक को वह मजदूरी करने रायपुर चला गया एवं उसकी पत्नी एवम लड़का शादी में पोटिया चले गए थे तथा घर में उसकी पुत्री अभियोक्तरी थी।वह 14 मई 2016 को दोपहर में घर वापस लौटा तो अभियोक्तरी घर में नहीं थी। उसने,उसे कई जगह खोजा तब भी वह नहीं मिली जिसके बाद प्रकरण में रिपोर्ट दर्ज कराई गई। आरोपी पीड़िता को उसके विधि पूर्ण संरक्षकता से उनकी सहमति के बिना बहला-फुसलाकर उसका व्यपहरण आयुक्त संभोग करने के आशय से किया तथा अभियोक्तरी को एक गांव में ले आकर ब्लॉतसंग किया। अभियोक्त्री की आरोपी से पूर्व पहचान थी तथा वह अपने दोस्तों के साथ आरोपी के घर पूर्व से आना-जाना करते थी। न्यायालय ने साक्ष्यों के आधार पर आरोपों को सही पाया।
न्यायालय के समक्ष प्रकरण में बचाव पक्ष की ओर से कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया। न्यायालय ने अभियुक्त को भारतीय दंड संहिता की धारा 366 सहपठित धारा, के तहत 3 वर्ष का सश्रम कारावास और ₹100 अर्थदंड तथा लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 4 के तहत आजीवन कारावास और ₹5 अर्थदंड की सजा सुनाई है।
प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक संतोष कसार ने पैरवी की।