रायपुर। असल बात न्यूज़।। वैसे तो भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा, भारतीय राजस्व सेवा और भारतीय वन सेवा के अधिकारियों की नौकरी...
रायपुर।
असल बात न्यूज़।।
वैसे तो भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा, भारतीय राजस्व सेवा और भारतीय वन सेवा के अधिकारियों की नौकरी छोड़कर अथवा रिटायरमेंट के बाद राजनीति में सक्रिय होने में शुरू से दिलचस्पी रही है लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य में इसका सिलसिला अधिक बढ़ता दिख रहा है। नया राज्य बनने के कई वरिष्ठ अधिकारी राजनीति में आ गए हैं और सक्रिय हैं। कुछ रिटायरमेंट के बाद आए तो कुछ तो नौकरी छोड़कर राजनीति में आ गए हैं। इसमें एक और महत्वपूर्ण बात है कि यह अधिकारी सिर्फ किसी एक दल में नहीं शामिल हो रहे हैं बल्कि कुछ ने कांग्रेस का दामन थामा है तो कई भाजपा में आ रहे हैं। नवगठित छत्तीसगढ़ राज्य के पहले मुख्यमंत्री,भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अजीत जोगी ही रहे हैं तो हो सकता है कि इन अधिकारियों को उनसे भी राजनीति में आने की प्रेरणा मिलती हो।
एक बात वास्तव में कही जाए तो अभिभाजित मध्य प्रदेश में मध्य प्रदेश तरफ के नेताओं का ही राजनीति में बोलबाला रहा था। चार-पांच नामो को छोड़ दे तो छत्तीसगढ़ अंचल के नेताओं को उस दौरान दूसरी लाइन की ही जगह मिलती रही थी। शायद यही वजह भी रही कि नया छत्तीसगढ़ राज्य बना तो यहां के राजनीतिक चेहरों को अधिक महत्व ना देकर छत्तीसगढ़ की राजनीति में अधिक सक्रिय नहीं रहे अजीत जोगी को मुख्यमंत्री बनने का मौका दिया गया।अब, नया राज्य बना तो छत्तीसगढ़ के नेताओं के भी राजनीति में आगे बढ़ने का रास्ता खुल गया। श्री जोगी मुख्यमंत्री रहे,उनके कार्यकाल के दौरान ही कई अधिकारियों के राजनीति में आने की सुगबुगाहट शुरू हो गई थी। कहा तो यह भी जाता है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री जोगी स्वयं कई अधिकारियों को अपने साथ राजनीति में लाना चाहते थे और नौकरी छोड़कर राजनीति में आने वाले इन अधिकारियों को राजनीति में बड़े पद देने के पक्षधर थे।इस मानसिकता के फलस्वरूप भी कई अधिकारियों के राजनीति में प्रवेश करने को बल मिला। इस दौरान भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सरजियस मिंज का नाम सर्वाधिक चर्चा में रहा।श्री मिंज ने राजनीति में प्रवेश किया भी और अभी भी सक्रिय हैं। अपने कार्यकाल के दौरान कई कार्यो के लिए प्रदेश में राजनांदगांव मॉडल के लिए प्रचारित होने वाले आईएएस अधिकारी गणेश शंकर मिश्र ने भी इस राज्य की तीसरी सरकार के कार्यकाल में रिटायरमेंट के बाद राजनीति में प्रवेश कर लिया और अभी वे भाजपा में सक्रिय हैं।
छत्तीसगढ़ की माटी अभी राजनीति के लिए काफी उपजाऊ मानी जा रही है। देखा जाए तो इस राज्य में अभी जिसने भी सफलता हासिल की है वह काफी ऊंचे पायदान पर पहुंच गया है। उसके जीडीपी की बात करें तो वह भी काफी अधिक है और सरकारी नौकरी के मुकाबले में यह फायदे का सौदा लगता है।
अधिकारी वर्ग से राजनीति में आने वालों में सबसे अधिक चर्चाओं में युवा आईएएस अधिकारी ओम प्रकाश चौधरी रहे हैं, जिन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय प्रशासनिक सेवा की अपनी लंबी नौकरी छोड़कर भाजपा में प्रवेश कर लिया। श्री चौधरी अभी भाजपा में सक्रिय हैं और बड़े पद की दौड़ में उनका भी नाम शामिल माना जाता है। इसके बाद कोंडागांव के पूर्व कलेक्टर नीलकंठ नेताम का नाम भी उन अधिकारियों में शामिल होने जा रहा है जिन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा की नौकरी छोड़कर राजनीति में प्रवेश कर लिया है। खबर है कि श्री नेताम ने अपनी नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली है और वह भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भी यह चर्चा चलती रही थी कि वे नौकरी छोड़ने जा रहे हैं और किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल होकर केशकाल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन तब शायद टिकट को लेकर बात नहीं बनी थी और उन्होंने तब तत्कालीन परिस्थितियों में राजनीति में आने की तुलना में नौकरी करना अधिक उचित माना।
और भी ढेर सारे नाम है जिन्होंने छत्तीसगढ़ में अधिकारी पद की नौकरी छोड़कर राजनीति में प्रवेश किया है लेकिन उन्हें अधिक सफलता नहीं मिली है और वे सभी अभी राजनीति में सफलता हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।असल में पुलिस विभाग का काम ही ऐसा है कि इस विभाग में काम करते हुए बहुत कम लोग ही आम जनता के बीच लोकप्रिय हो जाते हैं। शायद यही कारण है कि इस विभाग के लोगों को राजनीति में अधिक सफल व्यक्तियों के तौर पर नहीं देखा गया है।
Political reporter.