भिलाई। असल बात न्यूज़।। यहां प्रियदर्शनी परिसर में एक गार्डन की आधी फेंसिंग चोर ले उड़े हैं। यह घटना लगभग 15 दिनों के भीतर की बताई जा र...
भिलाई।
असल बात न्यूज़।।
यहां प्रियदर्शनी परिसर में एक गार्डन की आधी फेंसिंग चोर ले उड़े हैं। यह घटना लगभग 15 दिनों के भीतर की बताई जा रही है लेकिन किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी। यह निगम प्रशासन की संपत्ति है और ऐसी शारीरिक संपत्ति की चोरी हो जाने पर निगम प्रशासन के द्वारा क्या पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई जाती है इसके बारे में जानकारी ली जा रही है। नगर निगम प्रशासन के द्वारा उद्यानों की सुरक्षा के लिए चौकीदार रखा जाता है लेकिन यहां कोई चौकीदार नियुक्त किया गया है अथवा नहीं यह किसी को नहीं मालूम है। पूरे क्षेत्र में चोरी की घटनाये लगातार बढ़ती जा रही है। बताया जा रहा है कि कबाड़ी फिर से चारों तरफ सक्रिय हो गए हैं और उसी के चलते चोरी की घटनाये हो रही है।
यह गार्डन प्रियदर्शनी परिसर में जी रोड के किनारे अंडर ब्रिज मार्ग पर स्थित है।गार्डन की फेंसिंग को चोरी करने वाले चोरों का साहस और हिम्मत देखिए कि यहां यह गार्डन शहर के बीचोबीच में जी रोड के किनारे स्थित है जहां आधी रात तक भी लोगों का आना-जाना लगा रहता है। चोरों का इतना साहस इतना बढ़ गया है कि ऐसे स्थान से भी गार्डन से फेंसिंग को पार कर दिया गया। बताया जा रहा है कि यहां से फेंसिंग को काटकर ले आना बहुत आसान नहीं है। यह फेंसिंग लोहे के खंभों में जारी लगाकर की गई थी,जाली भी लगभग 2 मीटर ऊंची थी। ऐसे में इसको काट कर जाने के लिए बड़ी तैयारी की गई होगी। चोरों ने अपनी चोरी की इस प्लानिंग को इस तरह से अंजाम दिया कि पूरी फेंसिंग को यहां से पार कर दिया और कोई देख नहीं सका। यह स्थानीय लोगों को समझ नहीं आ रहा है।
भिलाई के सुपेला और कैम्प क्षेत्र में अभी कबाड़ियों की बाढ़ आ गई है। सबसे बड़ी बात है कि इसमें सारे कबाड़ी बाहर से आकर बसे हुए हैं। कबाड़ी का यह धंधा अभी कुछ वर्षों में उग और फैल गया है।इनका नागपुर और उड़ीसा के कबाड़ियों से सीधा संबंध है और यहां से माल सीधे ज्यादातर नागपुर पहुंचा दिया जाता है। बताया जाता है कि इन कबाड़ियों के पास ऐसी मशीने हैं की कोई भी माल को पीटकर, काट कर, टुकड़े-टुकड़े कर 5 मिनट में ऐसे बना दिया जाता है कि उसका मालिक भी उसे पहचान नहीं सकता, कि वह सामान उसका ही है। पुलिस और शासन प्रशासन के लोगों को इनका इन्हें कबाड़ियों को कितना संरक्षण है, इस पर हमेशा सवाल उठता रहा है।